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Yogi Adityanath: हे भगवाधारी तुमको सलाम है

    • अबयज़ खान
    • Updated: 22 अप्रिल, 2020 05:23 PM
  • 22 अप्रिल, 2020 05:23 PM
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पिता की मृत्यु हो जाने के बावजूद यूपी के सीएम योगीआदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं गए बल्कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के इस दौर में उनकी प्राथमिकता प्रदेश वासियों की सुरक्षा और उन्हें महामारी से दूर रखना है.

भगवा वस्त्र, भगवा गमछा, लेकिन तेवर तीखे...जब भी आप टीवी खोलेंगे आपको ये शख्स कुछ लोगों के साथ मंथन करता हुआ नज़र आएगा. नाम योगी आदित्य नाथ (Yogi Adityanath). मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश. मेरी विचारधारा हालांकि इनसे एकदम उलट है. लेकिन कोरोना के इस संकट भरे दौर में जब इस आदमी को दौड़ते भागते देखता हूं तो कायल हो जाता हूं. कई बार सोचा कि तारीफ़ में कुछ लिखूं. लेकिन फिर सोचा कि मुख्यमंत्री (Chief Minister) हैं इनका तो काम ही है काम करना और मैं भी तो पत्रकार होकर रोज दफ़्तर आ रहा हूं तो ये कौन सा बड़ा काम कर रहे हैं. अगर ये मुख्यमंत्री हैं तो जिम्मेदारी भी तो इनकी है. इधर अखबार और मीडिया में इनके पिताजी की तबीयत की खबरें चलती रहीं. लेकिन बन्दा कोरोना (Coronavirus) के आगे डटा रहा. फिर वो दिन भी आया जब ये मनहूस ख़बर आयी कि उनके पिताजी कैलाशवासी हो गए. अभी खबर आयी थी और उंगलियां इस ख़बर को टाइप ही कर रही थीं, तभी एएनआई पर कुछ तस्वीरें आने लगीं, जिसमें योगी और कोरोना पर उनकी टीम इलेवन मंथन कर रही थी.

तस्वीरें देखकर मुझे हैरानी हुई कि जिस बंदे के पिताजी का निधन हो गया है, वो अभी भी बैठकों में लगा है, अफ़सरों से इस बात पर चर्चा कर रहा है कि कोरोना के इस संकट से सूबे को कैसे निकाला जाये. फिर थोड़ी देर में खबर आयी कि कोरोना में लॉकडाउन की वजह से योगी अपने पिताजी के आखिरी दर्शन करने नहीं जाएंगे. हालांकि उनके लिये ये कोई मुश्किल नहीं था. उनको कौन रोकने वाला था. लेकिन इसका कोई ग़लत संदेश ना जाए ये देखते हुए बंदे ने वहां ना जाने का फैसला किया और ऐसा फैसला करना आसान नहीं होता.

कोरोना के इस डर भरे माहौल में वैसे तो पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, तेलंगाना और केरल की सरकारें भी बहुत अच्छा काम कर रही हैं. लेकिन जो चुनौतियां उत्तर प्रदेश में हैं वैसी कहीं नहीं हैं. इसलिए फ़िलहाल बात यूपी की ही जाये. यूपी में मुख्यमंत्री योगी ने कुछ फ़ैसले भले ही बहुत कठोर लिए, कुछ फैसलों पर मुझे भी ऐतराज़ था. कुछ लोगों पर पुलिस ने बिना वजह सख्ती भी की. लेकिन कोरोना के...

भगवा वस्त्र, भगवा गमछा, लेकिन तेवर तीखे...जब भी आप टीवी खोलेंगे आपको ये शख्स कुछ लोगों के साथ मंथन करता हुआ नज़र आएगा. नाम योगी आदित्य नाथ (Yogi Adityanath). मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश. मेरी विचारधारा हालांकि इनसे एकदम उलट है. लेकिन कोरोना के इस संकट भरे दौर में जब इस आदमी को दौड़ते भागते देखता हूं तो कायल हो जाता हूं. कई बार सोचा कि तारीफ़ में कुछ लिखूं. लेकिन फिर सोचा कि मुख्यमंत्री (Chief Minister) हैं इनका तो काम ही है काम करना और मैं भी तो पत्रकार होकर रोज दफ़्तर आ रहा हूं तो ये कौन सा बड़ा काम कर रहे हैं. अगर ये मुख्यमंत्री हैं तो जिम्मेदारी भी तो इनकी है. इधर अखबार और मीडिया में इनके पिताजी की तबीयत की खबरें चलती रहीं. लेकिन बन्दा कोरोना (Coronavirus) के आगे डटा रहा. फिर वो दिन भी आया जब ये मनहूस ख़बर आयी कि उनके पिताजी कैलाशवासी हो गए. अभी खबर आयी थी और उंगलियां इस ख़बर को टाइप ही कर रही थीं, तभी एएनआई पर कुछ तस्वीरें आने लगीं, जिसमें योगी और कोरोना पर उनकी टीम इलेवन मंथन कर रही थी.

तस्वीरें देखकर मुझे हैरानी हुई कि जिस बंदे के पिताजी का निधन हो गया है, वो अभी भी बैठकों में लगा है, अफ़सरों से इस बात पर चर्चा कर रहा है कि कोरोना के इस संकट से सूबे को कैसे निकाला जाये. फिर थोड़ी देर में खबर आयी कि कोरोना में लॉकडाउन की वजह से योगी अपने पिताजी के आखिरी दर्शन करने नहीं जाएंगे. हालांकि उनके लिये ये कोई मुश्किल नहीं था. उनको कौन रोकने वाला था. लेकिन इसका कोई ग़लत संदेश ना जाए ये देखते हुए बंदे ने वहां ना जाने का फैसला किया और ऐसा फैसला करना आसान नहीं होता.

कोरोना के इस डर भरे माहौल में वैसे तो पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, तेलंगाना और केरल की सरकारें भी बहुत अच्छा काम कर रही हैं. लेकिन जो चुनौतियां उत्तर प्रदेश में हैं वैसी कहीं नहीं हैं. इसलिए फ़िलहाल बात यूपी की ही जाये. यूपी में मुख्यमंत्री योगी ने कुछ फ़ैसले भले ही बहुत कठोर लिए, कुछ फैसलों पर मुझे भी ऐतराज़ था. कुछ लोगों पर पुलिस ने बिना वजह सख्ती भी की. लेकिन कोरोना के केस जिस तेजी से बढ़ रहे हैं और लोग लॉक डाउन तोड़ रहे हैं उसको देखते हुए ये ज़रूरी भी था.

कोरोना वायरस के इस दौर में योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता प्रदेश वासियों की सुरक्षा है

अब काम की बात की जाए तो यूपी में कोरोना के मामलों पर काफ़ी हद तक कंट्रोल हुआ है. बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, हाथरस, महाराजगंज और प्रयागराज जिले पूरी तरह से कोरोना फ्री हो गये हैं. और ये तभी मुमकिन हो पाया जब सरकार ने बेहद सख्त फ़ैसले लिए. लोगों को बेशक इन फैसलों से परेशानी हुई. लेकिन जो हुआ उसके बाद उनके लिए चैन की सांस लेने लायक माहौल तैयार हुआ है.

तारीफ़ उन पुलिस अफ़सरों और जवानों की भी जो अपनी जान पर खेलकर आपसे घरों में रहने की अपील कर रहे हैं. उन डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ़ की भी जो अपनी फ़िक्र किये बिना आपकी जान बचा रहे हैं. तारीफ़ उन लोगों की भी जो इमर्जेंसी में आपके घर तक हर ज़रूरी चीज़ पहुंचा रहे हैं. तारीफ़ उन पत्रकारों की भी जो अपना परिवार और बीवी बच्चों को छोड़कर आपके लिए ख़बर पहुंचा रहे हैं.

ये सब लिखने के पीछे मेरा मकसद योगी जी का महिमामंडन करना नहीं है. लेकिन जो शख्स दिन रात एक करके काम कर रहा है उसकी तारीफ़ में दो लफ्ज़ लिखने से मेरी क़लम घिस नहीं जाएगी? हालांकि कुछ लापरवाह अफ़सरों और कर्मचारियों की वजह से कई जगह से शिकायतें भी सामने आई हैं. लेकिन इतने बड़े प्रदेश में एक एक आदमी का वेरिफिकेशन करना मुश्किल है.

सभी को मदद पहुंचे ये तभी मुमकिन है जब इस काम में लगे अफ़सर और कर्मचारी खुद ग्राउंड पर जाकर काम करें. उम्मीद है कि अफ़सर अपने दिल से दूसरों का दर्द समझेंगें और लोगों तक जरूरत का सामान मुहैया कराएंगे. क्योंकि आज की तारीख में सबसे पहले लोगों का पेट भरना बहुत ज़रूरी है.

आखिरी बात मुस्लिम साथियों से. रमजान का महीना है. आप रोज़े रखें. अल्लाह की इबादत करें और अल्लाह के लिए कोई ऐसा काम ना करें जिससे पूरी कौम का सर शर्म से झुक जाये. रही बात रमज़ान में इफ्तार और सहरी का सामान मिलने की तो योगी सरकार ने अफसरों को आदेश दे दिया है कि इबादत के इस महीने में किसी को भी कोई परेशानी ना होने पाए.

बाकी आप लोग भरोसा रखिए अल्लाह से दुआ करिए हमें हमारे गुनाहों से माफ़ी दे और कोरोना के इस अजाब से हमे जल्द से जल्द निजात दिलाए. और हां... आखिरी बार फिर कह रहा हूं कि इसको लिखने का मकसद योगी सरकार के कसीदे पढ़ना नहीं है. बल्कि जो काम हुआ है सिर्फ उसकी तारीफ़ करना ही असली मक़सद है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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