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Explained: केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 31 अक्टूबर से क्या बदल गया

    • आईचौक
    • Updated: 31 अक्टूबर, 2019 02:56 PM
  • 31 अक्टूबर, 2019 02:56 PM
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जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) अब एक अलग राज्य नहीं रहा, बल्कि उसके दो केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं. एक जम्मू और कश्मीर और दूसरा लद्दाख (Ladakh). जानिए धारा 370 हटाए जाने (Article 370 Abrogation) के बाद जम्मू और कश्मीर में क्या-क्या बदल गया है.

5 अगस्त 2019 को संसद में जो प्रस्ताव पारित हुआ था, वो सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2019) के जन्मदिवस पर 31 अक्टूबर से लागू हो गया है, जिस दिन राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) भी मनाया जाता है. संसद में भाजपा ने धारा 370 (Article 370 Abrogation) को हटाते हुए जम्मू और कश्मीर से राज्य का दर्जा वापस लेकर उसको दो हिस्सों में बांटने का फैसला किया था. अब जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) एक अलग राज्य नहीं रहा, बल्कि उसके दो केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं. एक जम्मू और कश्मीर और दूसरा लद्दाख. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इससे पहले गोवा के साथ इसका उल्टा हुआ था और एक केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था. वहीं दूसरी ओर, लद्दाख की बात करें तो ऐसा लगता है मानो उसकी सालों पुरानी इच्छा पूरी हो गई हो. जम्मू और कश्मीर पुर्नसंगठन एक्ट 2019 के तहत करगिल और लेह जिले मिलकर लद्दाख (Ladakh) बनाएंगे और बाकी के जिले मिलकर जम्मू और कश्मीर बनाएंगे. जम्मू और कश्मीर में अब गवर्नर की जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा.

जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग पहचान मिल गई है.

विधानसभा सीटों में होंगे ये बदलाव

जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा (Jammu and Kashmir Assembly) होगी, जिसमें सीटों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ जाएगी. अब चुनाव आयोग परिसीमन (Delimitation in Jammu and Kashmir) की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे सीटें बढ़ेंगी. एक्ट के अनुसार जम्मू और कश्मीर में कुल 107 सीटें हैं (POK की 24 खाली सीटें भी इसमें शामिल हैं), जो परिसीमन के बाद बढ़कर 114 हो जाएंगी. ये भी माना जा रहा...

5 अगस्त 2019 को संसद में जो प्रस्ताव पारित हुआ था, वो सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2019) के जन्मदिवस पर 31 अक्टूबर से लागू हो गया है, जिस दिन राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) भी मनाया जाता है. संसद में भाजपा ने धारा 370 (Article 370 Abrogation) को हटाते हुए जम्मू और कश्मीर से राज्य का दर्जा वापस लेकर उसको दो हिस्सों में बांटने का फैसला किया था. अब जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) एक अलग राज्य नहीं रहा, बल्कि उसके दो केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं. एक जम्मू और कश्मीर और दूसरा लद्दाख. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इससे पहले गोवा के साथ इसका उल्टा हुआ था और एक केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था. वहीं दूसरी ओर, लद्दाख की बात करें तो ऐसा लगता है मानो उसकी सालों पुरानी इच्छा पूरी हो गई हो. जम्मू और कश्मीर पुर्नसंगठन एक्ट 2019 के तहत करगिल और लेह जिले मिलकर लद्दाख (Ladakh) बनाएंगे और बाकी के जिले मिलकर जम्मू और कश्मीर बनाएंगे. जम्मू और कश्मीर में अब गवर्नर की जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा.

जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग पहचान मिल गई है.

विधानसभा सीटों में होंगे ये बदलाव

जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा (Jammu and Kashmir Assembly) होगी, जिसमें सीटों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ जाएगी. अब चुनाव आयोग परिसीमन (Delimitation in Jammu and Kashmir) की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे सीटें बढ़ेंगी. एक्ट के अनुसार जम्मू और कश्मीर में कुल 107 सीटें हैं (POK की 24 खाली सीटें भी इसमें शामिल हैं), जो परिसीमन के बाद बढ़कर 114 हो जाएंगी. ये भी माना जा रहा है कि परिसीमन की वजह से जम्मू और कश्मीर में सीटों का बंटवारा भी संतुलित होगा. इससे पहले की विधानसभा में कश्मीर में 46 सीटें थीं, जबकि जम्मू में 37. लद्दाख में 4 सीटें थीं.

पहले के मुकाबले बदल जाएगी विधानसभा

जम्मू-कश्मीर की विधानसभा (Jammu and Kashmir Assembly) की अवधि भी अब देश की अन्य विधानसभाओं जैसे 5 साल की होगी, ना कि पहले की तरह 6 साल की. लोकसभा की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में कुल 5 सांसद होंगे, जबकि लद्दाख में दो सांसद होंगे. राज्य सभा के 4 सांसद राज्य के उच्च सदन के सदस्य रहेंगे. अब जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद (Jammu and Kashmir Legislative Council) नहीं होगी. अभी तक 7 राज्यों में विधान परिषद थी, लेकिन अब सिर्फ 6 राज्यों में विधान परिषद बचेगी.

ब्यूरोक्रेट्स की भी होगी नई व्यवस्था !

जम्मू और कश्मीर की ब्यूरोक्रेसी (Jammu and Kashmir Bureaucracy) भी दो हिस्सों में बंट जाएगी और मौजूदा ब्योक्रेट्स ही उसमें रहेंगे. जम्मू और कश्मीर में पोस्ट हुए अधिकारी अपने कैडर का ही हिस्सा रहेंगे. हालांकि, भविष्य में होने वाली पोस्टिंग AGMT यानी अरुणाचल गोवा मिजोरम यूनियन टेरिटरी (Arunchal Goa Mizoram nion Territory) कैडर से की जाएंगी.

अब संसद से पारित हुआ कोई भी कानून पूरे देश के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होगा. अभी तक धारा 370 (Article 370) होने की वजह से संसद से पारित होने वाला कोई भी नियम जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था. धारा 370 के चलते जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. धारा 370 हटने का बाद अब कई नियम और कानून जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे, जिनमें ये भी हैं-

- सूचना का अधिकार

- शिक्षा का अधिकार

- पंचायत राज व्यवस्था

- हिंदुओं और सिखों को अल्पसंख्यक होने पर मिलने वाले अधिकार

- विधानसभा, नौकरी और शिक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण

- सरकार के खर्चों की कैग के जरिए स्क्रूटनी

- अन्य राज्यों के भारतीयों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रॉपर्टी खरीदने का अधिकार

- नई संवैधिनिक व्यवस्था के तहत अब महिलाओं को शरिया के हिसाब से चलने की बाध्यता नहीं होगी. अब अगर कोई कश्मीरी युवती किसी बाहरी व्यक्ति से शादी कर लेती है तो भी कश्मीर में उसके पिता की प्रॉपर्टी में उसका हिस्सा नहीं छीना जा सकता है.

जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और नए एक्ट के लागू होने के बाद अब कोई पाकिस्तानी शख्स किसी कश्मीर लड़की से शादी कर के भारत की नागरिकता भी हासिल नहीं कर सकेगा. पुराने कानून के हिसाब से ऐसा भी होता था, जिसे धारा 370 को हटाकर खत्म कर दिया गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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