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योगी आदित्यनाथ को मोदी के सर्टिफिकेट के बाद शाह की शाबाशी भी मिल गयी !

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 01 अगस्त, 2021 08:53 PM
  • 01 अगस्त, 2021 08:52 PM
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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को दिल्ली दौरे में ग्रीन सिग्नल मिल जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने तो बनारस में तारीफों के पुल बांधे ही थे - अब दोहराते हुए अमित शाह (Amit Shah) ने भी लखनऊ और मिर्जापुर पहुंच कर मुहर भी लगा दी है.

यूपी में बीजेपी के चुनावी मुहिम की शुरुआत तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वाराणसी से कर ही दी थी, अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) लखनऊ, मिर्जापुर और वाराणसी का ताबड़तोड़ दौरा कर आगे बढ़ा रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के कामकाज, खासकर कोरोना संकट के दौरान, की खूब तारीफ की है - और बताया कि उत्तर प्रदेश देश में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया है.

अमित शाह ने अस्पताल जाकर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से भी मुलाकात की है - और उनके योगदानों के बारे में ट्विटर पर लिखा भी है. बीजेपी के अयोध्या आंदोलन में यूपी के सीएम रहते प्रमुख भूमिका निभाने वाले कल्याण सिंह कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं, हालांकि, उनकी स्थिति स्थिर बतायी जा रही है.

यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की उपलब्धियों की गाथा सुनाने के साथ साथ अमित शाह ने विपक्षी नेताओं खास तौर पर समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की - परिवारवाद की राजनीति का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब जनता मुश्किल में होती है तो ये लोग दिखायी तक नहीं देते - मिर्जापुर में अमित शाह ने कहा कि पहले कई काम वोट बैंक की राजनीति के चलते नहीं हुए, लेकिन भाजपा वोट बैंक की राजनीति से नहीं डरती.

यूपी में बीजेपी की सत्ता में वापसी का दावा करते हुए अमित शाह ने यहां तक बोल दिया है कि विपक्ष अब अपनी करारी हार का मन बना ले. अमित शाह का ये बयान तब आया है जब विपक्षी खेमे में भी गठबंधन की चर्चा शुरू हो चुकी है.

योगी को मिला शाह का भी आशीर्वाद

मिशन यूपी 2022 के तहत लखनऊ पहुंचे अमित शाह को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ में करीब करीब वैसे ही कसीदे पढ़ते...

यूपी में बीजेपी के चुनावी मुहिम की शुरुआत तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वाराणसी से कर ही दी थी, अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) लखनऊ, मिर्जापुर और वाराणसी का ताबड़तोड़ दौरा कर आगे बढ़ा रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के कामकाज, खासकर कोरोना संकट के दौरान, की खूब तारीफ की है - और बताया कि उत्तर प्रदेश देश में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया है.

अमित शाह ने अस्पताल जाकर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से भी मुलाकात की है - और उनके योगदानों के बारे में ट्विटर पर लिखा भी है. बीजेपी के अयोध्या आंदोलन में यूपी के सीएम रहते प्रमुख भूमिका निभाने वाले कल्याण सिंह कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं, हालांकि, उनकी स्थिति स्थिर बतायी जा रही है.

यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की उपलब्धियों की गाथा सुनाने के साथ साथ अमित शाह ने विपक्षी नेताओं खास तौर पर समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की - परिवारवाद की राजनीति का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब जनता मुश्किल में होती है तो ये लोग दिखायी तक नहीं देते - मिर्जापुर में अमित शाह ने कहा कि पहले कई काम वोट बैंक की राजनीति के चलते नहीं हुए, लेकिन भाजपा वोट बैंक की राजनीति से नहीं डरती.

यूपी में बीजेपी की सत्ता में वापसी का दावा करते हुए अमित शाह ने यहां तक बोल दिया है कि विपक्ष अब अपनी करारी हार का मन बना ले. अमित शाह का ये बयान तब आया है जब विपक्षी खेमे में भी गठबंधन की चर्चा शुरू हो चुकी है.

योगी को मिला शाह का भी आशीर्वाद

मिशन यूपी 2022 के तहत लखनऊ पहुंचे अमित शाह को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ में करीब करीब वैसे ही कसीदे पढ़ते सुना गया, जैसे कुछ दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से वाराणसी में सुनायी दिये थे.

जैसे बीजेपी में अब तक 'मोदी-मोदी' गूंज सुनायी देती रही है, हो सकता है ये चुनावी माहौल का असर हो, प्रधानमंत्री मोदी के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण में भी वही अंदाज दिखाई दे रहा है, जैसे 'योगी-योगी' के नारे लगाये जा रहे हों - कानून-व्यवस्था के मुद्दे से लेकर विकास के मामले में भी.

अमित शाह का भाषण सुन कर तो ऐसा लग रहा है जैसे 2014 के गुजरात मॉडल की तरह 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कोई 'यूपी मॉडल' पेश करने की तैयारी चल रही हो.

लखनऊ पहुंच कर अमित शाह ने समझाया - कैसे योगी आदित्यनाथ ने देश में यूपी का नाम रोशन किया है!

प्रधानमंत्री मोदी का ज्यादा जोर तो कोरोना काल में योगी आदित्यनाथ के कामकाज को लेकर पीठ थपथपाने पर ही रहा, अमित शाह तो कानून-व्यवस्था से लेकर विकास योजनाओं के अमल तक के मामले में योगी सरकार की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं - अमित शाह का भाषण सुन कर तो ऐसा लगता है जैसे योगी सरकार विकास कार्यों के मामलें केंद्र की मोदी सरकार को भी पीछे छोड़ चुकी है!

ऐसा क्यों लगता है जैसे मोदी-शाह मिल कर ये जताने की कोशिश कर रहे हों कि बीजेपी नेतृत्व के फरमानों को लेकर हाल फिलहाल जिस तरह योगी आदित्यनाथ पेश आये उसे नजरअंदाज कर वे आगे की तरफ देख रहे हैं - और अब लोग भी इसे बीजेपी की तरफ से ये संदेश समझें की यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक ठाक है.

तभी तो कोरोना कंट्रोल को लेकर सिर्फ योगी आदित्यनाथ का नाम लिया जाता है. अब तो अरविंद शर्मा के कोरोना कंट्रोल के वाराणसी मॉडल का कोई नामलेवा भी नहीं नजर आ रहा है - न मोदी, न शाह. फिर बाकियों की कौन कहे.

अमित शाह ने दावा किया कि योगी आदित्यनाथ की टीम कोरोना प्रबंधन में ठीक से निपटी है. ये दावा भी ऐसे वक्त किया जा रहा है जब खबर आयी है कि प्रयागराज के फाफामऊ घाट पर कोरोना संकट के दौरान दफनाये गये शव रेत से बाहर निकल आ रहे हैं - और नगर निगम के अफसर शवों के अंतिम संस्कार में जुटे हुए हैं. अब तक ऐसे 50 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

अमित शाह ने ये भी दावा किया कि योगी सरकार ने अब तक के साढ़े चार साल के अपने कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को दो गुणा कर दिया है. कहते हैं, 'आज देश में चल रही विकास की 44 योजनाओं में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है.'

योगी आदित्यनाथ को लेकर अपनी बातों को बल प्रदान करने के लिए अमित शाह को बार बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकार की खामियों की तरफ ध्यान भी दिलाना पड़ रहा है. कहते हैं, 'बाढ़ आने पर, कोरोना के संकट के वक्त, किसानों के भूख से मरने पर ये लोग दिखाई नहीं पड़ते.. जब किसानों के कर्ज माफ करने थे तो आप मौज-मस्ती में व्‍यस्‍त थे - लेकिन चुनाव नजदीक आएगा तब आप जरूर दिखेंगे.'

लखनऊ के बाद मिर्जापुर पहुंचे अमित शाह के निशाने पर विपक्ष ही रहा, 'अखिलेश भाई आप 15 साल का हिसाब लेकर आओ... जनता आपको माफ नहीं करेगी. सपा-बसपा सब एक साथ आ गये थे... फिर भी जनता का आशीर्वाद कम नहीं हुआ... मुझे विश्वास है 2022 के चुनाव में योगी जी को आपका आशीर्वाद फिर मिलेगा.'

कानून के राज पर जोर यानी निशाने पर विपक्ष

लखनऊ के पिपरसंड में स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज के शिलान्यास के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने योगी सरकार और उनके पहले की सरकारों के दौरान यूपी के कानून-व्यावस्था की अपने हिसाब से तुलना भी पेश की.

अमित शाह ने यूपी की कानून व्यवस्था को देश भर में बेहतरीन बताया और याद दिलाया कि अखिलेश यादव के इनवेस्टमेंट समिट के लिए दिल्ली जाना पड़ता था. लगे हाथ लोगों को आगाह करने की भी कोशिश की, 'चुनाव होने पर कुछ लोग नये कपड़े पहन कर आ जाते हैं... उनसे सावाधन रहें.'

अमित शाह के भाषण में कानून के राज पर काफी ज्यादा जोर दिखा. अब तक ये देखने में आया है कि मायावती का भी राजनीतिक समीकरणों के साथ साथ अपने शासन में बेहतर कानून व्यवस्था की याद दिलाने पर भी बहुत जोर रहता है. मायावती एक बार फिर से अपने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को आजमाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं - दलितों के साथ साथ ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक. हालांकिं, प्रियंका गांधी के कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की जगह गठबंधन की पैरवी करने के बाद ऐसा लगने लगा है कि विपक्षी खेमे में हाथ मिलाने की परदे के पीछे से कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. अगर ऐसा वास्तव में हो पाया तो निश्चित तौर पर योगी आदित्यनाथ की मुश्किल हो सकती है. वैसे भी आम चुनाव में ये तो महसूस हुआ ही था कि अगर कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन को नुकासान नहीं पहुंचाया होता तो बीजेपी काफी घाटे में हो सकती थी.

अमित शाह ने कहा, 'पहले उत्तर प्रदेश में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं... माफिया अवैध तरीके जमीनों पर कब्जा किया करते थे... योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को आगे ले जाने का काम किया है.'

माकूल मौका देख योगी आदित्यनाथ ने बताया, '2017 से पहले उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बदहाल थी... माफिया राज इतना हावी था कि आज जिस जमीन पर हम इंस्टिट्यूट की स्थापना कर रहे हैं... 142 एकड़ भूमि पर एक माफिया कब्जा करने जा रहा था - हमने कार्रवाई कि और माफिया उस जमीन से भाग गया.'

अमित शाह ने भी योगी की बातों को एनडोर्स किया, 'पहले का उत्तर प्रदेश मुझे ठीक से याद है. आज 2021 में जब मैं यहां हूं तो गर्व से कह सकता हूं कि योगी आदित्यनाथ ने बेहतर कानून व्यवस्था के लिहाज से देश में उत्तर प्रदेश का नाम ऊंचा किया है...'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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