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केजरीवाल ने सूरत में 'अरविंद पाटीदार' बनना चाहा लेकिन...

    • गोपी मनियार
    • Updated: 18 अक्टूबर, 2016 08:24 PM
  • 18 अक्टूबर, 2016 08:24 PM
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पाटीदारों को रिझाने के लिए अरविंद केजरीवाल न सिर्फ मृतकों के रिश्तेदारों से मिले बल्कि पाटीदारों की कुलदेवी के मंदिर मां उमिया के मंदिर उंजा भी गए.

गुजरात में केजरीवाल की तीन दिन की यात्रा पाटीदारों को मनाने और अपनी ओर आकर्षित करने की राजनीति के तौर पर देखी जा रही थी, हालांकि केजरीवाल का डंका पाटीदारों में कितना चला ये तो 2017 के चुनाव ही बता पाएंगे लेकिन केजरीवाल के इस दौरे में जिस तरह पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के रिश्तेदारों से मिले उससे इतना तो साफ है कि केजरीवाल पाटीदारों के कंधे पर पैर रख गुजरात के तख्त पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं.

पाटीदारों का सहारा लेकर गुजरात जीतना चाहते हैं केजरीवाल

केजरीवाल जानते हैं कि गुजरात में अगर सत्ता में आना है तो यहां पाटीदारों के वोट काफी मायने रखते हैं. गुजरात की कुल जनसंख्या के 15 से 18 फीसदी वोट पाटीदारों के हैं जो कि 55 से अधिक सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात और दक्षिण गुजरात की सीटों पर अपना वर्चस्व रखते हैं. केजरीवाल ने अपनी यात्रा की शुरुआत ही पाटीदारों के गढ़ और पाटीदार आंदोलन के दौरान एपीसेंटर रहे महेसाना से की. केजरावाल ने पाटीदारों में इस कदर अपनी राजनीति को आजमाया कि वो ना सिर्फ मृतकों के रिश्तेदारों से मिले बल्कि पाटीदारों के सबसे संवेदनशील कहे जाने वाले उनकी कुलदेवी के मंदिर मां उमिया के मंदिर उंजा भी गए. हालांकि यहां राष्ट्रीय पाटीदार संगठन की ओर से केजरीवाल का विरोध किया गया लेकिन इस विरोध के बीच केजरीवाल मंदिर भी पहुंचे और मां उमिया की पीजा अर्चना भी की.

ये भी पढ़ें- आप से ज्यादा 'केजरीवाल गरबा' चर्चित...

गुजरात में केजरीवाल की तीन दिन की यात्रा पाटीदारों को मनाने और अपनी ओर आकर्षित करने की राजनीति के तौर पर देखी जा रही थी, हालांकि केजरीवाल का डंका पाटीदारों में कितना चला ये तो 2017 के चुनाव ही बता पाएंगे लेकिन केजरीवाल के इस दौरे में जिस तरह पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के रिश्तेदारों से मिले उससे इतना तो साफ है कि केजरीवाल पाटीदारों के कंधे पर पैर रख गुजरात के तख्त पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं.

पाटीदारों का सहारा लेकर गुजरात जीतना चाहते हैं केजरीवाल

केजरीवाल जानते हैं कि गुजरात में अगर सत्ता में आना है तो यहां पाटीदारों के वोट काफी मायने रखते हैं. गुजरात की कुल जनसंख्या के 15 से 18 फीसदी वोट पाटीदारों के हैं जो कि 55 से अधिक सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात और दक्षिण गुजरात की सीटों पर अपना वर्चस्व रखते हैं. केजरीवाल ने अपनी यात्रा की शुरुआत ही पाटीदारों के गढ़ और पाटीदार आंदोलन के दौरान एपीसेंटर रहे महेसाना से की. केजरावाल ने पाटीदारों में इस कदर अपनी राजनीति को आजमाया कि वो ना सिर्फ मृतकों के रिश्तेदारों से मिले बल्कि पाटीदारों के सबसे संवेदनशील कहे जाने वाले उनकी कुलदेवी के मंदिर मां उमिया के मंदिर उंजा भी गए. हालांकि यहां राष्ट्रीय पाटीदार संगठन की ओर से केजरीवाल का विरोध किया गया लेकिन इस विरोध के बीच केजरीवाल मंदिर भी पहुंचे और मां उमिया की पीजा अर्चना भी की.

ये भी पढ़ें- आप से ज्यादा 'केजरीवाल गरबा' चर्चित हो गया गुजरात में

 पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवार वालों से मिले केजरीवाल

पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए 7 लोगों के परिवार वालों से मिलने के लिए अरविंद केजरीवाल खुद उनके घर गये. हालांकि श्र्वेतांग पटेल जिसकी मौत पाटीदार आंदोलन के दौरान पुलिस कस्टडी में हुई थी, उसके घर पहेंचे तो परिवार वालों ने केजरीवाल से ये सवाल जरूर पूछ लिया कि आखिर अब तक कहां थे आप? कुल मिलाकर देखें तो केजरीवाल ने पाटीदारों की मौत को लेकर गुजरात की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला ताकि पाटीदारों को अपनी ओर आकर्षित कर पाएं. हालांकि केजरीवाल के दौरे से कुछ घंटे पहले ही हार्दिक पटेल ने एक लेटर केजरीवाल के नाम भी लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा था कि आप पाटीदारों की किस तरह मदद कर सकते हैं.

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वहीं सूरत के योगी चौक में हुई जनसभा और इकट्ठी हुई भीड़ के बीच केजरीवाल ने हार्दिक को पाटीदार समाज का हीरो बताया. केजरीवाल के लिये पाटीदार उनके साथ हैं ये कह पाना मुश्किल है क्योंकि पाटीदार समाज के अग्रणी तुषार धेलानी का कहना है कि किसी भी नई राजनीतिक पार्टी को नए राज्य में पैठ बनाने के लिए किसी एक समाज का सहारा लेना पड़ता है, उसी तरह गुजरात में पैठ बनाने के लिए अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पाटीदारों का साथ लेने की कोशिश तो की है मगर केजरीवाल ने पाटीदारों के लिए आरक्षण की बात नहीं की है. तो वहीं पाटीदार समाज के दूसरे बडे अग्रणी मुकेश भाई पटेल का कहना है कि 'केजरीवाल दिल्ली में किस तरह काम कर रहे हैं ये देश भी जानता है, सूरत की जनसभा में तो पाटीदार समाज के लोगों को घुसने तक नहीं दिया गया था, 80% बाहरी लोगों को लाकर सभा में बैठाया गया था केजरीवाल फर्जीवाल की तरह आकर चले गए.'

गुजरात के सूरत में इकट्ठी हुई पाटीदारों की भीड़ वोट में कितनी तबदील होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तो साफ है कि पाटीदारों का साथ जिस राजनीतिक पार्टी के पास होगा उसके लिये विधानसभा चुनाव की जीत की राह आसान होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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