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ये मूर्तियों की नहीं, देश की शामत आई है..

    • आईचौक
    • Updated: 07 मार्च, 2018 02:34 PM
  • 07 मार्च, 2018 02:25 PM
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लेनिन तो विदेशी है, लेकिन दंगाई जब स्वदेशी नेताओं की मूर्तियां की तरफ बढ़ेंगे तो विनाश ही होगा.

भारत में अब एक और नया कार्यक्रम शुरू हो गया है. वो है पुतले गिराने का कार्यक्रम. वैसे ही जैसे, पहले मेडल वापसी, आरक्षण विरोध और दुनिया भर के अनेकों कार्यक्रम किए गए थे. ठीक उसी तरह इस बार भी हो रहा है. पहले भाजपा ने लेनिन की मूर्ति गिराई अब लेफ्ट के कार्यकर्ता भाजपाई नेताओं की मूर्ति गिरा रहे हैं. मतलब कुल मिलाकर अब हुड़दंगाई फिर से हरकत में आ गए हैं और कई बेरोजगारों को काम मिल गया है.

जिसे नहीं पता उसे बता दूं कि हाल ही में भाजपा ने त्रिपुरा चुनाव में जीत हासिल की और करीब 25 सालों से त्रिपुरा पर राज कर रही सीपीआई(एम) को हरा दिया. त्रिपुरा चुनाव के नतीजों में भाजपा की जीत के दो दिन बाद ही भाजपा समर्थकों ने वामपंथ से जुड़ी हर चीज का सफाया करने का एक अभियान जैसा शुरू कर दिया है. इसके तहत रूसी क्रांति के नायक व्लादिमिर लेनिन के पुतले पर भी बुल्डोजर चला दिया गया. त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्क्वायर में स्थित इस पुतले को करीब 5 साल पहले स्थापित किया गया था. कुछ भाजपा समर्थक बुल्डोजर के साथ यहां पहुंचे और 'भारत माता की जय' का नारा लगाते हुए पुतले को गिरा दिया.

इसके बाद बारी आई तमिलनाडु की जहां भजपा लीडर एच राजा ने फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट की जिसमें लिखा था कि ड्रविडियन आइकन ई वी रामासावामी 'पेरियार' के पुतले को गिरा दो और यकीनन इस बात पर भी लिखा था कि आखिर लेनिन के पुतले की भारत में जरूरत क्या है. बस हो गया विवाद और कुछ घंटे बाद कुछ लोग पेरियार के पुतले को गिराने पहुंच गए.

विवादित फेसबुक पोस्ट थी...

Who is Lenin? What is his relevance in India? Why is India connected to Communism? Yesterday, Lenin statue was brought down in Tripura. Tomorrow, statues of caste fanatic E V Ramaswamy Periyar will be brought...

भारत में अब एक और नया कार्यक्रम शुरू हो गया है. वो है पुतले गिराने का कार्यक्रम. वैसे ही जैसे, पहले मेडल वापसी, आरक्षण विरोध और दुनिया भर के अनेकों कार्यक्रम किए गए थे. ठीक उसी तरह इस बार भी हो रहा है. पहले भाजपा ने लेनिन की मूर्ति गिराई अब लेफ्ट के कार्यकर्ता भाजपाई नेताओं की मूर्ति गिरा रहे हैं. मतलब कुल मिलाकर अब हुड़दंगाई फिर से हरकत में आ गए हैं और कई बेरोजगारों को काम मिल गया है.

जिसे नहीं पता उसे बता दूं कि हाल ही में भाजपा ने त्रिपुरा चुनाव में जीत हासिल की और करीब 25 सालों से त्रिपुरा पर राज कर रही सीपीआई(एम) को हरा दिया. त्रिपुरा चुनाव के नतीजों में भाजपा की जीत के दो दिन बाद ही भाजपा समर्थकों ने वामपंथ से जुड़ी हर चीज का सफाया करने का एक अभियान जैसा शुरू कर दिया है. इसके तहत रूसी क्रांति के नायक व्लादिमिर लेनिन के पुतले पर भी बुल्डोजर चला दिया गया. त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्क्वायर में स्थित इस पुतले को करीब 5 साल पहले स्थापित किया गया था. कुछ भाजपा समर्थक बुल्डोजर के साथ यहां पहुंचे और 'भारत माता की जय' का नारा लगाते हुए पुतले को गिरा दिया.

इसके बाद बारी आई तमिलनाडु की जहां भजपा लीडर एच राजा ने फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट की जिसमें लिखा था कि ड्रविडियन आइकन ई वी रामासावामी 'पेरियार' के पुतले को गिरा दो और यकीनन इस बात पर भी लिखा था कि आखिर लेनिन के पुतले की भारत में जरूरत क्या है. बस हो गया विवाद और कुछ घंटे बाद कुछ लोग पेरियार के पुतले को गिराने पहुंच गए.

विवादित फेसबुक पोस्ट थी...

Who is Lenin? What is his relevance in India? Why is India connected to Communism? Yesterday, Lenin statue was brought down in Tripura. Tomorrow, statues of caste fanatic E V Ramaswamy Periyar will be brought down.”

(कौन है लेनिन? उसकी भारत में जरूरत क्या है? क्यों भारत साम्यवाद से जुड़ा हुआ है? कल लेनिन का पुतला गिराया गया. आने वाले कल में जाति कट्टरपंथी ई वी रामसावामी पेरियार के पुतले को गिराया जाएगा.)

इस पोस्ट के साथ एक वीडियो भी था जिसमें लेनिन की मूर्ति को गिराते लोग थे. इस पोस्ट को विरोध के बाद डिलीट कर दिया गया, लेकिन आग तो लग चुकी है न.

अब इसके बाद भाजपा के विरोध में ऐसा न हो तो भला ये बात पूरी कहां होगी. कम्युनिस्ट हीरो लेनिन की मूर्ति गिराने के विरोध में अब अपोजिशन भी कूद पड़ी है और बंगाल में भारतीय जन संघ के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जादवपुर यूनिवर्सिटी में लगी मूर्ति को नुकसान पहुंचाया और उसके मुंह पर कालिख पोत दी.

खबरों की मानें तो ये काम अल्ट्रा-लेफ्ट स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने किया है. इस मूर्ति को नुकसान पहुंचाने के समय लेनिन के स्टैचू को तोड़े जाने का विरोध किया जा रहा था.

भाजपा ने त्रिपुरा में 25 साल का लेफ्ट राज क्या खत्म कर दिया बस हुड़दंग शुरू हो गया. ऐसा नहीं है कि भाजपा की जीत के बाद सिर्फ लेनिन का पुतला गिराने की घटना सामने आई है, बल्कि कई सीपीआई(एम) के दफ्तरों में भी तोड़-फोड़ किए जाने की खबरें सामने आ रही हैं.

 

 

जो देखने को मिल रहा है उससे एक बात समझ आ रही है कि भगवाधारी देश में अभी और बहुत कुछ होना बाकी है. केरल के चुनाव अभी बाकी हैं और वहां पहले से ही काफी विवाद शुरू हो गए हैं. मूर्ति गिराने के मामले में भी अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू है. एक तरफ प्रधानमंत्री मूर्तियां गिराने की घटनाओं की निंदा कर रहे हैं तो अमित शाह ट्वीट कर बता रहे हैं कि पार्टी अभी भी अपने मूलभूत मुद्दों पर ही चल रही है. दूसरी तरह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राम माधव का कहना है कि लेनिन की मूर्ति भाजपा द्वारा नहीं बल्कि किसी और द्वारा हटाई गई है. और इसीलिए कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है.

कुल मिलाकर अब मूर्तियों पर राजनीति और इसके विरोध के लिए देश तैयार हो गया है. क्योंकि बाकी अहम मुद्दे तो हैं ही नहीं देश के पास. कहीं किसी स्टेशन या शहर का नाम बदलना, किसी चौराहे को हिंदुत्व से रंग देना, किसी मूर्ति को या पब्लिक प्रॉपर्टी को तोड़ देना जिसमें पब्लिक का कोई नुकसान नहीं हुआ (सिवाए उस टैक्स के पैसे के जिससे ये सब बनाया गया था.). लोग बस आराम से अपना काम करें क्योंकि ये तो शायद बस राजनीति का एक नया तरीका है.

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मगर बीजेपी वालों को कॉमरेड लेनिन की मूर्ति नहीं तोड़नी चाहिए थी...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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