• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

सिर्फ 5 मिनट सोनाली कुलकर्णी ने मर्दों के बरसों पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 मार्च, 2023 06:58 PM
  • 17 मार्च, 2023 06:58 PM
offline
एक्टर सोनाली कुलकर्णी का एक वीडियो वायरल है जिसमें वो महिलाओं से मुखातिब हैं. करीब 4 मिनट 58 सेकंड के इस वीडियो पर महिलाओं के बीच काफी बहस हो रही है, लेकिन इसने लड़कों के पुराने जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है.

मुझे ऐसा लगता है कि जब 18 साल के हो जाते हैं लड़के, उनपर प्रेशर रहता है (मर्द) बॉयज... तो उन पर प्रेशर रहता है कि अब पढाई ख़त्म होने को है बॉस. बस हो गया मौज मस्ती मजाक. कमा लो. फॅमिली को सपोर्ट करो  I feel like crying for my Brothers, My husband. My husband got selected from the campus interview when he was all of 20 and he has started earning. Why? जबकि लड़कियां 25 साल की 27  साल हो जाएं तब तक सोचती रहती हैं. बॉयफ्रेंड पर प्रेशर डालती हैं... 

... हिंदी के अलावा मुख्यतः मराठी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाली एक्ट्रेस सोनाली कुलकर्णी का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल है. वीडियो में इक्वलिटी के सन्दर्भ में कही गयी बातों ने एक नयी बहस का श्रीगणेश कर दिया है. करीब 4 मिनट 58 सेकंड के इस वीडियो में क्या कहा गया है क्या नहीं कहा गया है वो बाद की बात है मगर जो कुछ भी सोनाली ने लड़कों के सन्दर्भ में कहा है उसने लड़कों पर होने वाले सामाजिक दबाव को प्रकाश में ला दिया है. 

अपनी बातों में सोनाली ने कहीं न कहीं लड़कों के दर्द को बयां किया है

कोई कुछ कह ले. कितने भी तर्क दे दे लेकिन वाक़ई बड़ी पेचीदा होती है लड़कों की ज़िन्दगी. आसान नहीं है लड़के की योनि में पैदा होना. कैसे? बहुत सिंपल सा लॉजिक है. लड़का जैसे ही इस दुनिया में आता है मां बाप को उम्मीद की एक किरण दिखती है. उन्हें उस लड़के में अपनी बुढ़ापे का सहारा दिखता है. छुटपन तक तो फिर भी सब ठीक रहता है लेकिन फिर जब धीरे धीरे करके लड़का बड़ा हो रहा होता है उसकी मुसीबतें बढ़नी शुरू हो जाती है. लड़के की अंग्रेजी-हिंदी- भूगोल- इतिहास कितना भी अच्छा क्यों न हो उसकी बौद्धिक जांच का पैमाना ये रहता है कि क्लास में उसके गणित में कितने नंबर...

मुझे ऐसा लगता है कि जब 18 साल के हो जाते हैं लड़के, उनपर प्रेशर रहता है (मर्द) बॉयज... तो उन पर प्रेशर रहता है कि अब पढाई ख़त्म होने को है बॉस. बस हो गया मौज मस्ती मजाक. कमा लो. फॅमिली को सपोर्ट करो  I feel like crying for my Brothers, My husband. My husband got selected from the campus interview when he was all of 20 and he has started earning. Why? जबकि लड़कियां 25 साल की 27  साल हो जाएं तब तक सोचती रहती हैं. बॉयफ्रेंड पर प्रेशर डालती हैं... 

... हिंदी के अलावा मुख्यतः मराठी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाली एक्ट्रेस सोनाली कुलकर्णी का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल है. वीडियो में इक्वलिटी के सन्दर्भ में कही गयी बातों ने एक नयी बहस का श्रीगणेश कर दिया है. करीब 4 मिनट 58 सेकंड के इस वीडियो में क्या कहा गया है क्या नहीं कहा गया है वो बाद की बात है मगर जो कुछ भी सोनाली ने लड़कों के सन्दर्भ में कहा है उसने लड़कों पर होने वाले सामाजिक दबाव को प्रकाश में ला दिया है. 

अपनी बातों में सोनाली ने कहीं न कहीं लड़कों के दर्द को बयां किया है

कोई कुछ कह ले. कितने भी तर्क दे दे लेकिन वाक़ई बड़ी पेचीदा होती है लड़कों की ज़िन्दगी. आसान नहीं है लड़के की योनि में पैदा होना. कैसे? बहुत सिंपल सा लॉजिक है. लड़का जैसे ही इस दुनिया में आता है मां बाप को उम्मीद की एक किरण दिखती है. उन्हें उस लड़के में अपनी बुढ़ापे का सहारा दिखता है. छुटपन तक तो फिर भी सब ठीक रहता है लेकिन फिर जब धीरे धीरे करके लड़का बड़ा हो रहा होता है उसकी मुसीबतें बढ़नी शुरू हो जाती है. लड़के की अंग्रेजी-हिंदी- भूगोल- इतिहास कितना भी अच्छा क्यों न हो उसकी बौद्धिक जांच का पैमाना ये रहता है कि क्लास में उसके गणित में कितने नंबर आए? वो विज्ञान में कैसा परफॉर्म कर रहा है? 

नंबर अच्छे आए तो ठीक वरना ये दुनिया जालिम तो है ही. वो बैठी ही है लड़के को जज करने के लिए. तमाम तरह के ताने हैं जिनका सामना बेचारे मजलूम भोले भाले लड़कों को करना होता है. और उनमें भी सबसे बड़ा ताना ये कि अगर ठीक से लिखोगे, पढ़ोगे नहीं तो न तो अच्छी और मोटे वेतन की नौकरी ही मिल पाएगी और न फिर शादी के लिए 'अच्छी' लड़की. 

शादी के लिए अच्छी लड़की की क्या एकदम सही और सटीक परिभाषा है ये तो बाद की बात है लेकिन एक प्रेशर है जो लड़कों के ऊपर रहता है और उन्हें बाध्य करता है कम उम्र में कमाई करने के लिए. बाकी बात अगर समाज की हो या फिर अगर हम उस परिवेश की बात करें जहां हम रहते हैं तो वहां अच्छे लड़के भी वही होते हैं जिन्हें अपने बड़ों को सम्म्मान देना माता पिता की इज्जत करना आता हो, जो नौकरी करते हों और जिनकी सैलरी अच्छी हो. 

आप मानिये या न मानिये. लेकिन ऊपर जो पैरामीटर बताए गए हैं यदि लड़का उनपर खरा नहीं उतर रहा.तो वो कुछ भी हो. कैसा भी हो. लेकिन एक अच्छा लड़का किसी भी सूरत में नहीं है. जैसी परिभाषा लड़कों के प्रति हमारे समाज ने स्थापित की है वो कहीं न कहीं गहरे अवसाद की जनक है. 

सवाल ये है कि जन्म के फ़ौरन बाद से ही ये सोचकर की दुनिया में आ चुका बच्चा लड़का है उसे जिम्मेदारियों के बोझ से लाद देना कहां तक उचित है? क्या लड़के की परिभाषा ही अतिरिक्त जिम्मेदारियों का बोझ लाद देना है? क्या लड़का होने का उद्देश्य सिर्फ़ मोटा बैंक बैलेंस और सुन्दर और गृह कार्य में दक्ष बीवी ही है? लड़कों और ुंजकी जिंदगी से जुड़े सवाल यूं तो तमाम हैं लेकिन सारी बातों की एक बात बस ये है कि लड़का होना आसान नहीं है.

बाकी इन बातों के बाद बात अगर उस अदृश्य प्रेशर की हो जिन्होंने लड़कों की जिंदगी को बर्बाद किया है. तो हम बस यही कहेंगे कि लड़के होने का मतलब सिर्फ नोटों का बंडल, रुपया उगलने की मशीन और किसी की लाठी नहीं है. किसी और की तरह लड़कों को भी पूरा हक़ है खुली हवा में सांस लेना का. कुछ खट्टा मीठा करने का असफल होने पर अपनी गलतियों से सीखने का. बतौर समाज हमें इस बात को याद रखना होगा कि सिर्फ लड़का होना भर किसी को औलिया नहीं बना देता. बाकी उम्मीद करने में बुराई नहीं है लेकिन परेशानी तब है जब ये उम्मीद पूरी तरह से वन साइडेड और बेबुनियाद हो.

ये भी पढ़ें -

नाटू - नाटू को ऑस्कर मिला अच्छी बात, लेकिन जो राम चरण - जूनियर एनटीआर ने किया टीस रहेगी!

जया बच्चन चाहे जितनी गुस्सैल हों, लेकिन 'नाटू-नाटू' सॉन्ग पर उनके विचार का स्वागत होना चाहिए

सतीश कौशिक डेथ मिस्ट्री: चार सवाल, जो अभी भी जेहन में कौंध रहे हैं, जिनके जवाब मिलने बाकी हैं?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲