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सियासत

भैंस पर बवाल, कुत्ते पर खामोशी, ये तो बहुत नाइंसाफी है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 17 अगस्त, 2016 08:34 PM
  • 17 अगस्त, 2016 08:34 PM
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बातों ही बातों में प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे दिन से लेकर से लेकर बुआ मायावती के हाथी तक जद में आ गये - लेकिन बातों की बाजी अगर किसी ने मारी तो था - 'कालू'

मृदुला कठेरिया का यही सवाल था - जब यूपी पुलिस आजम खान की भैंस को खोज सकती है, तो मेरे कुत्ते को क्यों नहीं? मृदुला कठेरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राम शंकर कठेरिया की पत्नी हैं.

मिसेज कठेरिया ने 'कालू' के गायब होने की शिकायत दर्ज कराने के बाद यूपी पुलिस पर ऐसे ही तंज कसा था. कठेरिया परिवार को शक था कि किसी ने उसे चुरा लिया है.

भूरा का बुरा हाल

कालू के घर न लौटने से कठेरिया का दूसरा पेट भूरा भी काफी दुखी था. दुख की उस घड़ी पूरे के खड़े रहने के बावजूद भूरा ने खाना पीना छोड़ दिया था - जो अलग से परेशानी वाली बात थी.

इसे भी पढ़ें: आखिर अखिलेश की पुलिस इतनी कमजोर कैसे हो गई?

आगरा के पुलिस कप्तान ने मिसेज कठेरिया की तहरीर मिलने के बाद इलाके के दारोगा को जिम्मेदारी सौंपी, इस हिदायत के साथ कि जल्द से जल्द कालू को ढूंढ निकाला जाए. जब मिसेज कठेरिया ने सूबे के काबीना मंत्री आजम खां और उनकी भैंस को घसीट लिया था तो पुलिस का दबाव में आना स्वाभाविक ही था.

कप्तान का हुक्म के बाद पुलिस टीम वैसे ही जुटी जैसे सर्च वारंट लेकर कर काम में लग जाती है.

आगरा से दिल्ली

कुत्ते की तस्वीर टीवी चैनल्स और सोशल मीडिया पर दिखाई जाने लगी. आगरा में तो कुछ नहीं मिला, लेकिन दिल्ली से किसी ने पुलिस को कालू जैसे दिखने वाले कुत्ते की तस्वीर भेजी. एक कुत्ते की तलाश में खाक दर खाक छानती पुलिस को देखते ही देखते तीन कुत्तों की खबर पहुंची.

तीनों कुत्ते देखने में बिलकुल एक जैसे थे - नयी मुश्किल ये खड़ी हो गयी कि उनमें कालू कौन है?

मृदुला कठेरिया का यही सवाल था - जब यूपी पुलिस आजम खान की भैंस को खोज सकती है, तो मेरे कुत्ते को क्यों नहीं? मृदुला कठेरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राम शंकर कठेरिया की पत्नी हैं.

मिसेज कठेरिया ने 'कालू' के गायब होने की शिकायत दर्ज कराने के बाद यूपी पुलिस पर ऐसे ही तंज कसा था. कठेरिया परिवार को शक था कि किसी ने उसे चुरा लिया है.

भूरा का बुरा हाल

कालू के घर न लौटने से कठेरिया का दूसरा पेट भूरा भी काफी दुखी था. दुख की उस घड़ी पूरे के खड़े रहने के बावजूद भूरा ने खाना पीना छोड़ दिया था - जो अलग से परेशानी वाली बात थी.

इसे भी पढ़ें: आखिर अखिलेश की पुलिस इतनी कमजोर कैसे हो गई?

आगरा के पुलिस कप्तान ने मिसेज कठेरिया की तहरीर मिलने के बाद इलाके के दारोगा को जिम्मेदारी सौंपी, इस हिदायत के साथ कि जल्द से जल्द कालू को ढूंढ निकाला जाए. जब मिसेज कठेरिया ने सूबे के काबीना मंत्री आजम खां और उनकी भैंस को घसीट लिया था तो पुलिस का दबाव में आना स्वाभाविक ही था.

कप्तान का हुक्म के बाद पुलिस टीम वैसे ही जुटी जैसे सर्च वारंट लेकर कर काम में लग जाती है.

आगरा से दिल्ली

कुत्ते की तस्वीर टीवी चैनल्स और सोशल मीडिया पर दिखाई जाने लगी. आगरा में तो कुछ नहीं मिला, लेकिन दिल्ली से किसी ने पुलिस को कालू जैसे दिखने वाले कुत्ते की तस्वीर भेजी. एक कुत्ते की तलाश में खाक दर खाक छानती पुलिस को देखते ही देखते तीन कुत्तों की खबर पहुंची.

तीनों कुत्ते देखने में बिलकुल एक जैसे थे - नयी मुश्किल ये खड़ी हो गयी कि उनमें कालू कौन है?

हम साथ ही साथ रह पाते हैं...

फिर तीनों कुत्तों आगरा ले जाया गया. तीनों ऐसे कि हमशक्ल फिल्म में किरदारों को पहचान लेने वाले भी चक्कर खा जाएं. हुआ भी वैसा ही. बाकियों की कौन कहे कठेरिया परिवार भी गफलत में पड़ गया. शायद, भूरा भी.

तीनों हमशक्ल एक टक देखे जा रहे थे, तभी आवाज गूंजी - कालू. बस क्या था कालू दुम हिलाने लगा. परिवार की खुशी लौट आयी थी.

इसे भी पढ़ें: यूपी के सबसे बड़े राजनैतिक घराने का अंतर्कलह

आगरा के परिवार में तो खुशी लौट आयी लेकिन लखनऊ के परिवार में तल्खी बरकार रही. अखिलेश से कोई मतभेद नहीं होने की बात कह चुके शिवपाल यादव कैबिनेट की मीटिंग से नदारद रहे. बावजूद इन सब के मुख्यमंत्री मस्ती भरे अंदाज में नजर आये, जैसे परिवार में कुछ हुआ ही न हो.

अखिलेश की बातों में तंज भी था और दम भी. बातें भी ऐसी कि एक साथ कई निशाने सध जाएं. बातों ही बातों में प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे दिन से लेकर से लेकर बुआ मायावती के हाथी तक जद में आ गये - लेकिन बातों की बाजी अगर किसी ने मारी तो था - 'कालू'

कुछ मजाकिया तो कुछ शिकायती लहजे में अखिलेश बोले, "भैंस की चर्चा बहुत हुई थी, बीजेपी के एक नेता का कुत्ता खोया उसे भी पुलिस ने ढूंढा उसकी चर्चा नहीं होती."

भैंस पर इतना बवाल और कुत्ते पर ऐसी खामोशी, सच में ये तो बहुत नाइंसाफी है!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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