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कब थमेगी अमेरिका में भारतियों के खिलाफ नस्लवादी हिंसा?

    • जगत सिंह
    • Updated: 25 फरवरी, 2017 11:54 AM
  • 25 फरवरी, 2017 11:54 AM
offline
अमेरिका और बाकी देशों में 2017 में लगभग 10 से ज्यादा नस्लवादी हमले भारतीय नागरिकों के खिलाफ हो चुके हैं. भारतीय नागरिकों की स्थिती बताते ये आंकड़े चिंताजनक हैं.

अमेरिका के कंसास में एक अमेरिकी व्यक्ति ने एक भारतीय इंजीनियर की गोली मारकर हत्या कर दी और दो अन्य को घायल कर दिया. यह नस्लीय हिंसा है इसकी आशंका जताई जा रही है. विदेश मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मृतक भारतीय की पहचान श्रीनिवास कुचीबोतला और घायल एक दूसरा भारतीय मूल का व्यक्ति है जिसकी पहचान आलोक मदासानी के रूप में हुई है. गोली चलाने वाले कातिल ने चिल्लाकर कहा था, 'मेरे देश से निकल जाओ.'  

इस घटना के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया, और भारतीय दूतावास के दो अधिकारियों को तुरंत कंसास भेजा गया. अमेरिकी दूतावास ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि, "अमेरिका आप्रवासियों का देश है और विश्व भर से लोगों के यहां घूमने जाने, काम करने, पढ़ाई करने और रहने के लिए स्वागत करता है." उन्होंने भरोसा दिलाया कि "अमेरिकी प्रशासन इसकी बारीकी से जांच करेगा और दोषी को सजा दिलाएगा."

आरोपी पूर्व अमेरिकी नौसैनिक पर जान बूझकर एक फर्स्ट डिग्री मर्डर करने और दो अन्य ऐसी ही हत्याओं के प्रयास का दोष तय हुआ है.

नस्लीय भेदवाद केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि अब वैश्विक चिंता कि विसय बन गयी है, जिसमे अपने देश को छोड़ कर विदेशों में नौकरी करने वाले, व्यापर करने वाले, घूमने जाने वालों से लेकर पढ़ाई करने वाले हिंसा के शिकार बनते हैं, यह स्थिति बहुत भयावह है. वैसे अमेरिका में केवल भारतीय ही नहीं बल्कि, अफ़्रीकी, लैटिन अमेरिका के लोग, और दूसरे एशियाई देशों के नागरिक भी नस्लीय भेदभाव के शिकार होते रहे हैं. हाल ही में सिखों और मुस्लिम लोगों के प्रति नस्लीय घटनाओं में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. सितम्बर 11 की घटना के बाद इस तरह के घटनाओं में बढ़ोतरी भी देखी गयी है और वो भी खास कर अमेरिका में.  

अमेरिका के कंसास में एक अमेरिकी व्यक्ति ने एक भारतीय इंजीनियर की गोली मारकर हत्या कर दी और दो अन्य को घायल कर दिया. यह नस्लीय हिंसा है इसकी आशंका जताई जा रही है. विदेश मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मृतक भारतीय की पहचान श्रीनिवास कुचीबोतला और घायल एक दूसरा भारतीय मूल का व्यक्ति है जिसकी पहचान आलोक मदासानी के रूप में हुई है. गोली चलाने वाले कातिल ने चिल्लाकर कहा था, 'मेरे देश से निकल जाओ.'  

इस घटना के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया, और भारतीय दूतावास के दो अधिकारियों को तुरंत कंसास भेजा गया. अमेरिकी दूतावास ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि, "अमेरिका आप्रवासियों का देश है और विश्व भर से लोगों के यहां घूमने जाने, काम करने, पढ़ाई करने और रहने के लिए स्वागत करता है." उन्होंने भरोसा दिलाया कि "अमेरिकी प्रशासन इसकी बारीकी से जांच करेगा और दोषी को सजा दिलाएगा."

आरोपी पूर्व अमेरिकी नौसैनिक पर जान बूझकर एक फर्स्ट डिग्री मर्डर करने और दो अन्य ऐसी ही हत्याओं के प्रयास का दोष तय हुआ है.

नस्लीय भेदवाद केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि अब वैश्विक चिंता कि विसय बन गयी है, जिसमे अपने देश को छोड़ कर विदेशों में नौकरी करने वाले, व्यापर करने वाले, घूमने जाने वालों से लेकर पढ़ाई करने वाले हिंसा के शिकार बनते हैं, यह स्थिति बहुत भयावह है. वैसे अमेरिका में केवल भारतीय ही नहीं बल्कि, अफ़्रीकी, लैटिन अमेरिका के लोग, और दूसरे एशियाई देशों के नागरिक भी नस्लीय भेदभाव के शिकार होते रहे हैं. हाल ही में सिखों और मुस्लिम लोगों के प्रति नस्लीय घटनाओं में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. सितम्बर 11 की घटना के बाद इस तरह के घटनाओं में बढ़ोतरी भी देखी गयी है और वो भी खास कर अमेरिका में.  

अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन कैंपेन के बाद नस्लीय हिंसा में निर्णायक बढ़त हुई है, और आने वाले दिनों में हिंदुस्तानियों को खासी मुसीबत का भी सामना करना पड़ सकता है, जो अमेरिका में रह रहे हैं.

FBI के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो साल 2013 में नस्लीय हिंसा कुल अमेरिकन हिंसा का 48.5 का प्रतिशत थी ये काफी चिंताजनक बात है.

हाल के 5 वर्षों में घटी कुछ बड़ी घटनाएं...

- फरवरी  2017 :  27 साल का VC रेड्डी को कैलिफ़ोर्निया में गोली मरी गयी, इस घटना में उनकी मौत हो गई थी. - नवम्बर 2016 : गुरनूर सिंह नहल, भारतीय सिख छात्र को कैलिफोनिया में गोली मरी गयी जिसमें उसके मौत हो गयी थी.- जुलाई 2015 : एक बुजुर्ग अमेरिकन भारतीय को न्यू जर्सी में पीटा गया, और सड़क पर लहुलूहान करके छोड़ा गया- फरवरी  2015: वेस्ट कोस्ट के एक हिन्दू मंदिर और स्कूल में तोड़फोड़ की गयी और नस्लीय टिप्पणियां दीवारों पर लिखी गयी.- अक्टूबर 2014: वर्जीनिया पुलिस के मुताबिक जुलाई से अब तक इस इलाके में 17 केस तोड़फोड़ और नस्लीय हिंसा के दर्ज किये गए हैं.- सितम्बर 2013: कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक सिख प्रोफेसर को भीड़ ने पीटा और उन्हें ओसामा और आतंकवादी कहा गया. - अगस्त 2013: एक 80-साल के सिख को ट्रिनिटी में ब्रिटिश लड़की के द्वारा पिटा गया. - जुलाई 2013:  गुरुद्वारे में तोड़फोड़ कि घटना हुई. - अगस्त 2012: एक बंदूकधारी ने विस्कोंसिन में सिखों के धार्मिक स्थल पर हमला कर के 6 लोगों को मौत के घाट उतरा.

केवल भारत ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे देशों में भी भारतीय नस्ली हिंसा के शिकार हुए हैं, इसी साल 2017 में इस तरह की घटनाएं भी सुर्खियां बटोर चुकी हैं.

- फरवरी  20, 2017: सतकार सिंह को कनाडा में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. - फरवरी 20, 2017: सईद फ़ारूक़ बाशा को रिबेल फाइटर ने साउथ सूडान की राजधानी जुबा में मार दिया था. - फरवरी 13, 2017: भगवंत राज बंसल की हत्या मनीला, फिलीपींस में की गयी. - फरवरी 9, 2017: अज्ञात हमलावरों ने जमैका में राकेश तलरेजा को मार दिया था.

नियम कानून से बंधे भारतियों ने कभी इन घटनाओं पर कोई हिंसात्मक कदम नहीं उठाये बल्कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन भर किया, अब समय आ गया है कि भारत सरकार को इस तरह की घटनाओं पर माकूल जवाब देना चाहिए ताकी इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके.

ये भी पढ़ें-

- ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' स्‍लोगन को भारत का जवाब

- ये है डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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