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ट्विटर पर अचानक पासवर्ड बदलने की बाढ़ कैसे आ गई? इसका कारण और हल

    • अनिल कुमार
    • Updated: 04 मई, 2018 05:34 PM
  • 04 मई, 2018 05:34 PM
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ट्विटर ने अपने यूजर्स को निर्देशित किया है कि साइट में आए वायरस के कारण वो अपने पासवर्ड बदल लें. सवाल ये है कि क्या ये समस्या उतनी ही सरल है जितनी ये हमें दिखाई दे रही है.

गत दिन दुनिया के दूसरे नंबर की सबसे बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर ने अपने यूजर्स से कहा कि प्रोफाइल का पासवर्ड बदल लें. ट्विटर ने इसके पीछे कारण साइट में एक “बग” होना बताया. ये बताते हुए अपने 33 करोड़ यूजर्स को अगाह किया. यूजर्स को पासवर्ड बदलने की सलाह भी दी है. ये बात बीरबल की खिचड़ी की तरह हो गई, ये तो सबको पता है कि उसकी खिचड़ी देर में पकती है लेकिन क्यों? इसके असल जवाब के लिए इतिहास भी कंफ्यूज है. बग नामक चीज का सीधा मतलब है एक ऐसा वायरस रूपी कंप्यूटरी जानवर सोशल नेटवर्किंग साइट यानी सॉफ्टवेयर में घुंस आया जो वेबसाइट के यूजर्स के डाटा को एक एक कर खा रहा है. इसका सीधा तात्पर्य ये है कि यूजर्स के डाटा में सेंध लगने की संभावनाएं हैं.

इससे पहले फेसबकु ने भी कुछ ऐसा ही किया। फेसबुक के भारत में 21 करोड़ के आस पास यूजर्स हैं और पूरी दुनिया में 2 बिलियन. फेसबुक ने यूजर्स की इतनी बड़ी संख्या को भी कुछ इसी तरह की सलाह दी थी. इसके बाद उसने फेसबुक प्रोफाइल सुरक्षित रखने के लिए एक कैंपेन भी चलाया. इस समय दुनिया में करीब 20 बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट हैं. जिसमें ट्विटर और फेसबुक पर सबसे ज्यादा लोगों ने अपने अकाउंट बनाए हुए हैं.

एक बग ने ट्विटर को मुसीबत में लाकर खड़ा कर दिया है जिसके चलते ट्विटर अपने यूजर से पासवर्ड बदलने के लिए कह रहा है

कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के 8 करोड़ 70 लाख यूजर्स निजी जानकारियों को बेचने का आरोप लगने के बाद इस मामले ने और भी तूल पकड़ा है. क्योंकि ऐसा कहा गया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक का डाटा वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से बेचा. अब सवाल है कि ये अचानक पासवर्ड में परिवर्तन की बाढ़ आना क्या स्वभाविक है? नहीं. ये स्वभाविक इसलिए नहीं है क्योंकि ये विश्वसनीयता...

गत दिन दुनिया के दूसरे नंबर की सबसे बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर ने अपने यूजर्स से कहा कि प्रोफाइल का पासवर्ड बदल लें. ट्विटर ने इसके पीछे कारण साइट में एक “बग” होना बताया. ये बताते हुए अपने 33 करोड़ यूजर्स को अगाह किया. यूजर्स को पासवर्ड बदलने की सलाह भी दी है. ये बात बीरबल की खिचड़ी की तरह हो गई, ये तो सबको पता है कि उसकी खिचड़ी देर में पकती है लेकिन क्यों? इसके असल जवाब के लिए इतिहास भी कंफ्यूज है. बग नामक चीज का सीधा मतलब है एक ऐसा वायरस रूपी कंप्यूटरी जानवर सोशल नेटवर्किंग साइट यानी सॉफ्टवेयर में घुंस आया जो वेबसाइट के यूजर्स के डाटा को एक एक कर खा रहा है. इसका सीधा तात्पर्य ये है कि यूजर्स के डाटा में सेंध लगने की संभावनाएं हैं.

इससे पहले फेसबकु ने भी कुछ ऐसा ही किया। फेसबुक के भारत में 21 करोड़ के आस पास यूजर्स हैं और पूरी दुनिया में 2 बिलियन. फेसबुक ने यूजर्स की इतनी बड़ी संख्या को भी कुछ इसी तरह की सलाह दी थी. इसके बाद उसने फेसबुक प्रोफाइल सुरक्षित रखने के लिए एक कैंपेन भी चलाया. इस समय दुनिया में करीब 20 बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट हैं. जिसमें ट्विटर और फेसबुक पर सबसे ज्यादा लोगों ने अपने अकाउंट बनाए हुए हैं.

एक बग ने ट्विटर को मुसीबत में लाकर खड़ा कर दिया है जिसके चलते ट्विटर अपने यूजर से पासवर्ड बदलने के लिए कह रहा है

कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के 8 करोड़ 70 लाख यूजर्स निजी जानकारियों को बेचने का आरोप लगने के बाद इस मामले ने और भी तूल पकड़ा है. क्योंकि ऐसा कहा गया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक का डाटा वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से बेचा. अब सवाल है कि ये अचानक पासवर्ड में परिवर्तन की बाढ़ आना क्या स्वभाविक है? नहीं. ये स्वभाविक इसलिए नहीं है क्योंकि ये विश्वसनीयता बनाने की जद्दोजहद है. असल में तो लोगों की पर्सनल जानकारी तभी सार्वजनिक हो जाती है जब लोग अपना अकाउंट किसी सोशल मीडिया वेबसाइट पर बना लेते हैं, चाहें आप उसे पब्लिक करें या नहीं.

दूसरी ओर, अगर ये गारंटी नहीं दी जा सकती कि कैंब्रिज एनालिटिका से पहले यूजर्स की निजी जानकारी किसी गलत इस्तेमाल में नहीं लाई गई तो अचानक अकाउंट्स सिक्योरिटीज का मुद्दा सामने आने पर सवाल उठना लाजमी है. इसका सटीक कोई डाटा ही उपलब्ध नहीं है कि दुनिया में कितने लोगों की जानकारी सोशल मीडिया वेबसाइट के जरिए गलत इस्तेमाल में लाई गई. ऐसे में करोड़ों यूजर्स को आज भी ये नहीं पता कि उनकी जानकारी कहां और कैसे इस्तेमाल हो रही है.

ऐसी खबर आने के बाद ट्विटर पर हडकंप मचना लाजमी था

इसके अलावा ये भी नहीं कहा जा सकता कि सोशल मीडिया कंपनी ही लोगों की निजी जानकारियों को बेच रही है या उसका गलत दिशा में इस्तेमाल कर रही है. इसकी वजह साफ है कि सोशल नेटवर्क पर पहले से ही बहुत सी जानकारियां सार्वजनिक होती हैं, उसमें फ्रेंड लिस्ट भी काफी बड़ी होती है. फोटोज, प्रोफाइल इनफो तो सार्वजनिक रहते ही हैं तो वहीं इनबॉक्स में आने वाले संदेश भी अब सुरक्षित नहीं हैं. इसकी वजह ये है कि जब एक यूजर अपने किसी दूसरे फ्रेंड से चेट कर रहा होता है तो दूसरी तरफ वही फ्रेंड बात कर रहा है या कोई और या फिर फेक प्रोफाइल बनाकर कोई शख्स.

इसका पता नहीं चल पाता. इसलिए कैंब्रिज एनालिटिका के मामले के राजनीतिक तूल पकड़ लेने के बाद सोशल मीडिया पासवर्ड अभियान काफी इंटरस्टिंग जरूर हैं लेकिन सुरक्षित ही हैं इसकी गारंटी भी तो नहीं. इसलिए इस समस्या के हल के लिए इन्बॉक्स के दोनों साइड पारदर्शिता लाना भी जरूरी है. नहीं तो हर साल पासवर्ड बदलो अभियान से लोगों को संतुष्टि मिले ये भी मुमकिन नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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