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तो क्या केजरीवाल की पूरी राजनीति ही झूठ पर आधारित है?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 20 मार्च, 2018 08:40 PM
  • 20 मार्च, 2018 08:40 PM
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केजरीवाल अपने पांच साल के राजनैतिक करियर में लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कुख्यात रहें हैं, इन पांच सालों केजरीवाल ने आरोप लगाने के क्रम में शायद ही किसी को छोड़ा है, चाहे वो देश के राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों या देश का चुनाव आयोग.

दिल्ली के मुख्यमंत्री इस वक्त माफीनामा लिखने में व्यस्त हैं. अभी कुछ ही दिन पहले अरविन्द केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया से लिखित रूप में उस आरोप के लिए माफी मांगी थी, जिसमें उन्होंने मजीठिया को ड्रग के धंधे में लिप्त बताया था. अब केजरीवाल ने दो और माफीनामे लिखकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कपिल सिब्बल एवं उनके पुत्र अमित सिब्बल से भी माफी मांग ली. केजरीवाल ने फिर से माफीनामे में अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए उनसे माफी मांग ली है.

माफी का सिलसिला थम नहीं रहा

हालांकि मनीष सिसोदिया ने माफीनामे के पीछे जो कारण बताये हैं उसके अनुसार केजरीवाल और उनकी सरकार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर वक़्त जाया नहीं करना चाहती बल्कि इस वक्त का उपयोग दिल्ली की जनता की सेवा में लगाना चाहती है. यानी यहां भी केजरीवाल और उनकी टीम महान बनने का दिखावा करना चाहती है. मगर सच्चाई यह है कि केजरीवाल के ऊपर दर्जनों मानहानि के केस दर्ज हैं, और इनमें से कई मामलों में केजरीवाल कोर्ट में कमजोर स्थिति में हैं, ऐसे में उनके पास माफीनामा लिखने के अलावा दूसरा कोई चारा बचा नहीं है. खैर असली वजह क्या है यह तो केजरीवाल ही बेहतर ढंग से बता सकते हैं, मगर उनके माफीनामे ने तो एक बात साबित कर ही दी है, केजरीवाल द्वारा लगाए गए ज्यादातर आरोप झूठे ही हैं, कम से कम नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल और विक्रम मजीठिया पर सारे आरोप बेबुनियाद ही हैं, ऐसा केजरीवाल ने मान लिया है.

वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि केजरीवाल की राजनैतिक बुनियाद ही आरोप-प्रत्यारोप पर ही आधारित रही है. केजरीवाल अपने पांच साल के राजनैतिक करियर में लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कुख्यात रहें हैं, इन पांच सालों केजरीवाल ने आरोप लगाने के क्रम में शायद ही किसी को छोड़ा है, चाहे वो...

दिल्ली के मुख्यमंत्री इस वक्त माफीनामा लिखने में व्यस्त हैं. अभी कुछ ही दिन पहले अरविन्द केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया से लिखित रूप में उस आरोप के लिए माफी मांगी थी, जिसमें उन्होंने मजीठिया को ड्रग के धंधे में लिप्त बताया था. अब केजरीवाल ने दो और माफीनामे लिखकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कपिल सिब्बल एवं उनके पुत्र अमित सिब्बल से भी माफी मांग ली. केजरीवाल ने फिर से माफीनामे में अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए उनसे माफी मांग ली है.

माफी का सिलसिला थम नहीं रहा

हालांकि मनीष सिसोदिया ने माफीनामे के पीछे जो कारण बताये हैं उसके अनुसार केजरीवाल और उनकी सरकार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर वक़्त जाया नहीं करना चाहती बल्कि इस वक्त का उपयोग दिल्ली की जनता की सेवा में लगाना चाहती है. यानी यहां भी केजरीवाल और उनकी टीम महान बनने का दिखावा करना चाहती है. मगर सच्चाई यह है कि केजरीवाल के ऊपर दर्जनों मानहानि के केस दर्ज हैं, और इनमें से कई मामलों में केजरीवाल कोर्ट में कमजोर स्थिति में हैं, ऐसे में उनके पास माफीनामा लिखने के अलावा दूसरा कोई चारा बचा नहीं है. खैर असली वजह क्या है यह तो केजरीवाल ही बेहतर ढंग से बता सकते हैं, मगर उनके माफीनामे ने तो एक बात साबित कर ही दी है, केजरीवाल द्वारा लगाए गए ज्यादातर आरोप झूठे ही हैं, कम से कम नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल और विक्रम मजीठिया पर सारे आरोप बेबुनियाद ही हैं, ऐसा केजरीवाल ने मान लिया है.

वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि केजरीवाल की राजनैतिक बुनियाद ही आरोप-प्रत्यारोप पर ही आधारित रही है. केजरीवाल अपने पांच साल के राजनैतिक करियर में लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कुख्यात रहें हैं, इन पांच सालों केजरीवाल ने आरोप लगाने के क्रम में शायद ही किसी को छोड़ा है, चाहे वो देश के राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों या देश का चुनाव आयोग. केजरीवाल ने अपने राजनैतिक हित साधने के लिए किसी पर भी आरोप लगाने में कोई गुरेज नहीं किया, और इसकी शुरुआत उन्होंने शीला दीक्षित के साथ की थी. केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के शुरुआत में ही लोगों को यह भरोसा दिलाया कि उनके पास शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम तरह के सबूत मौजूद हैं, और सत्ता में आते ही वो शीला दीक्षित को जेल की हवा खिलाएंगे. हालांकि पिछले तीन साल से केजरीवाल सत्ता में हैं मगर भ्रष्टाचार के मामले में क्या कार्यवाई हुई यह किसी से छिपी नहीं है.

अब केजरीवाल ने जिस अंदाज में माफी मांगना शुरू कर दिया है उससे अब उम्मीद यही है कि जल्द ही वह अरुण जेटली से भी माफी मांगते नजर आ सकते हैं, और अगर ऐसा होता है तो फिर वो खुद इस बात को और पुख्ता कर देंगे कि उन्हें आरोप लगाने के लिए किसी तथ्य की कोई आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वो सुविधानुसार इसका इस्तेमाल करते आए हैं. ऐसे में अगली बार जब केजरीवाल किसी पर आरोप लगाएंगे तो क्या लोगों को वो भरोसा दिला पाएंगे कि इस बार उनके आरोप में कोई दम है? लगता नहीं है, निश्चित रूप से केजरीवाल का यह रूप लोगों को उनपर शक करने की पर्यापत वजह देगा और साथ ही लोगों को उनपर ज्यादा विश्वास न करने की भी ठोस वजह देगा. हालांकि केजरीवाल ने जिस तरह की राजनैतिक परिपाटी बनाई है उसका हश्र तो ऐसा ही होना था. खैर अब देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल आने वाले समय में और किस-किस को माफीनामा लिखते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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