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पश्चिम बंगाल में आपातकाल नहीं तो उससे कम भी नहीं

    • आईचौक
    • Updated: 15 मई, 2019 03:43 PM
  • 15 मई, 2019 03:43 PM
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जिस तरह की हिंसा बंगाल में देखी गई उसने लोकतंत्र को शर्मशार कर दिया है. न लॉ एंड ऑर्डर न आचार सहिंता...सिर्फ ममता बनर्जी का जंगल राज. ये स्थिति आपातकाल नहीं तो उससे कम भी नहीं है.

लोकसभा चुनाव 2019 में जो हिंसा पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रही है वो पहले कहीं नहीं दिखी गई. ममता बनर्जी के बंगाल में चुनाव के हर चरण के बाद हिंसा बढ़ती जाती है. और ऐसे हालात तब हैं जब इस राज्य मे केंद्रीय बलों की 713 कंपनियां और कुल 71 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.

हाल ही के कुछ उदाहरण बता रहे हैं कि पश्चिम बंगल में स्थिति बेहद खराब है. न लॉ एंड ऑर्डर न आचार सहिंता... सिर्फ ममता बनर्जी का जंगल राज. ये स्थिति आपातकाल नहीं तो उससे कम भी नहीं है.

बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी

चुनावी दंगल में जहां हर पार्टी एक दूसरे की टांग खींचने में लगी हुई है, वहीं पश्चिम बंगाल में बीजेपी यूथ विंग की नेता प्रियंका शर्मा ने अपनी फेसबुक वॉल पर ममता बनर्जी का मीम पोस्ट किया था. इसमें ममता बनर्जी को प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला लुक में दिखाया गया था. लेकिन तृणमूल कांग्रेस को ये मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और नेता बिश्वास चंद्र हाज़रा की शिकायत पर प्रियंका शर्मा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

प्रियंका शर्मा को इस मीम की वजह से गिरफ्तार किया गया

अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ प्रियंका शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां कोर्ट ने उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए. साथ में जिस तरीके से बंगाल की पुलिस ने प्रियंका को गिरफ्तार किया उसपर कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की पुलिस को नोटिस भी जारी किया.

लेकिन आदेश के बावजूद भी प्रियंका शर्मा को जेल से रिहा नहीं किया गया. उन्हें रात भर जेल में रखा गया और अगले दिन छोड़ा. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि...

लोकसभा चुनाव 2019 में जो हिंसा पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रही है वो पहले कहीं नहीं दिखी गई. ममता बनर्जी के बंगाल में चुनाव के हर चरण के बाद हिंसा बढ़ती जाती है. और ऐसे हालात तब हैं जब इस राज्य मे केंद्रीय बलों की 713 कंपनियां और कुल 71 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.

हाल ही के कुछ उदाहरण बता रहे हैं कि पश्चिम बंगल में स्थिति बेहद खराब है. न लॉ एंड ऑर्डर न आचार सहिंता... सिर्फ ममता बनर्जी का जंगल राज. ये स्थिति आपातकाल नहीं तो उससे कम भी नहीं है.

बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी

चुनावी दंगल में जहां हर पार्टी एक दूसरे की टांग खींचने में लगी हुई है, वहीं पश्चिम बंगाल में बीजेपी यूथ विंग की नेता प्रियंका शर्मा ने अपनी फेसबुक वॉल पर ममता बनर्जी का मीम पोस्ट किया था. इसमें ममता बनर्जी को प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला लुक में दिखाया गया था. लेकिन तृणमूल कांग्रेस को ये मजाक बर्दाश्त नहीं हुआ और नेता बिश्वास चंद्र हाज़रा की शिकायत पर प्रियंका शर्मा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

प्रियंका शर्मा को इस मीम की वजह से गिरफ्तार किया गया

अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ प्रियंका शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां कोर्ट ने उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए. साथ में जिस तरीके से बंगाल की पुलिस ने प्रियंका को गिरफ्तार किया उसपर कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की पुलिस को नोटिस भी जारी किया.

लेकिन आदेश के बावजूद भी प्रियंका शर्मा को जेल से रिहा नहीं किया गया. उन्हें रात भर जेल में रखा गया और अगले दिन छोड़ा. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि रिहाई का आदेश कल जारी किया गया था,  फिर कल ही रिहा क्यों नहीं किया गया? पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया कि आदेश शाम पांच बजे मिला था, जेल मैन्यूअल के चलते रिहाई नहीं हो पाई. सुप्रीम कोर्ट भी इस बात से नाराज था और उनका कहना था कि 'क्या जेल मैन्यूअल सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बड़ा है?'

अमित शाह के रोड शो में TMC का उत्पात

मंगलवार को कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मेगा रोड शो किया. रोड शो से पहले मोदी और शाह के पोस्टर हटा दिए गए थे. लेकिन रोड शो के अंत होते-होते बवाल हो गया. रोड शो में टीएमसी-बीजेपी समर्थक भिड़ गए. तृणमूल कार्यकर्ताओं ने शाह के खिलाफ नारेबाजी की और काले झंडे दिखाए. शाह जिस वाहन पर सवार थे, उस पर डंडे फेंके गए. पत्थरबाजी की गई और आगजनी भी हुई. पुलिस ने लाठीचार्ज किया.

फिर दिल्ली में अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस इन सबके लिए टीएमसी को जिम्मदार बताकर चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की.

लेकिन ममता ने हिंसा का आरोप भाजपा पर ही लगा दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने ही हिंसा की योजना बनाई थी. इसके सबूत TMC ने सोशल मीडिया पर दिए

अमित शाह पर हुए हमले के खिलाफ में भाजपा अब प्रदर्शन कर रही है. #SaveBengalSaveDemocracy सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति फिर तोड़ी गई

बंगाल में जब भी मतभेद की स्थिति आती है, कोई हिंसा होती है तो सबसे पहले शिक्षा शास्त्री ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी जाती है. ये मूर्ति पहले भी कई बार टूटी और अमित शाह की रैली में भी टूटी. विद्यासागर कॉलेज में टीएमसी छात्र परिषद और बीजेपी कार्यकर्ताओं में जब हंगामा हुआ तो ये मूर्ती तोड़ दी गई. अमित शाह का आरोप है कि इसे टीएमसी के लोगों ने ही तोड़ा है, और इसका सबूत भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किया.

विद्यासागर कॉलेज में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी गई

विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने का मामला जब गर्मा गया तो टीएमसी विद्यासागरमय हो गई. ममता बनर्जी ने अपना ट्विटर प्रोफाइल पर विद्यासागर की तस्वीर लगा ली देखा देखी टीएमसी के प्रोफाइल तस्वीरें बदल दी गईं. ये जताने की कोशिश हुई कि उन्होंने मूर्ति नहीं तोड़ी.

पूरा टीएमसी विद्यासागरमय हो गया

बीजेपी नेताओं की कोलकाता में गिरफ्तारी

अमित शाह के रोड शो में हुए बवाल पर कोलकाता में कई बीजेपी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. न सिर्फ अमित शाह के खिलाफ कोलकाता में शिकायत दर्ज हुईं वहीं, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि तेजिंदर पाल सिंह बग्गा समेत कई नेता इस समय हिरासत में हैं.

जिस तरह प्रयंका शर्मा को गपफ्तार किया गया उसी तरह बीजेपी के नेता जेल में बंद हैं. उनके साथ क्या होगा वो प्रियंका के मामले ने पहले ही समझा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जो अपनी मनमानी करते हैं उनके और उम्मीद क्या की जाए.

योगी आदित्‍यनाथ की रैली

बुधवार को बंगाल में योगी आदित्यनाथ की भी रैली होनी थी लेकिन रैली से पहले ही योगी के मंच के साथ तोड़फोड़ हुई. खबर आई कि ये रैली रद्द हो सकती है. लेकिन तुरंत बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने निर्देश दिए कि चाहे कुछ हो जाए, ये रैलियां रद्द नहीं होंगी.

इसके बाद उन्होंने बंगाल के बारासात में रैली की और टीएमसी पर निशाना साधा

दोनों पार्टियां हिंसा के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, सबूत दे रही हैं. लेकिन इन सबके चलते जिस तरह की हिंसा बंगाल में देखी गई उसने लोकतंत्र को शर्मशार कर दिया है. बंगाल में मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी हर हाल में सत्‍ता जाने नहीं देना चाहतीं तो वहीं भाजपा भी बंगाल में एंटी इनकंबैंसी को अपने पक्ष में करना चाहती है. और जिसका नतीजा ये सियासी टकराव है और जिसमें बंगाल जल रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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