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VIRAL VIDEO: अब तक सोचते थे रिश्वत देना अपराध है, लेकिन ये तो 'हमारी ड्यूटी' है !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 19 मार्च, 2018 03:39 PM
  • 19 मार्च, 2018 03:39 PM
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समला पावनि ने रिश्वत देने को ड्यूटी तो बता दिया, लेकिन इसकी वजह से उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया है. रिश्वत देने को ड्यूटी बताने का उनका वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है.

अगर सरकारी अधिकारी खुद ही ये कहें कि रिश्वत देना तो लोगों की ड्यूटी है, तो आप ही सोचिए कि भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगा. तेलंगाना के सिरसिला में नगर पालिका की अध्यक्ष समला पावनि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रिश्वत लेने की बात कबूल कर ली. फिर क्या था, देखते ही देखते उनका वो वीडियो वायरल हो गया. वीडियो के वायरल होने के बाद तो पावनि को इस्तीफा भी देना पड़ गया. जिसने भी पावनि का ये वीडियो देखा वो हैरान रह गया कि आखिर कोई सरकारी अधिकारी ऐसा कैसे कह सकता है. तो चलिए पहले देखते हैं कि पावनि ने अपने वीडियो में क्या कहा था.

समला पावनि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि तेलंगाना टाउन में नागरिक परियोजनां की मंजूरी देने के लिए कमीशन (घूस) लेना आम बात है. उन्होंने कहा- 'हमारे मंत्री कहते हैं कि हमें (सरकारी अधिकारियों को) कुछ नहीं मिलता. अगर वहां एक ठेकेदार है तो 1, 2 या 3 फीसदी कमीशन होता है. इसी पर आधारित अगर वे काम करते हैं और कुछ रिश्वत पार्षद को देते हैं तो सारा काम कर दिया जाता है. वे चुनाव के दौरान पार्षद के तौर पर काफी धन खर्च करते हैं. इसलिए ठेकेदारों को कम से कम 1-2 परसेंट देना चाहिए. हम सब अपने वार्डों में घूमते हैं, इसलिए यह ठेकेदारों की ड्यूटी है कि वे हमें धन दें.'

सीएम कहते हैं- रिश्वत मांगने वालों को सैंडल मारो

कुछ दिन पहले ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड के कर्मचारियों को सलाह दी थी कि जो लोग आपसे रिश्वत मांगते हैं, उन्हें सैंडल से पीटना चाहिए. उन्होंने कर्मचारियों को सलाह देते हुए कहा था कि किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बर्दाश्त न करें. जहां एक ओर मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार से लड़ने की बातें कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उसी राज्य के एक नगर पालिका की अध्यक्ष मानती हैं कि घूस देना तो...

अगर सरकारी अधिकारी खुद ही ये कहें कि रिश्वत देना तो लोगों की ड्यूटी है, तो आप ही सोचिए कि भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगा. तेलंगाना के सिरसिला में नगर पालिका की अध्यक्ष समला पावनि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रिश्वत लेने की बात कबूल कर ली. फिर क्या था, देखते ही देखते उनका वो वीडियो वायरल हो गया. वीडियो के वायरल होने के बाद तो पावनि को इस्तीफा भी देना पड़ गया. जिसने भी पावनि का ये वीडियो देखा वो हैरान रह गया कि आखिर कोई सरकारी अधिकारी ऐसा कैसे कह सकता है. तो चलिए पहले देखते हैं कि पावनि ने अपने वीडियो में क्या कहा था.

समला पावनि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि तेलंगाना टाउन में नागरिक परियोजनां की मंजूरी देने के लिए कमीशन (घूस) लेना आम बात है. उन्होंने कहा- 'हमारे मंत्री कहते हैं कि हमें (सरकारी अधिकारियों को) कुछ नहीं मिलता. अगर वहां एक ठेकेदार है तो 1, 2 या 3 फीसदी कमीशन होता है. इसी पर आधारित अगर वे काम करते हैं और कुछ रिश्वत पार्षद को देते हैं तो सारा काम कर दिया जाता है. वे चुनाव के दौरान पार्षद के तौर पर काफी धन खर्च करते हैं. इसलिए ठेकेदारों को कम से कम 1-2 परसेंट देना चाहिए. हम सब अपने वार्डों में घूमते हैं, इसलिए यह ठेकेदारों की ड्यूटी है कि वे हमें धन दें.'

सीएम कहते हैं- रिश्वत मांगने वालों को सैंडल मारो

कुछ दिन पहले ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड के कर्मचारियों को सलाह दी थी कि जो लोग आपसे रिश्वत मांगते हैं, उन्हें सैंडल से पीटना चाहिए. उन्होंने कर्मचारियों को सलाह देते हुए कहा था कि किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बर्दाश्त न करें. जहां एक ओर मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार से लड़ने की बातें कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उसी राज्य के एक नगर पालिका की अध्यक्ष मानती हैं कि घूस देना तो ठेकेदारों की ड्यूटी है.

भ्रष्टाचार में कमी आई या नहीं?

अगर सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडी के 2017 के सर्वे की बात करें तो 10 पब्लिक सर्विस में लोगों ने 2017 में करीब 6,350 करोड़ रुपए रिश्वत में दिए. वहीं आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 2005 में लोगों ने कुल 20,500 करोड़ रुपए रिश्वत में दिए थे. तो राहत की बात ये है कि भ्रष्टाचार में 67 फीसदी की कमी आई है, लेकिन अगर पावनि जैसे सरकारी अधिकारी खुद ही रिश्वत को बढ़ावा देंगे तो भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं हो सकेगा.

भ्रष्टाचार में 9वें नंबर पर है भारत

पिछले ही साल एक सर्वे से यह बात सामने आई थी कि भारत घूस लेने और भ्रष्टाचार के मामले में 41 देशों की लिस्ट में 9वें नंबर पर है. 2016 में तो स्थिति और भी खराब थी, जब भारत छठे नंबर पर था. EY Europe, Middle East, India and Africa (EMEIA) Fraud Survey 2017 के ये आंकड़े भले ही आपको न डराते हों, लेकिन अपने ही देश के सरकारी अधिकारी की बातों से यह जरूर साफ हो जाता है कि भ्रष्टाचार देश से खत्म करना शायद हमेशा एक सपना ही रह जाएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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