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Yogi Adityanath जुट गये हैं हर वोट बैंक को अपना बनाने की कोशिश में

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    • Updated: 27 जून, 2020 11:00 PM
  • 27 जून, 2020 11:00 PM
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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की नजर हर वोट बैंक पर जा टिकी है. प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों के बाद यूपी बोर्ड (UP Board Exam Results) के छात्रों के नाम पर सड़क बनवाने की घोषणा के पीछे 2022 चुनावों (Election 2022) को लेकर उनकी दूरगामी सोच लगती है.

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)ने यूपी बोर्ड (P Board Exam Results) में टॉप करने वाले छात्रों को जो सम्मान दिया है, निश्चित तौर पर वे ताउम्र सहेज कर रखना चाहेंगे. लैप टॉप तो अखिलेश यादव सरकार ने भी दिया था, लेकिन एक लाख रुपये के कैश अवॉर्ड से भी कहीं ज्यादा मायने रखता है टॉपर छात्रों के घर जाने वाली सड़क को उनके नाम किये जाने की घोषणा - ये जान कर छात्र और उनके घर परिवार के लोग तो फूले नहीं समा रहे होंगे, सड़क बनाये जाने की बात सुनकर तो मोहल्ले वाले भी इतराते इठलाते ही होंगे.

ये तो मानना ही पड़ेगा कि योगी आदित्यनाथ ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह दूरगामी सोच के तहत नये वोटर से कनेक्ट होने की जबरदस्त कोशिश की है - ये तो मालूम ही होना चाहिये कि 2022 तक (Election 2022) 12वीं का इम्तेहान देने वाले सभी छात्र वोटर लिस्ट में शामिल हो चुके होंगे.

ये तो सबसे बड़ा सम्मान है

2019 के आम चुनाव के काफी पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21वीं सदी के वोटर से जुड़ने की कोशिश करने लगे थे. मोदी की मोटिवेशन से भरी एग्जाम वॉरियर किताब और प्रोग्राम आयोजित कर छात्रों से संवाद करना और उनको परीक्षा को लेकर सहज होने के लिए तैयार करना - लगता है ये सब योगी आदित्यनाथ बड़े गौर से देख रहे थे. तभी तो योगी ने 10वीं और 12वीं के यूपी बोर्ड का रिजल्ट आने से पहले ही ट्विटर के जरिये अपना मैसेज शेयर किया.

हर इम्तिहान, इम्तिहान ही होता है. योगी आदित्यनाथ ने पहले से ही छात्रों की हौसलाअफजाई शुरू कर दी थी, ताकि असफल होने की स्थिति में भी वे निराश न हों - और जब नतीजे आये... फिर तो लगा जैसे पुरस्कार और सम्मान की बारिश हो रही हो.

मालूम हुआ कि अनुराग मलिक और रिया जैन के घर तक जाने वाली सड़क अब उनके नाम से जानी जाएगी. अनुराग मलिक ने 12वीं तो रिया जैन ने 10वीं की यूपी बोर्ड की परीक्षा में...

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)ने यूपी बोर्ड (P Board Exam Results) में टॉप करने वाले छात्रों को जो सम्मान दिया है, निश्चित तौर पर वे ताउम्र सहेज कर रखना चाहेंगे. लैप टॉप तो अखिलेश यादव सरकार ने भी दिया था, लेकिन एक लाख रुपये के कैश अवॉर्ड से भी कहीं ज्यादा मायने रखता है टॉपर छात्रों के घर जाने वाली सड़क को उनके नाम किये जाने की घोषणा - ये जान कर छात्र और उनके घर परिवार के लोग तो फूले नहीं समा रहे होंगे, सड़क बनाये जाने की बात सुनकर तो मोहल्ले वाले भी इतराते इठलाते ही होंगे.

ये तो मानना ही पड़ेगा कि योगी आदित्यनाथ ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह दूरगामी सोच के तहत नये वोटर से कनेक्ट होने की जबरदस्त कोशिश की है - ये तो मालूम ही होना चाहिये कि 2022 तक (Election 2022) 12वीं का इम्तेहान देने वाले सभी छात्र वोटर लिस्ट में शामिल हो चुके होंगे.

ये तो सबसे बड़ा सम्मान है

2019 के आम चुनाव के काफी पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21वीं सदी के वोटर से जुड़ने की कोशिश करने लगे थे. मोदी की मोटिवेशन से भरी एग्जाम वॉरियर किताब और प्रोग्राम आयोजित कर छात्रों से संवाद करना और उनको परीक्षा को लेकर सहज होने के लिए तैयार करना - लगता है ये सब योगी आदित्यनाथ बड़े गौर से देख रहे थे. तभी तो योगी ने 10वीं और 12वीं के यूपी बोर्ड का रिजल्ट आने से पहले ही ट्विटर के जरिये अपना मैसेज शेयर किया.

हर इम्तिहान, इम्तिहान ही होता है. योगी आदित्यनाथ ने पहले से ही छात्रों की हौसलाअफजाई शुरू कर दी थी, ताकि असफल होने की स्थिति में भी वे निराश न हों - और जब नतीजे आये... फिर तो लगा जैसे पुरस्कार और सम्मान की बारिश हो रही हो.

मालूम हुआ कि अनुराग मलिक और रिया जैन के घर तक जाने वाली सड़क अब उनके नाम से जानी जाएगी. अनुराग मलिक ने 12वीं तो रिया जैन ने 10वीं की यूपी बोर्ड की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया है.

योगी आदित्यनाथ सरकार ने 10वीं और 12वीं में टॉप करने वाले 20-20 छात्रों के घर तक जाने वाली सड़क का नाम उनके नाम पर होगा. जहां पक्की सड़क नहीं होगी वहां राज्य का लोक निर्माण विभाग पक्की सड़क बनवाएगा और फिर उसका नाम मेधावी छात्र के नाम पर होगा.

अब तक ऐसा सम्मान नेताओं, तमाम फील्ड की हस्थियों और देश के नाम पर जान कुर्बान करने वाले शहीदों को मिलता रहा है, लेकिन यूपी सरकार का मेधावी छात्रों को ये सम्मान देना तारीफ के काबिल है. निश्चित तौर पर छात्रों में ये सम्मान हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और बेहतर नतीजे भी देखने को मिलेंगे.

अब छात्रों को अच्छे अंक लाने पर अच्छे कॉलेज में एडमिशन या लैप टॉप जैसी चीजें या फिर कोई कैश अवॉर्ड मिल जाने की उम्मीद रहती होगी. बाकी आम छात्रों के लिए परीक्षा में पास होने का मकसद नौकरी पाना रहता है - लेकिन यूपी सरकार के इस प्रोत्साहन से काफी संख्या में छात्रों के बीच आगे बढ़ने की ललक पैदा होगी, ऐसा लगता है.

योगी आदित्यनाथ ने यूपी बोर्ड टॉप करने वाले छात्रों को सबसे बड़ा अवॉर्ड दे दिया है

एक खास बात और जो यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बतायी है, 'इस बात की घोषणा कर रहा हूं कि प्रदेश के जो टॉप-20 स्टूडेंट्स होंगे... उनके घर तक की शानदार सड़क उनके नाम से बनवाएंगे... फिर चाहे वे स्टूडेंट्स यूपी बोर्ड के हों, सीबीएसई बोर्ड के हों या फिर आईसीएसई बोर्ड के हों - उत्तर प्रदेश के जो भी 20 बच्चे टॉप लिस्ट में आएंगे, उनके नाम से सड़क बनेगी.'

आखिर बोर्ड की परीक्षा पास करने वाले लाखों छात्रों को लैप टॉप भी तो वोट के लिए ही बांटे थे. छात्राओं को साइकल देने की स्कीम का मकसद भी तो वही रहा - अब अगर वैसा ही काम योगी आदित्यनाथ भी करते हैं तो उनके किसी राजनीतिक विरोधी को आपत्ति तो नहीं ही होनी चाहिये, बल्कि शुक्रिया के दो शब्द ही कहने चाहिये.

चुनावी मोड में योगी आदित्यनाथ

फरवरी, 2020 में चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक 45 लाख नये वोटर एलेक्टोरल रोल में शामिल किये गये थे - और अब तो यूपी बोर्ड की परीक्षा देने वाले करीब 24 लाख छात्रों के नाम 2022 के विधानसभा चुनाव की वोटर लिस्ट में दर्ज तो होगा ही. 2020 की इंटरमीडिएट परीक्षा में 23 लाख 98 हजार 802 छात्र शामिल हुए थे - और परीक्षा छोड़ देने वाले छात्रों की संख्या भी काफी बड़ी थी. सब के सब न सही, लेकिन कुछ छात्रों को योगी आदित्यनाथ अपनी तरफ खींचने में कामयाब तो होंगे.

अब तक मोदी-शाह की जोड़ी यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट साथी भी अमित शाह के बारे में माना जाता रहा कि वे चुनावी मशीन की तरह दिन रात काम करते हैं, लेकिन बीजेपी की उसी लिस्ट में अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी देखने को मिल सकता है.

योगी आदित्यनाथ भी अब मोदी-शाह की तरह 24x7 चुनावी मोड में आ चुके हैं - यूपी विधानसभा के चुनाव में अभी काफी वक्त है, लेकिन योगी आदित्यनाथ को तो बस अर्जुन की तरह मछली की आंख पर नजर टिक गयी है.

कहने की जरूरत नहीं, राजनीति अपनी जगह है लेकिन गोरखपुर लोक सभा सीट पर हार को योगी आदित्यनाथ ने कैसे बर्दाश्त किया होगा, वही जानते होंगे. ये भी महत्वपूर्ण है कि अगले ही चुनाव में उपचुनाव की हार का बदला भी ले लिया - फिर भी योगी कभी शांत होकर नहीं बैठे. मोदी लहर की बदौलत ही सही, 2019 के चुनाव में उपचुनावों में हारी हुई सीटें बीजेपी की झोली में भर देना, सपा-बसपा गठबंधन को 15 सीटों तक सीमित कर देना और कांग्रेस की दो में एक सीट हथिया लेना कोई मामूली बात तो नहीं ही है.

कभी कानून व्यवस्था तो कभी महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में बीजेपी नेताओं के आरोपी बनने और सजा पाने से योगी आदित्यनाथ की फजीहत भी खूब हुई, लेकिन कोरोना वायरस की मुश्किल को योगी आदित्यनाथ ने मौके में तब्दील तो कर ही लिया - ये तो मानना ही पड़ेगा. प्रवासी मजदूरों को घर वापस लाने के बाद योगी आदित्यनाथ उनके लिए रोजगार के इंतजाम कर रहे हैं - जो 2022 के हिसाब से उनका सपोर्ट बेस ही तैयार हो रहा है. प्रवासी मजदूरों के साथ साथ योगी आदित्यनाथ ने लॉकडाउन में फंसे यूपी के छात्रों को भी वापस लाकर उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया - और पहुंचने के बाद भी हर जिले के शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि अफसर बच्चों से फोन कर पूछते रहें कि किसी चीज की जरूरत तो नहीं है - ये कम है क्या?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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