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उत्‍तर कोरिया पर हमला करने जा रहा है अमेरिका!

    • आईचौक
    • Updated: 08 फरवरी, 2016 04:59 PM
  • 08 फरवरी, 2016 04:59 PM
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उत्तर कोरिया की हरकतें भले ही उसे दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शुमार करती हों लेकिन सिर्फ आर्थिक प्रतिबंध और धमकियों के अलावा अमेरिका ने सीधे तौर पर आज तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.

क्या अमेरिका उत्तर कोरिया पर हमला करेगा? तो जवाब है नहीं. अक्सर ही नकारात्मक और क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालने वाला उठाने के लिए जाना जाने वाले उत्‍तर कोरिया एक बार फिर से लंबी दूरी के राकेट का प्रक्षेपण करके सुर्खियों में है. अभी पिछले ही महीने उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने की घोषणा करके पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था.

उत्तर कोरिया की इस बढ़ती हुई आक्रामकता के कारण अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाने पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है. हालांकि चीन ऐसे किसी डिफेंस सिस्टम को खुद के लिए खतरे के तौर पर देखता है इसलिए इसका विरोध करता रहा है.

ऐसे में सवाल ये है कि उत्तर कोरिया को शैतान राष्ट्रों की धुरी कहने वाला अमेरिका क्या उसके खिलाफ कभी उस तरह से कार्रवाई करेगा जैसा कि उसने कभी विश्व शांति के लिए खतरे की बात कहकर इराक के खिलाफ किया था या अब सीरिया में ISIS के खिलाफ कर रहा है. आइए जानें.

अमेरिका-दक्षिण कोरिया के मिसाइल डिफेंस से चीन क्यों परेशानः

उत्तर कोरिया की हाल के दिनों में बढ़ती हुई आक्रामकता को देखते हुए अमेरिका ने एक बार से दक्षिण कोरिया पर अरबों रुपये की टर्मिनल हाई एलटिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) की तैनाती का दवाब बनाना शुरू कर दिया है. अमेरिका द्वारा विकसित इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम के तहत दुश्मन देश की छोटी, मध्यम और बैलेस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है. लेकिन इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती को लेकर चीन हमेशा से सशंकित रहा है क्योंकि उसका मानना है कि इससे खुद उसकी मिसाइलों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. चीन की नाराजगी के डर से ही अब तक दक्षिण कोरिया इस सिस्टम को लगाने में आनाकानी करता रहा है. लेकिन अब उत्तर कोरिया के एक के बाद दूसरे आक्रामक कदम से अमेरिका और दक्षिण कोरिया जल्द ही इस सिस्टम की तैनाती कर सकते हैं. यह कदम चीन को रास नहीं आएगा और ऐसे में कोरिया को लेकर अमेरिका और चीन में ठन सकती है.

क्या अमेरिका उत्तर कोरिया पर हमला करेगा? तो जवाब है नहीं. अक्सर ही नकारात्मक और क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालने वाला उठाने के लिए जाना जाने वाले उत्‍तर कोरिया एक बार फिर से लंबी दूरी के राकेट का प्रक्षेपण करके सुर्खियों में है. अभी पिछले ही महीने उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने की घोषणा करके पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था.

उत्तर कोरिया की इस बढ़ती हुई आक्रामकता के कारण अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाने पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है. हालांकि चीन ऐसे किसी डिफेंस सिस्टम को खुद के लिए खतरे के तौर पर देखता है इसलिए इसका विरोध करता रहा है.

ऐसे में सवाल ये है कि उत्तर कोरिया को शैतान राष्ट्रों की धुरी कहने वाला अमेरिका क्या उसके खिलाफ कभी उस तरह से कार्रवाई करेगा जैसा कि उसने कभी विश्व शांति के लिए खतरे की बात कहकर इराक के खिलाफ किया था या अब सीरिया में ISIS के खिलाफ कर रहा है. आइए जानें.

अमेरिका-दक्षिण कोरिया के मिसाइल डिफेंस से चीन क्यों परेशानः

उत्तर कोरिया की हाल के दिनों में बढ़ती हुई आक्रामकता को देखते हुए अमेरिका ने एक बार से दक्षिण कोरिया पर अरबों रुपये की टर्मिनल हाई एलटिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) की तैनाती का दवाब बनाना शुरू कर दिया है. अमेरिका द्वारा विकसित इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम के तहत दुश्मन देश की छोटी, मध्यम और बैलेस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है. लेकिन इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती को लेकर चीन हमेशा से सशंकित रहा है क्योंकि उसका मानना है कि इससे खुद उसकी मिसाइलों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. चीन की नाराजगी के डर से ही अब तक दक्षिण कोरिया इस सिस्टम को लगाने में आनाकानी करता रहा है. लेकिन अब उत्तर कोरिया के एक के बाद दूसरे आक्रामक कदम से अमेरिका और दक्षिण कोरिया जल्द ही इस सिस्टम की तैनाती कर सकते हैं. यह कदम चीन को रास नहीं आएगा और ऐसे में कोरिया को लेकर अमेरिका और चीन में ठन सकती है.

उत्तर कोरिया पर हमला क्यों नहीं करता अमेरिका?

उत्तर कोरिया की हरकतें भले ही उसे दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शुमार करती हों लेकिन सिर्फ आर्थिक प्रतिबंध और धमकियों के अलावा अमेरिका ने सीधे तौर पर आज तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. खुद को विश्व शांति का रक्षक कहने वाला अमेरिका आखिर एक ऐसे देश के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों बचता रहा है जिसके पास कथित तौर पर परमाणु हथियार हैं और जिसने हाल ही में हाइड्रोजन बम तक बना लिया है. यह एक ऐसा देश है जिसका शासनाध्यक्ष न सिर्फ क्रूर बल्कि एक सिरफिरा व्यक्ति है.

इस देश के बारे में कभी कोई सकारात्मक खबर सुनने को नहीं मिलती. अब जरा सोचिए, ऐसे देश के परमाणु संपन्न होने का मतलब है न सिर्फ इसके पड़ोसी मुल्क दक्षिण कोरिया बल्कि पूरी दुनिया को खतरे की ओर ढकेलना. तो अमेरिका उत्तर कोरिया के खिलाफ चुप क्यों है? वजह है, अमेरिकी हित को कोई सीधा नुकसान न होना. उत्तर कोरिया से अमेरिका को ऐसा कोई फायदा भी नहीं है जोकि उसे सीरिया और इराक में तेल की अकूत संपदा के कारण है. इसलिए इराक और सीरिया में अमेरिका ने बिना वक्त लगाए सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी जबकि उत्तर कोरिया के खिलाफ वह सिर्फ धमकियों से ही काम चलाता रहा है.

उत्तर कोरिया का मुद्दा अमेरिका के लिए वैसे ही जैसे दक्षिण पूर्व एशिया में भारत और पाकिस्तान का मुद्दा. इसीलिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली पाकिस्तान की गतिविधियों के बावजूद अमेरिका ने कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है. यानि अमेरिका दुनिया के उसी मुद्दे पर बोलता है जिससे उसका सीधा फायदा जुड़ा हो. इसे आप उसका स्वार्थी रवैया भी कह सकते हैं लेकिन यही अमेरिकी नीति है.

तो उत्तर कोरिया दुनिया को चौंकाने वाले जितने भी कारनामे करे, फिलहाल अमेरिका उस पर हमला नहीं करेगा!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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