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क्या अरुणाचल के मामले में भी महामहिम की बातें 'ब्रह्म वाक्य' हैं?

    • आईचौक
    • Updated: 10 फरवरी, 2016 05:06 PM
  • 10 फरवरी, 2016 05:06 PM
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सबको याद होगा दादरी की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, राष्ट्रपति ने जो रास्ता दिखाया है, हमें उसी रास्ते पर चलना है.

सुप्रीम कोर्ट के बाद अरुणाचल प्रदेश के प्रसंग में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी काफी अहम हो गई है. राष्ट्रपति मुखर्जी ने बड़े ही शालीन ढंग से अरुणाचल के राज्यपाल जेपी राजखोवा के बहाने बाकियों को भी नसीहत दी है. राजखोवा की रिपोर्ट पर ही फिलहाल अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.

सबको याद होगा दादरी की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, "राष्ट्रपति ने जो रास्ता दिखाया है, हमें उसी रास्ते पर चलना है."

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल राजखोवा ने कांग्रेस के दस बागी विधायकों की बर्खास्तगी पर फैसले के लिए विधानसभा का सत्र पहले बुला दिया और उसी पर विवाद हुआ. मामला हाई कोर्ट पहुंचा और फिर उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत माना. कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने इस मामले में कहा, "राज्यपाल अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र नहीं बुला सकते."

राष्ट्रपति की टिप्पणी

अरुणाचल के संदर्भ में राष्ट्रपति ने ये टिप्पणी उस सम्मेलन में की जिसमें 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल और उप-राज्यपाल हिस्सा ले रहे थे. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया.

सम्मेलन में राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, "आजादी के बाद हमारा देश लगातार मजबूत होता आया है. ऐसा हमारे संविधान में शामिल नियमों को मजबूती से अमल में लाने की वजह से हो पाया है. संविधान हमेशा रहने वाला अहम दस्तावेज है और यह हमारी आकांक्षाओं और उन्हें समावेशी तरीके से हासिल करने को लेकर हमारी विशाल योजनाओं को प्रदर्शित करता है."

फिर राष्ट्रपति ने समझाया, "संवैधानिक पदों पर बैठे हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि हम इस पवित्र ग्रंथ की पवित्रता को बरकरार रखें."

बिहार चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के बयान को देश और नेताओं के लिए गाइडलाइन के तौर पर पेश किया था.

तब मोदी ने कहा था,...

सुप्रीम कोर्ट के बाद अरुणाचल प्रदेश के प्रसंग में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी काफी अहम हो गई है. राष्ट्रपति मुखर्जी ने बड़े ही शालीन ढंग से अरुणाचल के राज्यपाल जेपी राजखोवा के बहाने बाकियों को भी नसीहत दी है. राजखोवा की रिपोर्ट पर ही फिलहाल अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.

सबको याद होगा दादरी की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, "राष्ट्रपति ने जो रास्ता दिखाया है, हमें उसी रास्ते पर चलना है."

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल राजखोवा ने कांग्रेस के दस बागी विधायकों की बर्खास्तगी पर फैसले के लिए विधानसभा का सत्र पहले बुला दिया और उसी पर विवाद हुआ. मामला हाई कोर्ट पहुंचा और फिर उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत माना. कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने इस मामले में कहा, "राज्यपाल अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र नहीं बुला सकते."

राष्ट्रपति की टिप्पणी

अरुणाचल के संदर्भ में राष्ट्रपति ने ये टिप्पणी उस सम्मेलन में की जिसमें 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल और उप-राज्यपाल हिस्सा ले रहे थे. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया.

सम्मेलन में राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, "आजादी के बाद हमारा देश लगातार मजबूत होता आया है. ऐसा हमारे संविधान में शामिल नियमों को मजबूती से अमल में लाने की वजह से हो पाया है. संविधान हमेशा रहने वाला अहम दस्तावेज है और यह हमारी आकांक्षाओं और उन्हें समावेशी तरीके से हासिल करने को लेकर हमारी विशाल योजनाओं को प्रदर्शित करता है."

फिर राष्ट्रपति ने समझाया, "संवैधानिक पदों पर बैठे हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि हम इस पवित्र ग्रंथ की पवित्रता को बरकरार रखें."

बिहार चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के बयान को देश और नेताओं के लिए गाइडलाइन के तौर पर पेश किया था.

तब मोदी ने कहा था, "125 करोड़ लोगों के देश के राष्ट्राध्यक्ष ने जो कहा है, उससे बड़ा कोई संदेश, बड़ा निर्देश, बड़ी प्रेरणा कोई नहीं हो सकती."

क्या मोदी सरकार राष्ट्रपति की ताजा गाइडलाइन को भी उसी गंभीरता से लेने जा रही है? अगर राष्ट्रपति महोदय ठीक कह रहे हैं - और सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल राजखोवा के फैसले को गलत बता रहा है तो सरकार अब क्या कदम उठाएगी?

अब सवाल ये है कि क्या अरुणाचल के मामले में भी महामहिम की ये बातें ब्रह्मवाक्य हैं?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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