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एक मुस्लिम महिला ने समझाए शादी के फंडे

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2016 02:22 PM
  • 14 दिसम्बर, 2016 02:22 PM
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मुस्लिम महिलाओं की दशा की तह में कहीं न कहीं ऐसे मसले दबे हैं, जिनपर अगर शादी से पहले ही चर्चा कर ली जाए तो तीन तलाक, प्रताड़ना जैसे तमाम मसलों की हवा ही निकल जाए.

तीन तलाक विवाद की निगेटिविटी के बीच मुस्लिम समुदाय से ही एक पॉजिटिव खबर दिखी, जिसे साझा करना जरूरी लग रहा है. ये एक सामान्य सी दिखने वाली फेसबुक पोस्ट है जिसे एक मुस्लिम महिला ने लिखा है. लेकिन इस पोस्ट में जो कुछ लिखा गया है वो शायद मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगियों को आसान कर सकता है.

24 साल की नजरीन फज़ल को जब अरेंज्ड़ मैरिज के लिए कहा गया तो उन्होंने 'अरेंज्ड़ मैरिज' की परंपरा के खिलाफ जाकर एक नया तरीका अपनाया. उन्होंने अपने होने वाले पति को दो पन्नों में अपने बारे में, और अपने होने वाले पति से वो क्या चाहती हैं, ये सबकुछ लिख डाला. उधर से जवाब आया 3 पन्नों में, जवाब के साथ में सवाल भी पूछे गए थे.

और जान पहचान के पहले सप्ताह में ही उनके बीच 80 ईमेल साझा हुए, जिसमें दोनों ने एक दूसरे से उनकी प्राथमिकताओं, जीवनसाथी से अपेक्षाओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में बात की. नजरीन ने ऐसे कई सवाल पूछे कि- कामकाजी महिलाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं? अपशब्दों का क्या मतलब है? आप बच्चे कब चाहते हैं? वगैरह वगैरह...और उन्हें सारे सवालों के जवाब मिलते रहे. फिर क्या दो महीने में ढ़ेर सारे पत्र, स्काइप पर बात, और एक मुलाकात में बात पक्की हो गई. अगस्त में दोनों की शादी हो गई और नजरीन अब अपने पति के साथ बेहद खुश हैं.

ये भी पढ़ें- पति का ध्यान रखने से ज्यादा पत्नियों को टीवी देखना पसंद है !!

 शदी के बाद सउदी अरब सैटल हो...

तीन तलाक विवाद की निगेटिविटी के बीच मुस्लिम समुदाय से ही एक पॉजिटिव खबर दिखी, जिसे साझा करना जरूरी लग रहा है. ये एक सामान्य सी दिखने वाली फेसबुक पोस्ट है जिसे एक मुस्लिम महिला ने लिखा है. लेकिन इस पोस्ट में जो कुछ लिखा गया है वो शायद मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगियों को आसान कर सकता है.

24 साल की नजरीन फज़ल को जब अरेंज्ड़ मैरिज के लिए कहा गया तो उन्होंने 'अरेंज्ड़ मैरिज' की परंपरा के खिलाफ जाकर एक नया तरीका अपनाया. उन्होंने अपने होने वाले पति को दो पन्नों में अपने बारे में, और अपने होने वाले पति से वो क्या चाहती हैं, ये सबकुछ लिख डाला. उधर से जवाब आया 3 पन्नों में, जवाब के साथ में सवाल भी पूछे गए थे.

और जान पहचान के पहले सप्ताह में ही उनके बीच 80 ईमेल साझा हुए, जिसमें दोनों ने एक दूसरे से उनकी प्राथमिकताओं, जीवनसाथी से अपेक्षाओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में बात की. नजरीन ने ऐसे कई सवाल पूछे कि- कामकाजी महिलाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं? अपशब्दों का क्या मतलब है? आप बच्चे कब चाहते हैं? वगैरह वगैरह...और उन्हें सारे सवालों के जवाब मिलते रहे. फिर क्या दो महीने में ढ़ेर सारे पत्र, स्काइप पर बात, और एक मुलाकात में बात पक्की हो गई. अगस्त में दोनों की शादी हो गई और नजरीन अब अपने पति के साथ बेहद खुश हैं.

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 शदी के बाद सउदी अरब सैटल हो गईं हैं नजरीन

अपनी पोस्ट में नजरीन लिखती हैं-

- '' हमारा देसी समाज बड़ा अजीब है. हम सदियों से रेस्त्रां में अपनी पसंद का खाना ऑर्डर करते आए हैं, लेकिन जब बात जीवनसाथी चुनने की होती है तो उम्मीदें की जाती हैं कि लड़का लड़की कुछ देर के लिए मिलें और बात पक्की हो जाए. कहीं-कहीं तो हालात इतने बुरे हैं कि शादी से पहले दुल्हा दुल्हन मिलते भी नहीं. लड़के और लड़की के मां-बाप ही अपने बच्चों के जीवन के फैसले लेते हैं. इसका क्या मतलब है, जबकि जीवन तो आपको जीवनसाथी के साथ बिताना है. शादी के बाद आपको पता चले कि आपके पति को बच्चे नहीं चाहिए, या उसे पहले ही साल में बच्चा चाहिए, तो ? धर्म, पैसा, बच्चे, अधिकार और जिम्मेदारी के बारे में आपका जीवनसाथी क्या सोचता है, ये सब जाने बगैर, उसके साथ कैसे जीवन बिता सकते हो?

- कुरान में जीवनसाथी की तुलना शरीर के वस्त्रों से की गई है. वस्त्र शरीर को ढ़ंकते हैं, बाहरी चीजों से बचाते हैं, वो शरीर के सबसे करीबी होते हैं. ठीक उसी तरह पति भी. लेकिन पति एक वस्त्र नहीं हो सकता जिसे कोई दूसरा आपके लिए पसंद करे. माता-पिता से उनकी राय जरूर लें, लेकिन आंख बंद करके उनकी पसंद को न स्वीकारें. खुद की पसंद को अहमियत दें.  

- जिन्हें जीवनसाथी की तलाश है वो इसे गंभीरता से लें. शादी की डेडलाइन और लोग क्या कहेंगे, ये भूल जाएं. ये वही लोग हैं जो आपके कंवारा होने पर ताने तो देते हैं, लेकिन अगर आपकी शादीशुदा जिंदगी में कोई परेशानी आती है तो यही लोग मुंह मोड़ लेते हैं.  

- आपका जीवनसाथी जिसे आप चुनते हैं वो आपके जीवन के भावनात्मक, आध्यात्मिक, प्रोफेशनल पहलू, यहां तक कि आपके शारीर पर भी प्रभाव डालता है, इसलिए लोगों के लिए बेहतर ये है कि शादी की बात पक्की होने से पहले ही सारी बातें पहले से जान लें, शादी टूटने के बाद नहीं.''   

ये भी पढ़ें- मैरिटल रेप जैसी कोई चीज होती ही नहीं !

जो कुछ भी नजरीन ने कहा वो सामान्य सी बात ही तो है, जिसे हम सब अच्छी तरह से जानते भी हैं, लेकिन जब बात अरेंज्ड मैरिज की हो तो ये सारी बाते हवाहवाई हो जाती हैं, क्योंकि लड़का माता-पिता की पसंद का होता है. लेकिन यहां नजरीन ने जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखी उससे हजारों लोगों ने अपनी जीवन में शामिल करने की सीख ली. नजरीन की इस पोस्ट को महिलाएं बढ़-चढ़कर शेयर कर रही हैं और उनके कमेंट्स बता रहे हैं कि अब उनका आने वाला कल कैसा होगा.

आज मुस्लिम महिलाओं की दशा की तह में कहीं न कहीं यही सब मसले दबे हैं, शादी से पहले ही अगर इन मसलों पर चर्चा कर ली जाए तो ये चर्चा किसी भी शादी के लिए एक मजबूत आधार बन सकती है और शादीशुदा जीवन को पॉजिटिविटी दे सकती है. बहुविवाह हो, घरेलू हिंसा हो या फिर तीन तलाक, मुस्लिम महिलाओं के लिए ये मुद्दे, फिर मुद्दे रहेंगे ही नहीं, है न ?

ये भी पढ़ें- तीन तलाक : इलाहाबाद हाईकोर्ट की बात विचार से ज्‍यादा कुछ नहीं

नजरीन की पूरी पोस्ट यहां पढ़िए-

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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