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दिल्ली में AAP, BJP या कांग्रेस नहीं बल्कि UP-बिहार वाले बनाएंगे सरकार

    • आईचौक
    • Updated: 02 फरवरी, 2020 06:55 PM
  • 02 फरवरी, 2020 06:55 PM
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दिल्ली (Delhi Election 2020) में यूपी और बिहार के नेताओं का जमावड़ा इस बात का सबूत है कि हार-जीत का फैसला भी पूर्वांचल (Voters from UP and Bihar) के लोग ही करने जा रहे हैं. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सिर्फ अमित शाह और PM नरेंद्र मोदी से ही नहीं जूझ रहे हैं, योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार जैसा नेता भी बराबर चुनौती दे रहे हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सत्ता में वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं - और AAP नेता को चैलेंज करने वाले ऐसे दो गठबंधन मैदान में उतरे हैं जो करीब छह महीने बाद बिहार विधानसभा के चुनाव में आमने सामने होंगे. एक तरफ बीजेपी की अगुवाई वाला NDA और दूसरी तरफ कांग्रेस-RJD के नेतृत्व वाला महागठबंधन.

चुनावी लड़ाई ने ये शक्ल अख्तियार किया है यूपी और बिहार (Voters from P and Bihar) के वोटर की अच्छी खासी तादाद के चलते - चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं पर नजर डालें तो ऐसा लगता है जैसे पूरा बिहार उमड़ पड़ा हो - अमित शाह और नीतीश कुमार की साझा रैली तो नमूना भर है.

दिल्ली चुनाव (Delhi Election 2020) में मुख्य मुकाबला भले ही आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच हो और कांग्रेस रस्मअदायगी निभा रही हो, सरकार तो यूपी और बिहार वाले ही बनाने जा रहे हैं - जीत का सेहरा चाहे जिसके सिर बंधे और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई भी क्यों न बैठे!

मनोज तिवारी के लिए दिल्ली पहुंचे योगी और नीतीश कुमार

दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले वोटर राजधानी में पैदा हुए लोगों के मुकाबले आधे ही हैं, लेकिन करीब एक तिहायी सीटों पर उनका दबदबा है - और करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर तो फैसला भी वही करने जा रहे हैं. 90 के दशक में दिल्ली में पंजाब और हरियाणा के लोगों का इतना दबदबा हुआ करता रहा कि ज्यादातर नेता भी इन्हीं दोनों राज्यों के हुआ करते रहे - लेकिन धीरे धीरे पूर्वांचल के लोगों ने पंजाबियों को कम से कम इस मामले में पीछे छोड़ दिया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सत्ता में वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं - और AAP नेता को चैलेंज करने वाले ऐसे दो गठबंधन मैदान में उतरे हैं जो करीब छह महीने बाद बिहार विधानसभा के चुनाव में आमने सामने होंगे. एक तरफ बीजेपी की अगुवाई वाला NDA और दूसरी तरफ कांग्रेस-RJD के नेतृत्व वाला महागठबंधन.

चुनावी लड़ाई ने ये शक्ल अख्तियार किया है यूपी और बिहार (Voters from P and Bihar) के वोटर की अच्छी खासी तादाद के चलते - चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं पर नजर डालें तो ऐसा लगता है जैसे पूरा बिहार उमड़ पड़ा हो - अमित शाह और नीतीश कुमार की साझा रैली तो नमूना भर है.

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मनोज तिवारी के लिए दिल्ली पहुंचे योगी और नीतीश कुमार

दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले वोटर राजधानी में पैदा हुए लोगों के मुकाबले आधे ही हैं, लेकिन करीब एक तिहायी सीटों पर उनका दबदबा है - और करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर तो फैसला भी वही करने जा रहे हैं. 90 के दशक में दिल्ली में पंजाब और हरियाणा के लोगों का इतना दबदबा हुआ करता रहा कि ज्यादातर नेता भी इन्हीं दोनों राज्यों के हुआ करते रहे - लेकिन धीरे धीरे पूर्वांचल के लोगों ने पंजाबियों को कम से कम इस मामले में पीछे छोड़ दिया है.

दिल्ली में सत्ता की चाबी पूर्वांचल के लोगों के हाथ में

आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पैदा हुए मतदाताओं की हिस्सेदारी 57 फीसदी जरूर है, लेकिन यूपी और बिहार से आने वाले वोटर 29 फीसदी दखल रखते हैं और इसीलिए निर्णायक भूमिका में रहते हैं. दिल्ली में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे इलाके हैं जहां पूर्वांचल के वोटर ही हार जीत का फैसला करते हैं - बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, देवली, अंबेडकर नगर, छतरपुर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, पटपड़गंज, लक्ष्मीनगर, विश्वासनगर, कृष्णानगर, शाहदरा, सीमापुरी, रोहतास नगर, सीेलमुपर, घोंडा, मुस्तफाबाद, करावल नगर, मटियाला, विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, नजफगढ़, बुराड़ी, बादली, किराड़ी, नांगलोई और मादीपुर ऐसे ही इलाके हैं.

तभी तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के CM नीतीश कुमार के अलावा बीएसपी नेता मायावती और RJD नेता तेजस्वी यादव भी दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में कूदने जा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री बिहार बीजेपी के अध्यक्ष रहे नित्यानंद राय के नेतृत्व में सुशील मोदी, राधामोहन शर्मा, संजय जायसवाल, मनोज शर्मा और मंगल पांडये सहित 70 नेता दिल्ली में पहले से ही डेरा डाले हुए हैं. यूपी और हिमाचल चुनाव के दौरान सफल रहे मंगल पांडेय के जिम्मे दिल्ली में सदर बाजार, चांदनी चौक और मॉडर्न टाउन जैसे इलाकों की जिम्मेदारी मिली है. दरअसल, दिल्ली चुनाव पूरा NDA साथ मिल कर लड़ रहा है. मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे अकाली नेता तो बीजेपी की ही टिकट पर लड़ते रहे हैं, लेकिन पार्टी ने जेडीयू को दो और लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट छोड़ रखी है. जेडीयू जहां बुराड़ी और संगम विहार सीट पर चुनाव लड़ रही है वहीं रामविलास पासवान की LJP सीमापुरी विधानसभा क्षेत्र से. कांग्रेस गठबंधन में लालू परिवार की पार्टी आरजेडी को चार सीटें दी गयी हैं.

आरजेडी की तरफ से स्टार चुनाव प्रचारक तेजस्वी यादव और मीसा भारती के अलावा मनोज झा, नवल किशोर और कमर आलम जैसे नेता हैं. बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी और सदानंद सिंह भी गठबंधन उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं.

पूर्वांचल वालों का दिल्ली में पूरा दबदबा है

दिल्ली में छठ के घाटों की संख्या पर ध्यान दें तो वे पूर्वांचल के लोगों के लिए बैरोमीटर ही लगते हैं - बताते हैं कि 2015 में राजधानी में छठ पूजा के लिए 73 घाट थे और अब ये बढ़कर 1100 से ज्यादा हो गये हैं.

दिल्ली की राजनीति में पहले पंजाबी और वैश्य समुदाय का बोलबाला माना जाता रहा - लेकिन गुजरते वक्त के साथ समीकरण बदलते गये. आप और बीजेपी के प्रदेश इकाई की कमान फिलहाल पूर्वांचल से आये नेताओं के ही हाथ में है. पूर्वी दिल्ली सीट पर लालबिहारी तिवारी के बाद कांग्रेस ने महाबल मिश्रा को खूब प्रमोट किया लेकिन इस बार जब उनके बेटे विनय मिश्र आप से टिकट लेकर चुनाव मैदान में कूदे तो नाराज कांग्रेस प्रभारी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. सिर्फ आप ही नहीं बीजेपी और कांग्रेस ने भी पूर्वांचल के लोगों के लिए अलग प्रकोष्ठ और मोर्चा भी बना रखा है.

उत्तर प्रदेश के जमानिया से आने वाले दिलीप पांडे को AAP का संयोजक बनाये जाने के पीछे बड़ी वजह तो यही रही. 2015 में आप ने पूर्वांचल के 12 लोगों को टिकट दिया था और सभी जीत गये. रिकॉर्ड तोड़ जीत के जोश से भरी आम आदमी पार्टी ने गोपाल राय को मंत्री बनाया और संजय सिंह को राज्य सभा भेजे जाने में एक छोटी वजह उनका यूपी से होना भी रहा. फिलहाल गोपाल राय प्रदेश संयोजक और संजय सिंह आप के दिल्ली चुनाव प्रभारी हैं. आप के टिकट पर इस बार भी 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने भी तो कीर्ति आजाद को चुनाव कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष इसीलिए बनाया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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