• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

बंगाल भाजपा की इस महिला विधायक के लोग रातोंरात फैन बन गए

    • आईचौक
    • Updated: 03 मई, 2021 10:50 PM
  • 03 मई, 2021 10:50 PM
offline
दलित समाज से आने वाली 30 साल की चंदना बाउरी चुनाव से पहले तक पति के साथ मजदूरी किया करती थीं. शानदार जीत हासिल करने के बाद अब समूचे बंगाल और देश के दूसरे हिस्सों में उनकी कहानियां साझा हो रही हैं.

पश्चिम बंगाल में भाजपा ने इस बार कई साधारण कार्यकर्ताओं को टिकट देकर चुनाव लड़वाया था. इसमें से कुछ को जीत मिली है. दलित समाज से आने वाली 30 साल की चंदना बाउरी ऐसी ही नवनिर्वाचित विधायक हैं. चुनाव से पहले तक चंदना पति के साथ मजदूरी किया करती थीं. आर्थिक पृष्ठभूमि ही ऐसी है कि अब समूचे बंगाल और बाहर उनकी कहानियां साझा की जा रही हैं. भाजपा के सचिव और बंगाल में एक जोन का प्रबंधन संभाल रहे सुनील देवधर ने भी चंदना की कहानी साझा की है.

चंदना ने बंगाल की सलोतरा विधानसभा सुरक्षित सीट पर चार हजार मतों से जीत दर्ज की. पिछले दो चुनाव से लगातार यहां तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते आ रहे थे. चंदना ने बाजी पलट दी लेकिन चुनाव जीतने तक उनका पूरा सफ़र बहुत ही दिलचस्प है. जब चुनाव की घोषणा हुई थी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि पार्टी का टिकट मिल जाएगा. टिकट मिला भी तो जीत की कल्पना दूर दूर तक नहीं थी. इसकी कई वजहें हैं. ना तो उनकी कोई ठोस आर्थिक पृष्ठभूमि थी और ना ही कोई राजनीतिक बैकअप.

कैम्पेन के दौरान चांदना. फोटो- ट्विटर से साभार.

उन्होंने बताया था- लोगों के कहने पर भाजपा के टिकट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. दावेदारों के बीच मुझे टिकट मिल ही जाएगा इस बात का भरोसा बिल्कुल नहीं था. लेकिन जब पता चला कि भाजपा उन्हें सलोतरा से उम्मीदवार बना रही है वो लगभग हैरान हो गई थीं. चुनाव को लेकर उन्हें कोई अनुभव नहीं था, हालांकि परिवार और उनके आसपास के लोग रोमांचित थे.

भाजपा ने चंदना को सांगठनिक स्तर पर हर लिहाज से मदद की. भाजपा से मिले रिसोर्स पर कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने खूब मेहनत भी की. इउसके लिए फैमिली फ्रंट पर भी समझौते करने पड़े. यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि चंदना पर खुद के परिवार को संभालने की जिम्मेदारी थी जो एक...

पश्चिम बंगाल में भाजपा ने इस बार कई साधारण कार्यकर्ताओं को टिकट देकर चुनाव लड़वाया था. इसमें से कुछ को जीत मिली है. दलित समाज से आने वाली 30 साल की चंदना बाउरी ऐसी ही नवनिर्वाचित विधायक हैं. चुनाव से पहले तक चंदना पति के साथ मजदूरी किया करती थीं. आर्थिक पृष्ठभूमि ही ऐसी है कि अब समूचे बंगाल और बाहर उनकी कहानियां साझा की जा रही हैं. भाजपा के सचिव और बंगाल में एक जोन का प्रबंधन संभाल रहे सुनील देवधर ने भी चंदना की कहानी साझा की है.

चंदना ने बंगाल की सलोतरा विधानसभा सुरक्षित सीट पर चार हजार मतों से जीत दर्ज की. पिछले दो चुनाव से लगातार यहां तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते आ रहे थे. चंदना ने बाजी पलट दी लेकिन चुनाव जीतने तक उनका पूरा सफ़र बहुत ही दिलचस्प है. जब चुनाव की घोषणा हुई थी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि पार्टी का टिकट मिल जाएगा. टिकट मिला भी तो जीत की कल्पना दूर दूर तक नहीं थी. इसकी कई वजहें हैं. ना तो उनकी कोई ठोस आर्थिक पृष्ठभूमि थी और ना ही कोई राजनीतिक बैकअप.

कैम्पेन के दौरान चांदना. फोटो- ट्विटर से साभार.

उन्होंने बताया था- लोगों के कहने पर भाजपा के टिकट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. दावेदारों के बीच मुझे टिकट मिल ही जाएगा इस बात का भरोसा बिल्कुल नहीं था. लेकिन जब पता चला कि भाजपा उन्हें सलोतरा से उम्मीदवार बना रही है वो लगभग हैरान हो गई थीं. चुनाव को लेकर उन्हें कोई अनुभव नहीं था, हालांकि परिवार और उनके आसपास के लोग रोमांचित थे.

भाजपा ने चंदना को सांगठनिक स्तर पर हर लिहाज से मदद की. भाजपा से मिले रिसोर्स पर कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने खूब मेहनत भी की. इउसके लिए फैमिली फ्रंट पर भी समझौते करने पड़े. यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि चंदना पर खुद के परिवार को संभालने की जिम्मेदारी थी जो एक बेहद साधारण झोपड़ी में रहता है. उनके छोटे-छोटे तीन बच्चे हैं. लेकिन चिंता मुक्त होकर कैम्पेन कर सके इसमें परिवार ने खूब सहयोग दिया.

चंदना का पार्टी ड्रेसअप आकर्षण का केंद्र था. दरअसल, भाजपा के पक्ष में समूचे बंगाल में कैम्पेन संभाल रही दूसरी महिला कार्यकर्ता भी कमल छाप साड़ी और दुपट्टे में ही नजर आती थीं. सलोतरा में चंदना की सहजता को लोगों ने हाथोहाथ लिया. यही वजह रही कि बेहद मुश्किल सीट पर उन्होंने पहली बार कमल खिला दिया. विधानसभा नतीजों के बाद भाजपा की इस युवा नवनिर्वाचित विधायक की प्रेरक कहानी हर कोई साझा कर रहा है. लोग खुलकर तारीफ़ कर रहे हैं.

चंदना की संपत्ति

आशियाने के नाम पर एक झोपड़ी में रहने वाली भाजपा विधायक के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे ख़ास माना जाए. चुनावी हलफनामें में उन्होंने बताया था कि उनके नाम करीब 31 हजार जबकि पति के नाम करीब 30 हजार की संपत्ति है. तीन बकरियां और तीन गाय भी संपत्ति में है. मजदूरी से घर परिवार की गुजर बसर होती है. भाजपा की ये विधायक 12वीं पास भी है.

294 विधानसभा सीटों वाले बंगाल में 2 मई को मतगणना पूरी हुई. ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है. तृणमूल को 213, भाजपा को 77 और अन्य के खाते में दो सीटें गई हैं. दो सीटों पर चुनाव नहीं हुए हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲