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क्या सूरत रोड शो से पाटीदारों के जख्मों पर मरहम लगा पाए मोदी?

    • गोपी मनियार
    • Updated: 17 अप्रिल, 2017 09:22 PM
  • 17 अप्रिल, 2017 09:22 PM
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प्रधानमंत्री और अमित शाह के मिशन 150 को पूरा करने के लिये बीच में अगर कोई रोड़ा है तो वो पाटीदार है, ऐसे में पाटीदार को मनाकर अपने मिशन 150 को साकार करने की हर मुमकिन कोशिश प्रधानमंत्री जी कर रहे हैं.

आरक्षण की आग में जल रहे पाटीदार के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश के तौर पर सूरत पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाटीदार को ही अपना परिवार बताया और उनके साथ भावनाओं से जुड़े अपने संबंध भाषण के जरीये उनके सामने रखे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पाटीदार पर प्रधानमंत्री के इस भाषण का कोई असर होगा? क्या प्रधानमंत्री ने जिस किरण अस्पताल के जरीये उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है वो मरहम वोट में तबदिल हो पायेगा?

प्रधानमंत्री और अमितशाह के मिशन 150 को पूरा करने के लिये बीच में अगर कोई रोड़ा है तो वो पाटीदार है, ऐसे में पाटीदार को मनाकर अपने मिशन 150 को साकार करने की हर मुमकिन कोशिश प्रधानमंत्री जी कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने अपने भाषाण को पूरी तरह पाटीदार की भावनाओं के साथ जोड़ दिया. प्रधानमंत्री ने पाटीदार जो कि गुजरात में ज्यादा से ज्यादा किसान हैं, उनके लिये कहा कि उनका वो कैसे खुद के बच्चों को भूखा रखकर भी अपने समाज आपने आसपास के लोगों के लिये सेवा का काम करता है. केसे ये लोग उन्हें प्रधानमंत्री होने के बावजूद अपना मानते हैं, कभी उन्होंने प्रधानमंत्री को पराया नहीं माना है, अपना परिवार ही माना है. प्रधानमंत्री ने भाषण के जरिए पाटीदारों को ये एहसास दिलाने की कोशिश की कि वो भले ही पीएम बन गए हों, लेकिन वो पाटीदारों के साथ हैं और रहेंगे....

रोड शो और रैली के जरिए ही मोदी इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि जनता-जनार्दन उनके ओर उनकी पार्टी भाजपा के लिये क्या सोचती है. शायद यही वजह है कि सूरत में प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह के पाटीदार के जरिए कड़े विरोध के बाद अब जब वो पहुंचे और लोगों का उत्साह दिखा तो शायद उन्हें ये लग रहा है कि पाटीदारों को मनाना नामुमकिन भी नहीं है.

दरअसल, बीजेपी के लिये भी पाटीदार एक सिक्के के दो पहलू की तरह हैं....

आरक्षण की आग में जल रहे पाटीदार के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश के तौर पर सूरत पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाटीदार को ही अपना परिवार बताया और उनके साथ भावनाओं से जुड़े अपने संबंध भाषण के जरीये उनके सामने रखे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पाटीदार पर प्रधानमंत्री के इस भाषण का कोई असर होगा? क्या प्रधानमंत्री ने जिस किरण अस्पताल के जरीये उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है वो मरहम वोट में तबदिल हो पायेगा?

प्रधानमंत्री और अमितशाह के मिशन 150 को पूरा करने के लिये बीच में अगर कोई रोड़ा है तो वो पाटीदार है, ऐसे में पाटीदार को मनाकर अपने मिशन 150 को साकार करने की हर मुमकिन कोशिश प्रधानमंत्री जी कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने अपने भाषाण को पूरी तरह पाटीदार की भावनाओं के साथ जोड़ दिया. प्रधानमंत्री ने पाटीदार जो कि गुजरात में ज्यादा से ज्यादा किसान हैं, उनके लिये कहा कि उनका वो कैसे खुद के बच्चों को भूखा रखकर भी अपने समाज आपने आसपास के लोगों के लिये सेवा का काम करता है. केसे ये लोग उन्हें प्रधानमंत्री होने के बावजूद अपना मानते हैं, कभी उन्होंने प्रधानमंत्री को पराया नहीं माना है, अपना परिवार ही माना है. प्रधानमंत्री ने भाषण के जरिए पाटीदारों को ये एहसास दिलाने की कोशिश की कि वो भले ही पीएम बन गए हों, लेकिन वो पाटीदारों के साथ हैं और रहेंगे....

रोड शो और रैली के जरिए ही मोदी इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि जनता-जनार्दन उनके ओर उनकी पार्टी भाजपा के लिये क्या सोचती है. शायद यही वजह है कि सूरत में प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह के पाटीदार के जरिए कड़े विरोध के बाद अब जब वो पहुंचे और लोगों का उत्साह दिखा तो शायद उन्हें ये लग रहा है कि पाटीदारों को मनाना नामुमकिन भी नहीं है.

दरअसल, बीजेपी के लिये भी पाटीदार एक सिक्के के दो पहलू की तरह हैं. बीजेपी के गुजरात में 20 साल शासन के पीछे 16 प्रतिशत पाटीदार वोट बैंक का श्रेय सब से ज्यादा जाता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री रोड शो के लिये सूरत की सड़कों पर उतरे इसे चुनावी आगाज के तौर पर देखा गया. तो वहीं लगातार पाटीदार आरक्षण की मांग के साथ अंदोलन कर रहे हार्दिक पटेल जिस वक्त प्रधानमंत्री सूरत में रोड शो कर रहे थे उस वक्त सौराष्ट्र के मोरबी में एक विशाल जनसभा को सम्बोधीत कर रहे थे. हार्दिक ने प्रधानमंत्री के इस दौरे का विरोध तो नहीं किया लेकिन हां ये जरूर कहा कि "ये कैसी सरकार जो अपनी लोकप्रियता के लिये जो लोग सरकार के खिलाफ बोलते हैं उन्हें नजरबंद करती है या फिर हिरासत में ले लेती है. क्या इस आजाद देश में किसी को सरकार की निती और सरकार काम काज को लेकर सवाल उठाने का भी हक नहीं है?"

हार्दिक यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि पाटीदार को अपना परिवार बताने वाले और भावनाओं के साथ खुद के भाषण को करने वाले प्रधानमंत्री तब कहां थे जब पाटीदार युवाओं पर बीजेपी सरकार ने लाठीयां बरसाईं थीं. उनके 9 युवा भाइयों की मौत हो गयी थी. समाज सब जानता है ये वोटबैंक की राजनिती और भावनाएं बंद करें.

प्रधानमंत्री के मिशन 150 को अगर कोई ब्रेक लगा सकता है तो वो समुदाय भी पाटीदार है और अगर कोई पूरा करवा सकता है तो वो भी पाटीदार है. इसी लिये नरेन्द्र मोदी ने पाटीदारों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. यहां तक कि पाटीदारों को अपना परिवार बता दिया. चुनाव को अभी 6 महीने हैं और तब तक एक दो दौरे और भी होंगे. अब देखना दिलचस्प होगा कि पाटीदार प्रधानमंत्री को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं या नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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