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मानवता और स्थायी शांति के लिए युद्ध ज़रूरी है, तो युद्ध ही सही!

    • अभिरंजन कुमार
    • Updated: 28 फरवरी, 2019 02:32 PM
  • 28 फरवरी, 2019 02:32 PM
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पाकिस्तान का जन्म एक बेहद ही ख़तरनाक और विभाजक विचार के कारण हुआ, जो धार्मिक कट्टरता से पैदा हुआ. विश्व-मानवता के लिए यह एक ऐसा ख़तरनाक विचार है, जिसे पाकिस्तान के अस्तित्व में रहने तक खत्म नहीं किया जा सकता.

भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच एक सीमित युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो रही है. ऐसी घड़ी में अपने शरीर के रोम-रोम से अपने महान देश की महान सेना के लिए प्रशस्ति और प्रोत्साहन लिख रहा हूं, लेकिन हमारी एक ही गुज़ारिश है कि इस बार पीओके खाली कराए बिना यह युद्ध (अगर यह शुरू होता है तो) खत्म नहीं होना चाहिए.

एक मानवतावादी होने के नाते हम हमेशा से युद्ध के खिलाफ रहे हैं और आगे भी रहेंगे, लेकिन उसी मानवतावाद के नाते हमें यह भी लगता है कि अगर मानवता की रक्षा और स्थायी शांति के लिए युद्ध आवश्यक है तो युद्ध से पीछे भी नहीं हटना चाहिए.

बेशक इस युद्ध में काफी जानें जाएंगी, भारत से भी और पाकिस्तान से भी, लेकिन दोनों देशों के बीच अब तक चल रहे छद्म युद्ध में भी कम लोगों की जानें नहीं जा रहीं. इस छद्म युद्ध में हर रोज हमारे अनेक नागरिक और सैनिक मारे जा रहे हैं और हर साल इनकी संख्या अलग-अलग प्रकार से सैकड़ों या हज़ारों में होती है. ऐसे में, अगर युद्ध से ही पाक-प्रायोजित आतंकवाद और कश्मीर समस्या का स्थायी समाधान निकलता है, तो वही सही.

 अगर मानवता की रक्षा और स्थायी शांति के लिए युद्ध आवश्यक है तो युद्ध से पीछे भी नहीं हटना चाहिए (सांकेतिक तस्वीर)

मैं उस मिट्टी की पैदाइश हूं, जिस मिट्टी ने रामधारी सिंह दिनकर जैसे राष्ट्रप्रेमी कवि को जन्म दिया. दिनकर जी ने लिखा है-

"छीनता हो स्वत्व कोई, और तू त्याग-तप से काम ले, यह पाप है.

पुण्य है, विच्छिन्न कर देना उसे, बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है."

और

"सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है

बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है."

मैं मानता...

भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच एक सीमित युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो रही है. ऐसी घड़ी में अपने शरीर के रोम-रोम से अपने महान देश की महान सेना के लिए प्रशस्ति और प्रोत्साहन लिख रहा हूं, लेकिन हमारी एक ही गुज़ारिश है कि इस बार पीओके खाली कराए बिना यह युद्ध (अगर यह शुरू होता है तो) खत्म नहीं होना चाहिए.

एक मानवतावादी होने के नाते हम हमेशा से युद्ध के खिलाफ रहे हैं और आगे भी रहेंगे, लेकिन उसी मानवतावाद के नाते हमें यह भी लगता है कि अगर मानवता की रक्षा और स्थायी शांति के लिए युद्ध आवश्यक है तो युद्ध से पीछे भी नहीं हटना चाहिए.

बेशक इस युद्ध में काफी जानें जाएंगी, भारत से भी और पाकिस्तान से भी, लेकिन दोनों देशों के बीच अब तक चल रहे छद्म युद्ध में भी कम लोगों की जानें नहीं जा रहीं. इस छद्म युद्ध में हर रोज हमारे अनेक नागरिक और सैनिक मारे जा रहे हैं और हर साल इनकी संख्या अलग-अलग प्रकार से सैकड़ों या हज़ारों में होती है. ऐसे में, अगर युद्ध से ही पाक-प्रायोजित आतंकवाद और कश्मीर समस्या का स्थायी समाधान निकलता है, तो वही सही.

 अगर मानवता की रक्षा और स्थायी शांति के लिए युद्ध आवश्यक है तो युद्ध से पीछे भी नहीं हटना चाहिए (सांकेतिक तस्वीर)

मैं उस मिट्टी की पैदाइश हूं, जिस मिट्टी ने रामधारी सिंह दिनकर जैसे राष्ट्रप्रेमी कवि को जन्म दिया. दिनकर जी ने लिखा है-

"छीनता हो स्वत्व कोई, और तू त्याग-तप से काम ले, यह पाप है.

पुण्य है, विच्छिन्न कर देना उसे, बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है."

और

"सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है

बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है."

मैं मानता हूं कि पाकिस्तान ने हमारी चरम सहिष्णुता और शांतिप्रियता का नाजायज़ फ़ायदा उठाते हुए हमें मजबूर कर दिया है कि हम उसके साथ युद्ध लड़ें. पाकिस्तान का जन्म एक बेहद ही ख़तरनाक और विभाजक विचार के कारण हुआ, जो धार्मिक कट्टरता से पैदा हुआ. विश्व-मानवता के लिए यह एक ऐसा ख़तरनाक विचार है, जिसे पाकिस्तान के अस्तित्व में रहने तक खत्म नहीं किया जा सकता.

इसलिए, मेरा मानना है कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध न सिर्फ़ पीओके आज़ाद कराने के लिए लड़ना चाहिए, बल्कि सिंध और बलूचिस्तान को भी आज़ादी दिलाने के लिए भी लड़ना चाहिए. इससे उन करोड़ों सिंधियों और बलूचों के मानवाधिकारों की भी रक्षा हो सकेगी, जो हर रोज़ पाकिस्तान की क्रूर सेना के बूटों तले रौंदे जा रहे हैं.

मैं यह भी कह रहा हूं कि अगर चुनाव टलते हैं, तो टल जाएं, लेकिन इस बार अपेक्षित परिणाम आना चाहिए और एशिया महादेश के इस विशाल भू-भाग में स्थायी शांति कायम होनी चाहिए और मानवता का परचम बुलंद होना चाहिए.

जय हिन्द. जय हिन्द की सेना.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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