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यूपी चुनाव 2017 से लोकसभा चुनाव 2019 तक मोदी होंगे रॉबिनहुड

    • सीमा गुप्ता
    • Updated: 14 मार्च, 2017 03:06 PM
  • 14 मार्च, 2017 03:06 PM
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नोटबंदी ने गरीबों के बीच मोदी की रॉबिनहुड की छवि बना दी. इसके अलावा उज्ज्वला योजना जैसी अन्य नीतियों ने महिला उम्मीदवारों को भी मोदी के साथ खड़ा कर दिया.

यूपी चुनाव नतीजों से बाहर आईं कुछ जरूरी बातें:

- उत्तर प्रदेश चुनावों में 300 से ज्यादा सीटें जीतना भाजपा के लिए ऐतिहासिक है. मोदी अब अपराजेय बन गए हैं. इससे पहले 1980 में कांग्रेस ने 309 सीटें जीती थी लेकिन फिर भी भाजपा ने रिकॉर्ड बनाया है और 309 के आंकड़े को पार करके नया इतिहास रचा है. इस उपलब्धि के लिए मोदी सबसे बड़ा कारक हैं. मोदी ने एक ऐसे प्रधानमंत्री की छवि बनाई है जो कड़ी मेहनत करने वाला है और जिसने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया है. एक ऐसा प्रधानमंत्री जिन्होंने कभी भी ब्रेक नहीं लिया और पार्टी के लिए काम किया.

- नोटबंदी ने उत्तर प्रदेश में मोदी की मदद की. नोटबंदी ने गरीबों के बीच मोदी की रॉबिनहुड की छवि बना दी. इसके अलावा उज्ज्वला योजना जैसी अन्य नीतियों ने महिला उम्मीदवारों को भी मोदी के साथ खड़ा कर दिया.

मोदी का जादू अभी भी खत्म नहीं हुआ

- भाजपा ने मुस्लिम मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में भी इस बार अपना खाता खोला. 15 साल बाद मुस्लिमों के गढ़ और फतवा सिटी के नाम से मशहूर देवबंद में बीजेपी को जीत नसीब हुई. इस सीट को जीतना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवारों ने लंबे समय से कब्जा जमा रखा था. हालांकि देवबंद में भाजपा की जीत का असली कारण 2 मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच वोटों का बंटवारा होना माना जा रहा है. लेकिन ट्रिपल तलाक पर भाजपा का रुख ने कुछ महिला वोटों को भी अपने पाले में लाने में मुख्य भूमिका निभाई.

- सपा-कांग्रेस गठबंधन बुरी तरह विफल रहे- 'यूपी को ये साथ पसंद नहीं है' अखिलेश और राहुल, समाजवादी और कांग्रेस पार्टी के दो अच्छे लड़के, चुनाव में कोई करिश्मा नहीं कर पाए. बल्कि...

यूपी चुनाव नतीजों से बाहर आईं कुछ जरूरी बातें:

- उत्तर प्रदेश चुनावों में 300 से ज्यादा सीटें जीतना भाजपा के लिए ऐतिहासिक है. मोदी अब अपराजेय बन गए हैं. इससे पहले 1980 में कांग्रेस ने 309 सीटें जीती थी लेकिन फिर भी भाजपा ने रिकॉर्ड बनाया है और 309 के आंकड़े को पार करके नया इतिहास रचा है. इस उपलब्धि के लिए मोदी सबसे बड़ा कारक हैं. मोदी ने एक ऐसे प्रधानमंत्री की छवि बनाई है जो कड़ी मेहनत करने वाला है और जिसने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया है. एक ऐसा प्रधानमंत्री जिन्होंने कभी भी ब्रेक नहीं लिया और पार्टी के लिए काम किया.

- नोटबंदी ने उत्तर प्रदेश में मोदी की मदद की. नोटबंदी ने गरीबों के बीच मोदी की रॉबिनहुड की छवि बना दी. इसके अलावा उज्ज्वला योजना जैसी अन्य नीतियों ने महिला उम्मीदवारों को भी मोदी के साथ खड़ा कर दिया.

मोदी का जादू अभी भी खत्म नहीं हुआ

- भाजपा ने मुस्लिम मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में भी इस बार अपना खाता खोला. 15 साल बाद मुस्लिमों के गढ़ और फतवा सिटी के नाम से मशहूर देवबंद में बीजेपी को जीत नसीब हुई. इस सीट को जीतना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवारों ने लंबे समय से कब्जा जमा रखा था. हालांकि देवबंद में भाजपा की जीत का असली कारण 2 मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच वोटों का बंटवारा होना माना जा रहा है. लेकिन ट्रिपल तलाक पर भाजपा का रुख ने कुछ महिला वोटों को भी अपने पाले में लाने में मुख्य भूमिका निभाई.

- सपा-कांग्रेस गठबंधन बुरी तरह विफल रहे- 'यूपी को ये साथ पसंद नहीं है' अखिलेश और राहुल, समाजवादी और कांग्रेस पार्टी के दो अच्छे लड़के, चुनाव में कोई करिश्मा नहीं कर पाए. बल्कि हालत इतनी खास्ता हो गई कि दोनों अच्छे बच्चे 70 का आंकड़ा भी पार करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. यह बहुत बड़ी हार है. दोनों की रैलियों में भीड़ तो जुटी पर वो वोट में तब्दील नहीं हो पाई. 'दो अच्छे लड़के' नंबर नहीं जुटा पाए.

कुनबे में घमासान अखिलेश को रुला गया- अखिलेश यादव को परिवार के खिलाफ बगावत का झंडा उठाना महंगा पड़ गया. इसका अनुमान तो कि अखिलेश की ये बगावत उन्हें चुनावों में भारी पड़ेगी पर सूपड़ा ही साफ हो जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी. सपा प्रमुख ने पहले ही कह दिया था कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन पार्टी के लिए ठीक नहीं है. इस गठबंधन की वजह से अखिलेश के विकास की छवि पूरी तरह से विफल हो गई.  लगता है कि नेताजी ने इसका अनुमान लगाने में कोई गलती नहीं की थी. अब टीपू को अपने परिवार के खिलाफ तलवार की धार को तेज करने की ज़रूरत है.

- राहुल गांधी पूरी तरह से असफल रहे. राहुल गांधी के लिए यह अहम परीक्षा थी और इसमें वो बुरी तरह से फेल हुए. राहुल ने अपनी वाक् पटुता को थोड़ी धार देने की कोशिश की थी लेकिन सभी व्यर्थ हो गए. हालांकि कांग्रेस ने उनके प्रदर्शन का अनुमान लगाया था, जो वास्तव में गठबंधन में बदल गया था.

राहुल ने सबकी नईया डूबोई- मायावती सदमें में हैं और उनकी सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं. पश्चिम में 3 सीट और पूर्व में 3, बुंदेलखंड में 13 सीट. यूपी में बसपा के लिए ये एक चौंकाने वाला आंकड़ा है. इस झटके से उबरने में मायावती को निश्चित रूप से समय लगेगा. मुस्लिम वोटों का भाजपा में जाना और इसपर उनका उंगली उठाना,  निश्चित रूप से एक बड़ी बात है और बहस का मुद्दा है. 2014 में भी मुस्लिम वोट मोदी के खाते में गिरे थे. लोकसभा चुनावों में सिर्फ 22 प्रतिशत वोट ही बसपा को मिले थे. ये उनकी लगातार दूसरी हार है.

- वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा के लिए काम कर गया. अमित शाह और मोदी ने अपने चुनाव अभियान में साफ तौर पर हिंदुओं को खुश करने की रणनीति अपनाई. चुनावी रैलियों में घोषणा की सभी बूचड़खानों को बंद करा दिया जाएगा. एक खास धर्म और जाति के लोगों को ही लैपटॉप का दिया जाएगा और 'कसाब' को लाए. सभी 7 चरणों में पश्चिम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम के बीच की खाई स्पष्ट रूप से दिखाई दी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, भाजपा को 102 सीटें मिली हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 119 सीटों पर भारी जीत दर्ज की है.

वर्ष 2019 में फिर से मोदी:

यदि इन चुनावों का रिजल्ट कोई संकेत है तो ये मान सकते हैं कि 2019 में फिर से मोदी की जीत पक्की है. नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो साफ कह दिया कि सभी दल 2019 के चुनावों की जीत को भूल जाएं और अब 2024 के लिए तैयारी शुरु करें. इससे ये साबित होता है कि विपक्ष ने भी अब इस बात को मान लिया है कि मोदी का कोई विरोधी नहीं हो सकता. इसी साल दिसंबर में गुजरात चुनाव होने वाले हैं. इनके नतीजे भी दिलचस्प होंगे.

ये मान सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी के लिए ये काम कर गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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