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चीन हमारा दोस्त या दुश्मन: मोदी सरकार के 5 मुंह, 5 बातें

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 08 अगस्त, 2017 04:22 PM
  • 08 अगस्त, 2017 04:22 PM
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आखिर किस पर विश्वास किया जाए. कुछ लोग चीन के साथ बातचीत का समर्थन करते हैं तो कुछ लोग चीनी सामान के बहिष्कार की बात और युद्ध की सिफारिश करते हैं.

डोकलाम बॉर्डर पर चीन और भारत के बीच गतिरोध जारी है. और यह कैसे खत्म होगा किसी को भी पता नहीं. जब चीन डोकलाम में हमें आंखें दिखा रहा है और बीच-बीच में धमकी भी देता आ रहा है, ऐसे में हमारे देश में दो तरह की राय उभर रही हैं. एक राय चीन के साथ बातचीत के द्वारा मसला हल करने के पक्ष में है, वहीं दूसरा पक्ष युद्ध या फिर चीनी सामानों के बहिष्कार का पक्षधर है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर भरोसा किस पर किया जाए?

एक नजर डालते हैं विभिन्न विचारों पर

सुषमा स्वराज:

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि सेना है ही युद्ध के लिए, लेकिन युद्ध से समाधान नहीं होता. युद्ध के बाद भी अंतत: बातचीत के लिए बैठना ही पड़ता है. तो भारत की कोशिश बातचीत से मसला सुलझाने पर है. उन्होंने यहां तक कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति में चीन की भी भूमिका है और समाधान युद्ध से नहीं बातचीत से होगा.

नरेंद्र मोदी:

चीन के साथ चल रहे डोकलाम विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एशिया की सबसे प्राचीन भारतीय पद्धति 'तर्कशास्त्र' का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी मुद्दे के हल के लिए बातचीत ही एकमात्र तरीका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार 'यह एक पुरानी भारतीय अवधारणा है जिसमें संवाद और बहस पर विचारों के आदान-प्रदान के मॉडल को अपनाया गया है. जिसमें किसी भी मुद्दे को बातचीत के जरिए हल किया जाता था'

अरुण जेटली:

डोकलाम बॉर्डर पर चीन और भारत के बीच गतिरोध जारी है. और यह कैसे खत्म होगा किसी को भी पता नहीं. जब चीन डोकलाम में हमें आंखें दिखा रहा है और बीच-बीच में धमकी भी देता आ रहा है, ऐसे में हमारे देश में दो तरह की राय उभर रही हैं. एक राय चीन के साथ बातचीत के द्वारा मसला हल करने के पक्ष में है, वहीं दूसरा पक्ष युद्ध या फिर चीनी सामानों के बहिष्कार का पक्षधर है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर भरोसा किस पर किया जाए?

एक नजर डालते हैं विभिन्न विचारों पर

सुषमा स्वराज:

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि सेना है ही युद्ध के लिए, लेकिन युद्ध से समाधान नहीं होता. युद्ध के बाद भी अंतत: बातचीत के लिए बैठना ही पड़ता है. तो भारत की कोशिश बातचीत से मसला सुलझाने पर है. उन्होंने यहां तक कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति में चीन की भी भूमिका है और समाधान युद्ध से नहीं बातचीत से होगा.

नरेंद्र मोदी:

चीन के साथ चल रहे डोकलाम विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एशिया की सबसे प्राचीन भारतीय पद्धति 'तर्कशास्त्र' का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी मुद्दे के हल के लिए बातचीत ही एकमात्र तरीका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार 'यह एक पुरानी भारतीय अवधारणा है जिसमें संवाद और बहस पर विचारों के आदान-प्रदान के मॉडल को अपनाया गया है. जिसमें किसी भी मुद्दे को बातचीत के जरिए हल किया जाता था'

अरुण जेटली:

भारत को 1962 के युद्ध का 'ऐतिहासिक सबक याद रखने' की चीन की नसीहत पर पलटवार करते हुए रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि '1962 और आज के हालात में फर्क है'. जेटली ने भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेना के बीच टकराव की स्थिति पर कहा कि भूटान ने साफ कर दिया है कि जहां चीन सड़क बना रहा है, वह जमीन भूटान की है और चूंकि भूटान एवं भारत के बीच सुरक्षा संबंध हैं, इसलिए भारतीय सेना वहां मौजूद है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ:

संघ परिवार के संगठन व्यापारियों के साथ मीटिंग कर उन्हें बता रहे हैं कि चीन से सामान नहीं मंगाना है. साथ ही घर-घर जाकर लोगों से किसी भी त्यौहार में चीन से आए सामान का इस्तेमाल न करने की अपील कर रहे हैं. रक्षाबंधन के लिए खास अभियान चलाया जा रहा है जिसके बाद दीपावली पर फोकस किया जाएगा, जिस दौरान चीन के सामान की सबसे ज्यादा बिक्री होती रही है.

बाबा रामदेव:

योग गुरु रामदेव के अनुसार चीन हमारे दुश्मन पाकिस्तान की मदद कर रहा है इसलिए वहां बने मोबाइल, घड़ी, कारें या खिलौनों का बहिष्कार करना चाहिए.

कैग:

भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरिक्षक ने संसद में रखी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर जंग छिड़ती है तो भारतीय सेना के पास इतने गाला-बारूद भी नहीं कि वह 10 दिन तक जंग लड़ सके.

यह सर्वविदित है कि भारत-चीन के बीच सिक्किम में सीमा विवाद काफी बढ़ा हुआ है. चीन, भूटान के डोकलाम में सड़क बना रहा है और भारत ने इसका जोरदार विरोध कर रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किस पर विश्वास किया जाए. कुछ लोग चीन के साथ बातचीत का समर्थन करते हैं तो कुछ लोग चीनी सामान के बहिष्कार की बात और युद्ध की सिफारिश. लेकिन इन सबके बीच हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि चीन भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस पार्टनर भी है. सुषमा स्वराज ने भी संसद में यही इशारा किया और कहा कि भारत की प्रगति में चीन की भी भूमिका है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अनुसार '2014 में चीन ने भारत में 116 बिलियन डॉलर का निवेश किया जो आज की तारीख में 160 बिलियन डॉलर हो गया है. हमारी आर्थिक क्षमता बढ़ाने में चीन भी मदद कर रहा है. मामला केवल डोकलाम का नहीं है.''

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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