• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

वसुंधरा के सक्रिय होने का मतलब CM बनना न सही, गहलोत सरकार का जाना तय समझें

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 08 अगस्त, 2020 02:31 PM
  • 08 अगस्त, 2020 02:31 PM
offline
वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के दिल्ली पहुंचने का मतलब तो यही है कि जयपुर में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार का काउंट डाउन शुरू हो चुका है - और जेपी नड्डा (JP Nadda) से मुलाकात के बाद तो ये भी तय है कि वसुंधरा मोर्चे पर डट गयी हैं.

राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने वाला है. लिहाजा राजनीतिक गतिविधियां तेज होने लगी हैं - और सूबे की सियासत में सबसे बड़ी हलचल है वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का एक्टिव हो जाना. पहले लंबी खामोशी. फिर राजस्थान की राजनीति पर कुछ ट्वीट, लेकिन अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर निशाना नहीं. और फिर सीधे दिल्ली पहुंच कर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के साथ मीटिंग. आखिर क्या कहलाता है?

क्या वसुंधरा राजे भी शिवराज सिंह चौहान की राह पकड़ चुकी हैं? क्या वसुंधरा राजे को फिर से जिम्मेदारी संभालने का कोई मैसेज मिला है? क्या ये सब अशोक गहलोत सरकार गिर जाने की सूरत में वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाये जाने का संकेत है?

अभी तो इन सभी सवालों के जवाब 'ना' में ही लगते हैं. - क्योंकि ऐसी तमाम बातें हैं जो दिल्ली की तरफ से वसुंधरा राजे को फिर से कमान सौंपे जाने को लेकर ग्रीन सिग्नल नहीं दिखा रही हैं. हां, ये जरूर हो सकता है कि कोई बीच का रास्ता निकाले जाने की कोशिश चल रही हो और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी हो.

वसुंधरा राजे के हिस्से में क्या आता है, थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा - लेकिन ये तो धीरे धीरे साफ होने लगा है कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार का काउंट डाउन शुरू हो चुका है.

वसुंधरा का दबदबा कायम है

जब से राजस्थान की राजनीति में उथल पुथल मची है, कई बार वसुंधरा राजे के जयपुर आने की चर्चा रही. बीजेपी की मीटिंग बुलायी गयी और बताया गया कि वसुंधरा राजे भी हिस्सा लेंगी, लेकिन वो नहीं पहुंचीं. राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया अपने स्तर पर बीजेपी नेताओं के साथ अलग अलग मीटिंग करते रहे और फील्ड में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सक्रिय देखे जाते रहे. जब गजेंद्र सिंह शेखावता वायरल ऑडियो में नाम उछला और केस दर्ज हुआ तो वसुंधरा राजे ने ट्विटर पर बयान जारी किया - कांग्रेस पर तो हमला बोला लेकिन अशोक गहलोत का नाम नहीं लिया. उससे पहले भी जब कई बीजेपी नेता सचिन पायलट का नाम लेकर बयान देते रहे, वसुंधरा...

राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने वाला है. लिहाजा राजनीतिक गतिविधियां तेज होने लगी हैं - और सूबे की सियासत में सबसे बड़ी हलचल है वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का एक्टिव हो जाना. पहले लंबी खामोशी. फिर राजस्थान की राजनीति पर कुछ ट्वीट, लेकिन अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर निशाना नहीं. और फिर सीधे दिल्ली पहुंच कर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के साथ मीटिंग. आखिर क्या कहलाता है?

क्या वसुंधरा राजे भी शिवराज सिंह चौहान की राह पकड़ चुकी हैं? क्या वसुंधरा राजे को फिर से जिम्मेदारी संभालने का कोई मैसेज मिला है? क्या ये सब अशोक गहलोत सरकार गिर जाने की सूरत में वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाये जाने का संकेत है?

अभी तो इन सभी सवालों के जवाब 'ना' में ही लगते हैं. - क्योंकि ऐसी तमाम बातें हैं जो दिल्ली की तरफ से वसुंधरा राजे को फिर से कमान सौंपे जाने को लेकर ग्रीन सिग्नल नहीं दिखा रही हैं. हां, ये जरूर हो सकता है कि कोई बीच का रास्ता निकाले जाने की कोशिश चल रही हो और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी हो.

वसुंधरा राजे के हिस्से में क्या आता है, थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा - लेकिन ये तो धीरे धीरे साफ होने लगा है कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार का काउंट डाउन शुरू हो चुका है.

वसुंधरा का दबदबा कायम है

जब से राजस्थान की राजनीति में उथल पुथल मची है, कई बार वसुंधरा राजे के जयपुर आने की चर्चा रही. बीजेपी की मीटिंग बुलायी गयी और बताया गया कि वसुंधरा राजे भी हिस्सा लेंगी, लेकिन वो नहीं पहुंचीं. राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया अपने स्तर पर बीजेपी नेताओं के साथ अलग अलग मीटिंग करते रहे और फील्ड में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सक्रिय देखे जाते रहे. जब गजेंद्र सिंह शेखावता वायरल ऑडियो में नाम उछला और केस दर्ज हुआ तो वसुंधरा राजे ने ट्विटर पर बयान जारी किया - कांग्रेस पर तो हमला बोला लेकिन अशोक गहलोत का नाम नहीं लिया. उससे पहले भी जब कई बीजेपी नेता सचिन पायलट का नाम लेकर बयान देते रहे, वसुंधरा राजे की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया.

माना जाता है कि राजस्थान में बीजेपी के 72 विधायकों में से कम से कम 45 पर वसुंधरा राजे का पूरा प्रभाव है. बीजेपी नेतृत्व इसी डर से राजस्थान में कोई भी कदम बढ़ाने से संकोच करता है. दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी आलाकमान को इस बात की भी फिक्र होने लगी थी कि वसुंधरा पार्टी के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठा लें. रिपोर्ट में बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी के हवाले से लिखा है कि अभी खामोश नजर आ रहीं वसुंधरा राजे आगामी दिनों में बीजेपी से अलग होने जैसा भी कदम उठा सकती हैं.

राजस्थान बीजेपी की कार्यकारिणी का गठन हुआ है और जिस तरीके से वसुंधरा राजे के विरोधियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है वो भी उनकी नाराजगी बढ़ाने वाला ही है. मदन दिलावर और दीया कुमारी की नियुक्ति में वसुंधरा समर्थकों को नजरअंदाज किया जाना नाराजगी की वजह बन रहा है. 2018 में जब अमित शाह चाहते थे कि गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जाये तो वसुंधार ने मुहिम चलायी और फिर सतीश पूनिया के नाम पर सहमति बनी.

ऐसे मौके पर प्रदेश महामंत्री बनायी गयीं दीया कुमारी का ताजा बयान के मतलब जो भी हो, लेकिन महत्वपूर्ण तो है ही. दीया कुमारी का कहना है कि वसुंधरा राजे का पार्टी में कोई विकल्प नहीं है. कहती हैं, मुझे भी बीजेपी में लाने वाली और प्रदेश मंत्री बनाने वाली वसुंधरा राजे ही हैं.

वसुंधरा राजे मोर्चे पर तो लौट चुकी हैं, लेकिन मंजिल अभी साफ नहीं है

इस बात की काफी चर्चा रही कि चूंकि बीजेपी नेतृत्व ने राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ी बातों में शामिल नहीं किया था, इसलिए वो भी सीन से गायब रहीं. बीजेपी नेतृत्व की कभी भी परवाह न करने वाली वसुंधरा की मंजूरी के बिना राजस्थान में कोई भी नया समीकरण नहीं बनने वाला, ये बात सबको मालूम है.

अमित शाह की बिहार रैली के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का राजस्थान में वर्चुअल संवाद का कार्यक्रम 27 जून को हुआ था. वसुंधरा गडकरी के कार्यक्रम में तो शामिल हुईं, लेकिन कुछ दिन पहले जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान बीजेपी के नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की तो वसुंधरा ने दूरी बना ली. हालांकि, वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह मीटिंग में देखे गये थे. दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारन से लोक सभा सांसद हैं.

बहरहाल, अपडेट ये है कि वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंची हैं जहां बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के साथ उनकी मीटिंग हुई है. बताते हैं कि दिल्ली में रुक कर ही वसुंधरा बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष और सह-संगठन मंत्री वी. सतीश जैसे नेताओं से मुलाकात और विचार विमर्श करने वाली हैं. खबरों के मुताबिक, वसुंधरा 13 अगस्त को जयपुर पहुंचेंगी जब अगले ही दिन विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है.

बीजेपी का प्लान क्या है

बीजेपी के प्लान में अब तक एक ही बात साफ है कि वो अशोक गहलोत सरकार गिराने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती. बीजेपी को इस नतीजे पर पहुंचाया भी खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही है. जब तक वो बीजेपी पर सरकार गिराने के आरोप लगाते रहे, बीजेपी नेता सचिन पायलट का सपोर्ट कर या कोई हल्की फुल्की बात कर रस्मअदायगी भी करते रहे. जब राजस्थान पुलिस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ केस दर्ज कर लिया - और अशोक गहलोत सरकार गिराने की साजिश रचने को लेकर अमित शाह और कई मंत्रियों के नाम लेने लगे तो बीजेपी ने भी मोर्चा संभाल लिया.

अब जेपी नड्डा और वसुंधरा राजे की मुलाकात हो चुकी है और जाहिर है आगे की रणनीति पर काम शुरू हो चुका होगा. खबर है कि वसुंधरा राजे ने नड्डा से मुलाकात में ट्विटर वाली बात ही दोहरायी है - पार्टी के साथ हूं. पार्टी की विचारधारा के साथ हूं. पार्टी के फैसले के साथ रहूंगी, ये उसके आगे की बात है.

ये भी मान कर चलना होगा कि वसुंधरा बगैर किसी ठोस आश्वासन के दिल्ली तो पहुंचने से रहीं. 2018 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी ने वसुंधरा को उपाध्यक्ष बना दिया था. तब शिवराज सिंह चौहान को भी उपाध्यक्ष ही बनाया गया था. शिवराज सिंह चौहान तो दिल्ली और दिल्ली से तय होने वाले कामों में काफी दिनों तक सक्रिय भी रहे, लेकिन वसुंधरा ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी. कहा तो यहां तक जाता है कि आलाकमान की तरफ से मंत्री पद का ऑफर भी मिला लेकिन वसुंधरा ने वो भी ठुकरा दिया था.

राजस्थान को लेकर बीजेपी का प्लान वसुंधरा की मंजूरी के बगैर तो आगे बढ़ने से रहा. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाये जाने की संभावना जताकर राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने एक तरीके से नेतृत्व के इशारे पर वसुंधरा को झटका देने की ही कोशिश की थी. वैसे सचिन पायलट के लिए इतना बड़ा दिल दिखाने का तब तक कोई मतलब नहीं बनता जब तक बहुत ही विशेष परिस्थिति न हो - और किसी भी सूरत में कोई विकल्प न बचा हो.

वसुंधरा के लिए भी सबसे बड़ा आकर्षण और ऑफर फिलहाल तो राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी ही है, लेकिन अगर संभव न हो पाये तो अपनी पसंद के नेता के नाम पर मन मसोस कर तैयार भी हो सकती हैं. हालांकि, ये भी वसुंधरा के लिए आखिरी फैसला ही होगा - क्योंकि ऐसा करना वसुंधरा के लिए आगे के लिए पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेने जैसा ही होगा.

इन्हें भी पढ़ें :

Sachin Pilot को संभावित CM बताकर बीजेपी डबल टारगेट साधने जा रही है

Sachin Pilot मामले में वसुंधरा राजे का चुप्पी तोड़ना अब मायने रखता है

Sachin Pilot के लिए BJP-कांग्रेस से बेहतर विकल्प नयी पार्टी है, बशर्ते...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲