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संस्कृति के नाम पर लड़कियों को मारने वाले मैंगलुरु में मांग रहे हैं भाजपा के लिए वोट!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 मई, 2018 10:45 PM
  • 10 मई, 2018 10:45 PM
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मैंगलुरु से विहिप नेता शरण का मानना है कि जो लड़कियां शराब पीती हैं यदि उन्हें मार पीट का सही रास्ते पर लाया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

2014 में पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन ताकतों को बल मिला जो कट्टरपंथ की बात करते थे. दिल्ली में डॉक्टर नारंग की मौत से लेकर अखलाक, पहलू खां और शंभुलाल रेगर तक 2014 से 2019 तक कई ऐसे मौके आए हैं जब लगा कि देश दो धड़ों में बंट चुका है. क्या हिन्दू, क्या मुसलमान ये बात किसी से छुपी नहीं है कि पूर्व की अपेक्षा इन चार सालों में लोगों के बीच सहिष्णुता कम हुई है. बात चूंकि कर्नाटक से है तो यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि चाहे पब जा रही, डांस कर रहीं लड़कियों को मारने और उन्हें असंस्कारी कहने का मुद्दा रहा हो या फिर कुलबर्गी, गौरी लंकेश की हत्या कर्नाटक में बीते कुछ वक्त से हालात बहुत खराब हैं.

सबसे दिलचस्प ये है कि ऐसे खराब हालात में कर्नाटक में सभी अपनी राजनीति चमका रहे हैं. अब इसे पार्टी को फायदा पहुंचाने की बात कहें या विचारधारा का प्रभाव कर्नाटक में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता इतना उत्साहित हैं कि उन्हें संस्कृति की रक्षा के नाम पर लड़कियों पर हाथ उठाने से भी गुरेज नहीं है और इस बात के लिए उन्हें अपने पर गर्व है. मजेदार बात ये है कि ऐसे लोग आम जनता से बीजेपी के पक्ष में वोट मांग रहे हैं. समाचार वेबसाइट दा क्विंट ने मैंगलुरु के एक विश्व हिन्दू परिषद के नेता शरण पम्प्वेल का इंटरव्यू किया है. शरण के अनुसार, यदि लड़के उन लड़कियों को मरते पीटते हैं, जो पब में शराब पीटी हैं और डांस करती हैं तो ये एक अच्छी बात है और इसमें कोई बुराई नहीं है."

 

आज जैसे संस्कृति की रक्षा के नाम पर कानून हाथ में लिया जा रहा है वो

शरण जो कि पूर्व में बजरंग दल के नेता रह चुके हैं और वर्तमान में मैंगलुरु विश्व हिन्दू परिषद के सचिव हैं. तटीय कर्नाटक में भाजपा का चुनाव प्रचार कर रहे शरण ने संस्कृति की दुहाई देते हुए ये बात स्वीकारी...

2014 में पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन ताकतों को बल मिला जो कट्टरपंथ की बात करते थे. दिल्ली में डॉक्टर नारंग की मौत से लेकर अखलाक, पहलू खां और शंभुलाल रेगर तक 2014 से 2019 तक कई ऐसे मौके आए हैं जब लगा कि देश दो धड़ों में बंट चुका है. क्या हिन्दू, क्या मुसलमान ये बात किसी से छुपी नहीं है कि पूर्व की अपेक्षा इन चार सालों में लोगों के बीच सहिष्णुता कम हुई है. बात चूंकि कर्नाटक से है तो यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि चाहे पब जा रही, डांस कर रहीं लड़कियों को मारने और उन्हें असंस्कारी कहने का मुद्दा रहा हो या फिर कुलबर्गी, गौरी लंकेश की हत्या कर्नाटक में बीते कुछ वक्त से हालात बहुत खराब हैं.

सबसे दिलचस्प ये है कि ऐसे खराब हालात में कर्नाटक में सभी अपनी राजनीति चमका रहे हैं. अब इसे पार्टी को फायदा पहुंचाने की बात कहें या विचारधारा का प्रभाव कर्नाटक में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता इतना उत्साहित हैं कि उन्हें संस्कृति की रक्षा के नाम पर लड़कियों पर हाथ उठाने से भी गुरेज नहीं है और इस बात के लिए उन्हें अपने पर गर्व है. मजेदार बात ये है कि ऐसे लोग आम जनता से बीजेपी के पक्ष में वोट मांग रहे हैं. समाचार वेबसाइट दा क्विंट ने मैंगलुरु के एक विश्व हिन्दू परिषद के नेता शरण पम्प्वेल का इंटरव्यू किया है. शरण के अनुसार, यदि लड़के उन लड़कियों को मरते पीटते हैं, जो पब में शराब पीटी हैं और डांस करती हैं तो ये एक अच्छी बात है और इसमें कोई बुराई नहीं है."

 

आज जैसे संस्कृति की रक्षा के नाम पर कानून हाथ में लिया जा रहा है वो

शरण जो कि पूर्व में बजरंग दल के नेता रह चुके हैं और वर्तमान में मैंगलुरु विश्व हिन्दू परिषद के सचिव हैं. तटीय कर्नाटक में भाजपा का चुनाव प्रचार कर रहे शरण ने संस्कृति की दुहाई देते हुए ये बात स्वीकारी है कि, मैंगलुरु सांस्कृतिक रूप से धनी जगह है. ऐसे में यदि यहां की लड़कियां पब जाएं, शराब का सेवन करें और तेज संगीत पर डांस करें तो इससे पूरी संस्कृति बुरी तरह प्रभावित हो रही है. शरण मानते हैं कि इस अश्लीलता को वो और उनका संगठन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा.

इस पूरे मुद्दे पर शरण के अजीब ओ गरीब तर्क हैं, शरण का मानना है कि मैंगलुरु के पबों में सेक्स माफिया का कब्ज़ा है जिसके चलते यहां की लड़कियां देह व्यापार में भी लिप्त हैं. इनके संगठन द्वारा ऐसी लड़कियों को लगातार सुधारने और सही रास्ते पर लाने के प्रयास किये जा रहे हैं. शरण मानते हैं कि यदि इसके लिए किसी लड़की को मरना पीटना पड़े तब भी इसमें कोई बुराई नहीं है और उनके जो साथ ऐसा कर रहे हैं उनपर उन्हें गर्व है.

मॉरल पुलिसिंग के नाम पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ा रहे हैं

जाहिर है संस्कृति की रक्षा के नाम पर जो शरण कर रहे हैं उसे मॉरल पुलिसिंग ही कहा जाएगा. द क्विंट को दिए अपने इस इंटरव्यू में शरण ने इस बात को भी स्वीकारा है वो जो भी कर रहे हैं वो लोगों में  जागरूकता बढ़ाने के लिहाज से कर रहे हैं. इसके लिए शरण ने सिनेमाहाल में चलने वाले शराब और सिगरेटों के विज्ञापनों का उदाहरण दिया और कहा कि हम लोग उन्हीं (विज्ञापनों में बताई) टेक्नीक को अमली जामा पहना रहे हैं. शरण इस बात को पूरे विश्वास के साथ स्वीकार करते हैं कि युवाओं को भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए तमाम बुराइयों से दूर रहना चाहिए.

विहिप के लोग मैंगलुरु में चाहते हैं कि केवल हिन्दू उम्मीदवार ही विजय हों

केवल बीजेपी जीते इसलिए कर रहे हैं चुनाव प्रचार

शरण हिंदूवादी नेता हैं और चाहते हैं कि उनके क्षेत्र से केवल बीजेपी का व्यक्ति ही चुनाव जीतें. शायद ये शरण का बीजेपी काचुनाव जिताने का संकल्प ही है जिसके चलते वो अपने क्षेत्र के बीजेपी प्रत्याशियों को चुनाव जिताने के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. शरण और उनके लोग अपनी इस पहल के लिए दरवाजे-दरवाजे जा रहे हैं और लोगों से निवेदन कर रहे हैं कि वो केवल अपनी क्षेत्र के बीजेपी प्रत्याशियों को ही वोट दें और उन्हें विजय बनाएं. शरण चाहते हैं कि भाजपा के लोग चुनाव जीतने के बाद सिर्फ और सिर्फ हिन्दू हितों की ही बात करें.

इस पूरे खबर से एक बात तो साफ है कि शरण उस विचारधारा का पालन कर रहे हैं जो उन्हें आज भी सदियों पीछे ले जाती है. साथ ही यहां ये भी सवाल खड़ा होता है कि आखिर शरण और उनके लोगों को ये अधिकार दिए किसने कि वो संस्कृति के नाम पर किसी को मारे-पीटें, उसे प्रताड़ित करें. बात खत्म करते हुए हम शरण के लिए बस इतना कहेंगे कि जो पूर्व में ये कर चुके हैं और वर्तमान में जो ये कर रहे हैं, उसके चलते यदि मैंगलुरु समेत कर्नाटक के समस्त तटीय क्षेत्रों में बीजेपी का वोट प्रभावित हुआ या फिर यहां से बीजेपी हारी तो इसका जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि शरण और उनकी आदिम विचारधारा होगी जो लगातार आप आदमी के जीवन में बेमतलब की दखलअंदाजी कर रही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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