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क्या यूपी में होगी बहुगुणा परिवार की चौथी बगावत ?

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 17 अक्टूबर, 2016 02:55 PM
  • 17 अक्टूबर, 2016 02:55 PM
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पहले उत्तराखंड में विजय बहुगुणा की बगावत और अब रीता बहुगुणा जोशी की भाजपा में शामिल होने की चर्चा, कहीं कांग्रेस का दामन छोड़ना पारिवारिक तो नहीं....

क्या रीता बहुगुणा जोशी उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा परिवार की चौथी बगावती कांग्रेसी नेता बनने जा रही है ? उनसे पहले उनके  पिता स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा, फिर भाई ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लखनऊ कैंट से विधायक व वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी भाजपा का दामन थामने जा रही है. रीता, 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्‍यक्षा रही हैं.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीती हमेशा से ही बहुगुणा परिवार से प्रभावित रही है, हेमवती नंदन बहुगुणा के समय में दो अवसर ऐसे आए जब उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ी, हालांकिं फिर वे वापस कांग्रेस में आ गए. उन्होंने आपातकाल के  दौरान जगजीवन राम के साथ मिलकर नई पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बनाई थी. इसी पार्टी के बैनर तले हेमवती नंदन बहुगुणा ने पहाड़ की चार लोक सभा सीटें जीती. हेमवती नंदन बहुगुणा अपनी उदार छबि के कारण वामपंथियों तथा मुस्लिम जनता में भी स्वीकार्य थे. पहाड़ की जितनी समझ हेमवती नंदन बहुगुणा को थी , बेटी रीता ,और विजय  में उतना ही अभाव है. पहाड़ी भाषा में एक संवाद तो कोषो दूर की बात है .

इसे भी पढ़ें: क्या यूपी में होगा प्रियंका गांधी और स्मृति ईरानी का महासंग्राम?

स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड के जननायक थे लेकिन पुत्र एवं पुत्री में वह छवि अभी दिखनी बाकि है. दोनों एक नई धारा की ओर मुड़ चुके हैं देखना है आखिर कब तक इस नई धारा में अपने को सुरक्षित रख सकते हैं. 2017 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधान सभा के चुनाव के बाद शायद उन्हें अपनी जगह व हकीकत में पता चल सकेगी.

क्या रीता बहुगुणा जोशी उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा परिवार की चौथी बगावती कांग्रेसी नेता बनने जा रही है ? उनसे पहले उनके  पिता स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा, फिर भाई ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लखनऊ कैंट से विधायक व वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी भाजपा का दामन थामने जा रही है. रीता, 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्‍यक्षा रही हैं.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीती हमेशा से ही बहुगुणा परिवार से प्रभावित रही है, हेमवती नंदन बहुगुणा के समय में दो अवसर ऐसे आए जब उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ी, हालांकिं फिर वे वापस कांग्रेस में आ गए. उन्होंने आपातकाल के  दौरान जगजीवन राम के साथ मिलकर नई पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बनाई थी. इसी पार्टी के बैनर तले हेमवती नंदन बहुगुणा ने पहाड़ की चार लोक सभा सीटें जीती. हेमवती नंदन बहुगुणा अपनी उदार छबि के कारण वामपंथियों तथा मुस्लिम जनता में भी स्वीकार्य थे. पहाड़ की जितनी समझ हेमवती नंदन बहुगुणा को थी , बेटी रीता ,और विजय  में उतना ही अभाव है. पहाड़ी भाषा में एक संवाद तो कोषो दूर की बात है .

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स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड के जननायक थे लेकिन पुत्र एवं पुत्री में वह छवि अभी दिखनी बाकि है. दोनों एक नई धारा की ओर मुड़ चुके हैं देखना है आखिर कब तक इस नई धारा में अपने को सुरक्षित रख सकते हैं. 2017 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधान सभा के चुनाव के बाद शायद उन्हें अपनी जगह व हकीकत में पता चल सकेगी.

 उत्तराखंड में विजय बहुगुणा बीजेपी के हुए

विजय बहुगुणा तीसरी बगावत

उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार से लगातार टकराव के बाद अंततोगत्वा विजय बहुगुणा मई 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए .

बेटे विजय बहुगुणा ने कांग्रेस छोड़ी तो उस समय तक विजय जनमानस के बीच अपना राजनैतिक आधार खो चुके थे, लिहाजा उन्होंने  कांग्रेस के डूबती हुई पतवार को छोड़कर बीजेपी के जहाज को गले लगा लिया. शायद डूबते को तिनके का सहारा मिल जाय.

इसे भी पढ़ें: गांधी सिर्फ ड्रामा है तो यूपी में हो जाए गांधी बनाम गांधी

पिता व पुत्र की बगावतों का तात्कालिक फर्क यह था कि पिता को जहाँ जनता का पूरा साथ मिला वही बेटा जनता में अपना जनाधार खो चूका था . दुर्भाग्य से विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लोगों से किसी तरह का संवाद नहीं बना सके.

 क्या वाकई कांग्रेस में दम घुटने लगा है रीता बहुगुणा जोशी का?

अब बेटी

अब देखने वाली बात यह है की एक पहाड़ पुत्र के बेटी जो कहते थे " हिमालय टूट सकता है, लेकिन झुक नहीं सकता"  वाले अपने पिता के धरोहर को किस तरह आगे ले जाती है , असल में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में एक ब्राह्मण नेता की जितनी जरुरत बीजेपी को है उतनी ही कांग्रेस व अन्य पार्टियों को भी है . जाहिर है डील भी उतनी ही बड़ी होगी. क्यूंकि हाल ही में खबरें आ रही थी कि रीता समाजवादी पार्टी में भी जा सकती है. शायद तोलमोल सही न हो पाया हो जिसके बाद ही वे बीजेपी में शामिल होने का मन बना रही हों .

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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