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आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदारों को क्या प्रधानमंत्री अपने साथ जोड़ पाएंगे

    • गोपी मनियार
    • Updated: 15 अप्रिल, 2017 05:20 PM
  • 15 अप्रिल, 2017 05:20 PM
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पाटीदारों को मनाने के लिये प्रधानमंत्री का सूरत दौरा काफी सूचक माना जा रहा है. आरक्षण को लेकर हार्दिक पटेल भी प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं. क्या आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार प्रधानमंत्री की बातें मानकर आरक्षण की मांग छोड़ देंगे?

गुजरात में लगातार आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार आज एक साल बाद भी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं, इसी साल गुजरात में चुनाव होने हैं तो ऐसे में गुजरात में पाटीदारों को मनाने की जिम्मेदारी अब खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाल ली है.

सूरत वैसे तो गुजरात की आर्थिक राजधानी है लेकिन सूरत को पाटीदारों की भी राजधानी के तौर पर माना जाता है. सूरत में जो फैसला पाटीदार लेते हैं उसका असर पूरे गुजरात के पाटीदारों पर देखने मिलता है, खासकर सौराष्ट्र के पाटीदारों पर. दरअसल प्रधानमंत्री सूरत में किरण हॉस्पिटल का उद्घाटन करने वाले हैं, किरण हॉस्पिटल समस्त पाटीदार ट्रस्ट के जरिये बनवाया गया है, जिसमें पाटीदारों के तीन बडे नाम लवजी बादशाह, महेश सवाणी और मुकेश पटेल तीनों इस अस्पताल में ट्रस्टी हैं. जो सूरत के डायमन्ड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के प्रमुख व्यापारी हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी किरण हॉस्पिटल के जरिए पाटीदारों को संबोधित करेंगे. ये वही जगह है जहां नरेन्द्र मोदी ने हॉस्पिटल का फाउंडेशन स्टोन बतौर मुख्यमंत्री 2013 में रखा था.

दरअसल गुजरात में इसी साल चुनाव होने हैं, ऐसे में पाटीदार और खासकर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति जिस तरह से बीजेपी का विरोध कर रहे हैं, उससे पाटीदार इस साल बीजेपी से अलग-थलग दिख रहे हैं. हार्दिक पटेल और उसके साथ पूरे गुजरात में आरक्षण की मांग और पाटीदारों पर हुए अत्याचार को लेकर लगातार भाजपा विरोधी हवा खड़ी कर रही है. वहीं वोटों के हिसाब से देखें तो पाटीदार गुजरात में कुल 182 में से 60 सीटों पर अपना प्रभुत्व रखते हैं.

पाटीदार का साथ ही है जो बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिये काफी अहम भूमिका अदा करता है. ऐसे में पाटीदारों पर हुए लाठी चार्ज और पाटीदार के 9 युवाओं की क्रांति रैली के बाद फैली हिंसा में मौत ने पाटीदारों और खास तौर पर पाटीदार...

गुजरात में लगातार आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार आज एक साल बाद भी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं, इसी साल गुजरात में चुनाव होने हैं तो ऐसे में गुजरात में पाटीदारों को मनाने की जिम्मेदारी अब खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाल ली है.

सूरत वैसे तो गुजरात की आर्थिक राजधानी है लेकिन सूरत को पाटीदारों की भी राजधानी के तौर पर माना जाता है. सूरत में जो फैसला पाटीदार लेते हैं उसका असर पूरे गुजरात के पाटीदारों पर देखने मिलता है, खासकर सौराष्ट्र के पाटीदारों पर. दरअसल प्रधानमंत्री सूरत में किरण हॉस्पिटल का उद्घाटन करने वाले हैं, किरण हॉस्पिटल समस्त पाटीदार ट्रस्ट के जरिये बनवाया गया है, जिसमें पाटीदारों के तीन बडे नाम लवजी बादशाह, महेश सवाणी और मुकेश पटेल तीनों इस अस्पताल में ट्रस्टी हैं. जो सूरत के डायमन्ड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के प्रमुख व्यापारी हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी किरण हॉस्पिटल के जरिए पाटीदारों को संबोधित करेंगे. ये वही जगह है जहां नरेन्द्र मोदी ने हॉस्पिटल का फाउंडेशन स्टोन बतौर मुख्यमंत्री 2013 में रखा था.

दरअसल गुजरात में इसी साल चुनाव होने हैं, ऐसे में पाटीदार और खासकर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति जिस तरह से बीजेपी का विरोध कर रहे हैं, उससे पाटीदार इस साल बीजेपी से अलग-थलग दिख रहे हैं. हार्दिक पटेल और उसके साथ पूरे गुजरात में आरक्षण की मांग और पाटीदारों पर हुए अत्याचार को लेकर लगातार भाजपा विरोधी हवा खड़ी कर रही है. वहीं वोटों के हिसाब से देखें तो पाटीदार गुजरात में कुल 182 में से 60 सीटों पर अपना प्रभुत्व रखते हैं.

पाटीदार का साथ ही है जो बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिये काफी अहम भूमिका अदा करता है. ऐसे में पाटीदारों पर हुए लाठी चार्ज और पाटीदार के 9 युवाओं की क्रांति रैली के बाद फैली हिंसा में मौत ने पाटीदारों और खास तौर पर पाटीदार महिला और पाटीदार युवाओं को बीजेपी से दूर कर दिया है.

आरक्षण की मांग को लेकर लगातार लडाई लड रहे हार्दिक पटेल ने तो सूरत कलेकटर को एक ज्ञापन भी दिया है कि वो प्रधानमंत्री को मिलना चाहते हैं, वो आरक्षण को लेकर उनके साथ बात करना चाहते हैं. हार्दिक पटेल के मुताबिक अब तक इस ज्ञापन का सूरत कलेकटर से कोई जवाब नहीं आया है.

पाटीदारों को मनाने के लिये प्रधानमंत्री का ये दौरा काफी सूचक माना जा रहा है, ये इसलिये भी सूचक है क्योंकि प्रधानमंत्री सूरत जो पाटीदारों का गढ़ है वहां रुकने वाले हैं, इतना ही नहीं दूसरे पाटीदारो को संबोधित भी करेंगे. देखना काफी दिलचस्प होगा कि आरक्षण की मांग कर रहे ये पाटीदार प्रधानमंत्री की बात को मानकर आरक्षण की मांग को छोड देंगे या फिर सरकार पाटीदारों को अपने साथ जोड़ने के लिये कोई बड़ा अहम फैसला लेती है.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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