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यूपी के रास्ते दिल्ली की तैयारी कर रहे हैं नीतीश!

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 14 मई, 2016 06:13 PM
  • 14 मई, 2016 06:13 PM
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उत्तर प्रदेश में नीतीश शराबबंदी, महिला और अति पिछड़ा के भरोसे मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. इसी फॉर्मूले पर उन्होंने बिहार का चुनाव जीता था लेकिन वहां बात और थी. यूपी में समीकरण बदले हुए हैं. वैसे, यूपी के रास्ते कहीं नीतीश दिल्ली की तैयारी तो नहीं कर रहे....

शराबबंदी के मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में पैठ बनाना चाहते है. लखनऊ में 15 मई को होने वाले जनता दल यू के होनेवाले कायर्यक्रम में शराबबंदी मुख्यमुद्दा रहेगा. जाहिर है वे शराबबंदी के जरिये सपा सरकार पर हमला बोल सकते है.

हालांकि बनारस में हुए 12 मई को हुए राज्यस्तरीय राजनैतिक कार्यकर्त्ताओ के पहले सम्मलेन में उन्होंने शराबबंदी को लेकर नया नारा दिया. संघ मुक्त भारत और समाज मुक्त समाज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की मांग की. बिहार में शराबबंदी को मिल रहे समर्थन से नीतीश कुमार खासे उत्साहित हैं. खासकर सत-प्रतिशत महिलाओ के समर्थन में तो कोई शक नहीं है. JD के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्हें लगता है की देश का माहौल भी लगभग यही होगा. इसलिए वो इस मुद्दे के जरिये पहले उत्तरप्रदेश को साधना चाहते है फिर देश को.

 

उत्तर प्रदेश में नीतीश शराबबंदी, महिला और अति पिछड़ा के भरोसे मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. हालांकि इसी फॉर्मूले पर उन्होंने बिहार का चुनाव जीता था लेकिन वहां बात और थी. बिहार में महागठबंधन बना. जेडीयू के अलावा आरजेडी और कांग्रेस का साथ मिला जिसकी वजह से अल्पसंख्यक वोटों का बिखराव रुका. उत्तर प्रदेश में ये स्थिति नहीं दिखती. यहां जेडीयू के किसी से गठबंधन की कोई सूरत नहीं दिखती. तभी तो पार्टी के महासचिव के सी त्यागी कहते है की जेडीयू अकेले ही उत्तर प्रदेश के मैदान में उतरेगी.

जेडीयू और अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के साथ विलय की हवा उड़ी थी लेकिन अब इसकी कोई संभावना नहीं दिखती. हालांकि मर्जर का प्रस्ताव अजित सिंह की पार्टी की तरफ से ही था लेकिन खत्म भी...

शराबबंदी के मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में पैठ बनाना चाहते है. लखनऊ में 15 मई को होने वाले जनता दल यू के होनेवाले कायर्यक्रम में शराबबंदी मुख्यमुद्दा रहेगा. जाहिर है वे शराबबंदी के जरिये सपा सरकार पर हमला बोल सकते है.

हालांकि बनारस में हुए 12 मई को हुए राज्यस्तरीय राजनैतिक कार्यकर्त्ताओ के पहले सम्मलेन में उन्होंने शराबबंदी को लेकर नया नारा दिया. संघ मुक्त भारत और समाज मुक्त समाज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की मांग की. बिहार में शराबबंदी को मिल रहे समर्थन से नीतीश कुमार खासे उत्साहित हैं. खासकर सत-प्रतिशत महिलाओ के समर्थन में तो कोई शक नहीं है. JD के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्हें लगता है की देश का माहौल भी लगभग यही होगा. इसलिए वो इस मुद्दे के जरिये पहले उत्तरप्रदेश को साधना चाहते है फिर देश को.

 

उत्तर प्रदेश में नीतीश शराबबंदी, महिला और अति पिछड़ा के भरोसे मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. हालांकि इसी फॉर्मूले पर उन्होंने बिहार का चुनाव जीता था लेकिन वहां बात और थी. बिहार में महागठबंधन बना. जेडीयू के अलावा आरजेडी और कांग्रेस का साथ मिला जिसकी वजह से अल्पसंख्यक वोटों का बिखराव रुका. उत्तर प्रदेश में ये स्थिति नहीं दिखती. यहां जेडीयू के किसी से गठबंधन की कोई सूरत नहीं दिखती. तभी तो पार्टी के महासचिव के सी त्यागी कहते है की जेडीयू अकेले ही उत्तर प्रदेश के मैदान में उतरेगी.

जेडीयू और अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के साथ विलय की हवा उड़ी थी लेकिन अब इसकी कोई संभावना नहीं दिखती. हालांकि मर्जर का प्रस्ताव अजित सिंह की पार्टी की तरफ से ही था लेकिन खत्म भी वही से हुआ. इस हवा से जेडीयू को तो को फायदा नहीं मिला. लेकिन राजनीति के हासिये पर खड़े अजित सिंह को जरूर संजीवनी मिल गई. बीजेपी में उनकी पूछ बढ़ गई. यूपी की सियासत में समाजवादी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी एक मजबूत धुरी के रूप में पहले से ही मौजूद हैं. तीनो की संगठन की जड़े भी काफी गहरी हैं.

इसलिए जेडीयू के नेता भी मानते है की लड़ाई आसान नहीं है. लेकिन जो मुद्दे उठाये जा रहे है उसमे कुछ न कुछ सफलता जरूर मिलेगी. पार्टी उतर प्रदेश में इस बार अतिपिछड़ा कार्ड खेलने को तैयार है. साथ ही जिस तरह से बिहार के पंचायतों में महिलाओ को 50 फीसदी आरक्षण दिया, पुलिस में 35 फीसदी आरक्षण दे कर महिलाओ में अपनी पैठ बनाई तथा शराबबंदी कर महिलाओ का दिल जीता...उसी तर्ज पर उतरप्रदेश में भी महिलाओ को रिझाने की कोशिश होगी.

सवाल आधी आबादी का है. दूसरी तरफ अति पिछड़ा भी अच्छी खासी संख्या में हैं. नीतीश कुमार की अपनी जाति कुर्मी की वोटों का प्रतिशत भी करीब 8 और मौर्य 6 फीसदी हैं. यदि ये साथ खड़े हुए तो सफलता मिलनी तय मानी जा रही है. लेकिन इसको लेकर पार्टी को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. खासकर संगठन के मामले में. दूसरी बात उतर प्रदेश में पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. हालांकि, पार्टी को उम्मीद है. लेकिन इतना तय है की जेडीयू बहुत ज्यादा अगर न सही तो प्रदेश में अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज कराएगी.

वैसे, इसके लिए बिहार में बहुत अच्छा काम करना होगा. खासकर अपराध नियंत्रण के क्षेत्र में. सीवान में पत्रकार की हत्या, गया में रोड रेज जैसी घटनाओ को रोकना होगा. जिस सुशासन के लिए लोग उन्हें जानते है या फिर उत्तर प्रदेश में उन्हें सफलता दिला सकती उसको जीवित रखना होगा. तभी उत्तर प्रदेश या देश में उनकी इमेज मजबूत होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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