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आधार कार्ड होता तो महीनों बाणों की शैय्या पर न सोते भीष्म पितामह

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 06 अगस्त, 2017 03:33 PM
  • 06 अगस्त, 2017 03:33 PM
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फेसबुक से लेकर ट्विटर तक सम्पूर्ण सोशल मीडिया जगत पर 'आधार' टॉप ट्रेंड बना हुआ है और कई मजेदार फेसबुक पोस्ट और ट्वीट्स के जरिये सरकार के इस फैसले की अपने अंदाज में आलोचना कर रहे हैं.

मेरी तरह जिनका आधार कार्ड बन चुका है वो खुश हैं, और उनकी बांछें खिली हैं. आज के असली विजेता वही लोग हैं जिनके पास आधार कार्ड है. जिनके पास आधार नहीं है सरकार उन्हें निकम्मा नाकारा और निराधार मान चुकी है. मौजूदा वक़्त में बिन आधार के जीवन की कल्पना बेकार है. बैंक से लेकर इंकम टैक्स और मोबाइल फोन / इंटरनेट का कनेक्शन लेने से लेकर जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र तक आधार अनिवार्य है.

आज वो खासे परेशान हैं जिनका आधार नहीं है. ऐसे लोग एक हाथ में मिनिरल वाटर की बोतल और दूसरे हाथ में चंद जरूरी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी लिए कतारों में हैं और इन्तेजार कर रहे हैं कि कब नंबर आए और इनका भी आधार कार्ड बन जाए. कहा जा सकता है कि आज समाज दो धड़ों में बंट चुका है एक वो जिनके पास आधार है, दूसरे वो जो बिन आधार के जीवन गुजार रहे हैं.

भले ही आधार कार्ड में फोटो काली हो और लिंग स्त्री से पुरुष या पुरुष से स्त्री हो जाए मगर सरकार का आदेश हैं कि म्यूच्यूअल फंड्स से लेकर टमाटर और टिंडे तक आप अगर कुछ भी चाहें तो वो आपको तभी मिलेगा जब आपके वॉलेट में आधार और जहन में उसका नंबर हो. आज के दौर में आपका जीवन तभी सफल  है जब आपसे जुड़ी सभी चीजें आपके आधार से लिंक हों.

आधार को लेकर सम्पूर्ण सोशल मीडिया जगत में लोग अपने अंदाज में सरकार की चुटकी लेते नजर आ रहे हैं.

गौरतलब है कि मृत्‍यु प्रमाण पत्र के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है और 1 अक्‍टूबर से यह नियम लागू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि नियम लागू होने के बाद मृत्‍यु प्रमाण पत्र बिना आधार नंबर के नहीं बन सकेगा.

गृह मंत्रालय के रजिस्‍ट्रार जनरल इंडिया की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार,'अब मृत्‍यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदक को मृत व्‍यक्ति का आधार...

मेरी तरह जिनका आधार कार्ड बन चुका है वो खुश हैं, और उनकी बांछें खिली हैं. आज के असली विजेता वही लोग हैं जिनके पास आधार कार्ड है. जिनके पास आधार नहीं है सरकार उन्हें निकम्मा नाकारा और निराधार मान चुकी है. मौजूदा वक़्त में बिन आधार के जीवन की कल्पना बेकार है. बैंक से लेकर इंकम टैक्स और मोबाइल फोन / इंटरनेट का कनेक्शन लेने से लेकर जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र तक आधार अनिवार्य है.

आज वो खासे परेशान हैं जिनका आधार नहीं है. ऐसे लोग एक हाथ में मिनिरल वाटर की बोतल और दूसरे हाथ में चंद जरूरी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी लिए कतारों में हैं और इन्तेजार कर रहे हैं कि कब नंबर आए और इनका भी आधार कार्ड बन जाए. कहा जा सकता है कि आज समाज दो धड़ों में बंट चुका है एक वो जिनके पास आधार है, दूसरे वो जो बिन आधार के जीवन गुजार रहे हैं.

भले ही आधार कार्ड में फोटो काली हो और लिंग स्त्री से पुरुष या पुरुष से स्त्री हो जाए मगर सरकार का आदेश हैं कि म्यूच्यूअल फंड्स से लेकर टमाटर और टिंडे तक आप अगर कुछ भी चाहें तो वो आपको तभी मिलेगा जब आपके वॉलेट में आधार और जहन में उसका नंबर हो. आज के दौर में आपका जीवन तभी सफल  है जब आपसे जुड़ी सभी चीजें आपके आधार से लिंक हों.

आधार को लेकर सम्पूर्ण सोशल मीडिया जगत में लोग अपने अंदाज में सरकार की चुटकी लेते नजर आ रहे हैं.

गौरतलब है कि मृत्‍यु प्रमाण पत्र के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है और 1 अक्‍टूबर से यह नियम लागू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि नियम लागू होने के बाद मृत्‍यु प्रमाण पत्र बिना आधार नंबर के नहीं बन सकेगा.

गृह मंत्रालय के रजिस्‍ट्रार जनरल इंडिया की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार,'अब मृत्‍यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदक को मृत व्‍यक्ति का आधार नंबर देना होगा'. इस पूरे मामले पर मंत्रालय का मत है कि इससे पहचान को लेकर होने वाले फ्रॉड पर लगाम लगेगी. साथ ही आधार कार्ड को जरूरी करने से मृत व्‍यक्ति के संबंध में सही जानकारी मिल सकेगी. आधार से मृत व्‍यक्ति की पहचान को रिकॉर्ड करना भी आसान होगा.

बहरहाल मृत व्यक्ति का आधार मांगने के पीछे सरकार की जो भी मंशा हो मगर फेसबुक से लेकर ट्विटर तक  सम्पूर्ण सोशल मीडिया जगत पर 'आधार' टॉप ट्रेंड बना हुआ है और कई मजेदार फेसबुक पोस्ट और ट्वीट्स के जरिये सरकार के इस फैसले की अपने अंदाज में आलोचना कर रहे हैं.  

फेसबुक पर अपने दोस्तों को ज्ञान देता एक यूजर आधार के विषय में फेसबुक पर निक्स कौर बरार ने अपने मित्रों से संबोधित होते हुए कहा है कि, एक बात याद रखना दोस्तों कफ़न में जेब नही होती पर आधार कार्ड नम्बर जरूर होता है.

अलग - अलग प्रसंगों को जोड़कर आधार को आधार देता एक यूजर वहीं फेसबुक यूजर आशीष ने आधार कार्ड को महाभारत से जोड़ते हुए कहा है कि आधार कार्ड न होने के कारण भीष्म पितामह को महीनों बाणों की शैय्या में सोना पड़ा था. साथ ही आशीष का ये भी मानना था कि कर्ण पहला बंदा था, जिसके पास आधार कार्ड नहीं था. आशीष के अनुसार रावण ने विभीषण को आधार कार्ड न होने के कारण निकाल दिया था.

रावण से भी हुए थे आधार को लेकर सवाल कुछ यूं बताता है ये पोस्ट

आधार कार्ड को ध्यान में रखते हुए यूजर आशुतोष लिखते हैं कि, रावण रणभूमि में मरने के लिए पड़ा था. प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि वो भले राक्षस है, किंतु विद्वान ब्राह्मण है. जाकर उससे ज्ञान लेकर आओ. लक्ष्मण उसके पास गए और प्रश्न किया- ये दस सिर वाले आदमी का आधार किस दुकान पर बनता है और उसमें किस वाले सिर की फोटू आती है?

सनी देओल भी हुए थे आधार से परेशान अपने दूसरे पोस्ट में आशुतोष ने सनी देओल की एक फिल्म का जिक्र कर आधार के विषय पर चुटकी ली. आधार कार्ड न होने के कारण काशी के बापू की डेडबॉडी मोहल्ले वालों ने उठाने से मना कर दी. फिर उसे अकेले ही ले जाना पड़ा. घटना 1996 की है.

सोशल मीडिया पर लोग लगातार सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं फेसबुक यूजर सुगम शर्मा ने भी अपने खास अंदाज में लोगों को आधार का महत्त्व समझाने का प्रयास किया है और बतौर उदाहरण महाभारत का एक प्रसंग लिया है जिसमें पितामह भीष्म मृत्यु शैय्या पर हैं.

न सिर्फ फेसबुक बल्कि ट्विटर पर भी साफ दिख रहा है कि सरकार के इस फैसले से लोग नाराज हैं ट्विटर पर ट्वीट करते हुए सुमंत रमण का मत है कि, शमशान और कब्रिस्तान पर बायोमेट्रिक लगवा दिया जाए ताकि जब मुर्दे को लाया जाये वहीं फैसला हो जाये. वहीं यूजर नेम ऋषि सिन्हा लिखते हैं कि, यदि व्यक्ति के पास आधार नहीं है और वो मर जाता है तो क्या उसका आधार बनवाया जाएगा. या उसकी मौत को खारिज कर दिया जायगा.

आज लोगों के लिए आधार बनना भी एक अलग मुसीबत भरा काम है

 

आधार के लिए यूजर नेम कनक धरा की परेशानी अलग है वो कई दिनों से लाइन में लगी हैं और अब भी उनका आधार कार्ड नहीं बन पाया है. कनक ने इस प्रक्रिया की अपने अंदाज में निंदा की है.

fफिल्म दबंग के एक दृश्य से विषय को समझाता एक यूजरयूजरनेम राष्ट्रवादी जोकर ने आधार के मामले को फिल्म दबंग के एक बेहद रोचक दृश्य से जोड़ दिया है जहां उन्होंने अपने अंदाज में चुटकी ली है. 

इस तस्वीर को देखिये और हंसिये ये ट्वीट ये बताने के लिए काफी है कि मुद्दा कोई भी हो हम अपनी रचनात्मकता से उसका जवाब तो दे ही देंगे.

अंत में इतना ही कि भले ही अब मृत लोगों के लिए भले ही सरकार ने आधार कार्ड को जरूरी कर दिया हो मगर हम भारतीय ये भली प्रकार जानते हैं कि कैसे हमें उसकी आलोचना करनी है और सरकार को ये एहसास दिलाना है कि इन फैसलों से इतर अभी भी हमारे पास ऐसे कई मुद्दे हैं जिसपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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