• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

केजरीवाल के लिए क्यों अहम है ये जीत

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 28 अगस्त, 2017 05:36 PM
  • 28 अगस्त, 2017 05:36 PM
offline
पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से केजरीवाल बैकफुट पर थे, ऐसे में यह नतीजे उनके लिए काफी राहत की बात है.

अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 24 हजार से ज्यादा अंतर से बवाना में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर ली है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राम चन्दर ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वेद प्रकाश को हरा दिया है, इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे. वेद प्रकाश 2015 के चुनावों में आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव जीत कर आए थे, हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और इन चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे.

बवाना में आम आदमी पार्टी को मिली जीत

आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के लिए यह आम चुनाव कई मायनों में अहम था और पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से केजरीवाल बैकफुट पर थे, ऐसे में यह नतीजे उनके लिए काफी राहत की बात है. देखा जाए तो पिछले 4-5 महीने केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए काफी चुनौती पूर्ण रहे हैं. पहले तमाम दावों और वादों के बाद भी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनावों में अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं कर सकी थी. हालांकि पार्टी यहां मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी मगर पार्टी पंजाब में सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त थी. इसके बाद हुए दिल्ली नगर निगम के चुनावों में भी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सामने नहीं टिक सकी, और बीजेपी तीनों ही निगमों में फिर से जीत दर्ज करने में कामयाब रही. पार्टी ने इस हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा, जिसके बाद उनकी काफी किरकिरी भी हुई. आम आदमी पार्टी इससे पहले अप्रैल में हुए राजौरी गार्डन उपचुनाव में भी अपना सीट नहीं बचा सकी थी.

हालांकि पार्टी के लिए असल मुसीबत इसके बाद शुरू हुई जब पार्टी के विश्वस्त मंत्री कपिल मिश्रा ने ही केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. मिश्रा ने जहां केजरीवाल 2 करोड़ नगद लेने का आरोप लगाया तो वहीं पार्टी फण्ड में भी गड़बड़ झाले की बात कही. हालांकि इस मुद्दे पर...

अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 24 हजार से ज्यादा अंतर से बवाना में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर ली है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राम चन्दर ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वेद प्रकाश को हरा दिया है, इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे. वेद प्रकाश 2015 के चुनावों में आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव जीत कर आए थे, हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और इन चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे.

बवाना में आम आदमी पार्टी को मिली जीत

आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के लिए यह आम चुनाव कई मायनों में अहम था और पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से केजरीवाल बैकफुट पर थे, ऐसे में यह नतीजे उनके लिए काफी राहत की बात है. देखा जाए तो पिछले 4-5 महीने केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए काफी चुनौती पूर्ण रहे हैं. पहले तमाम दावों और वादों के बाद भी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनावों में अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं कर सकी थी. हालांकि पार्टी यहां मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी मगर पार्टी पंजाब में सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त थी. इसके बाद हुए दिल्ली नगर निगम के चुनावों में भी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सामने नहीं टिक सकी, और बीजेपी तीनों ही निगमों में फिर से जीत दर्ज करने में कामयाब रही. पार्टी ने इस हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा, जिसके बाद उनकी काफी किरकिरी भी हुई. आम आदमी पार्टी इससे पहले अप्रैल में हुए राजौरी गार्डन उपचुनाव में भी अपना सीट नहीं बचा सकी थी.

हालांकि पार्टी के लिए असल मुसीबत इसके बाद शुरू हुई जब पार्टी के विश्वस्त मंत्री कपिल मिश्रा ने ही केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. मिश्रा ने जहां केजरीवाल 2 करोड़ नगद लेने का आरोप लगाया तो वहीं पार्टी फण्ड में भी गड़बड़ झाले की बात कही. हालांकि इस मुद्दे पर केजरीवाल कुछ भी बोलने से बचते रहे मगर इस प्रकरण के बाद तो ऐसा लगा कि आम आदमी पार्टी दो फाड़ हो जाएगी.

मगर इस दौरान केजरीवाल की चुप्पी साध ली और शायद यह भी समझ गए कि हर बात पर मोदी पर आरोप मढ़ने की नीति शायद अब नहीं चलने वाली. और इसके बाद केजरीवाल ने शांत रह कर फिर से काम करना ही बेहतर समझा.

अब यह नतीजे जरूर केजरीवाल के खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाने में महत्वपूर्ण होंगे. मगर इस नतीजे के बाद केजरीवाल भी यह समझ लें तो बेहतर होगा कि लोग उनकी आरोप प्रत्यारोप कि राजनीति से जनता ऊब गयी है और उनका शांत रह कर काम करना लोगों को ज्यादा भा रहा है.

ये भी पढ़ें-

आखिर साथियों के 'बहकावे' में आकर और क्या क्या करेंगे केजरीवाल?

केजरीवाल अब नहीं करते बवाल !


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲