• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

हेमंत सोरेन सरकार के लिए बीजेपी से बड़ा खतरा तो कांग्रेस लग रही है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 05 अगस्त, 2022 01:54 PM
  • 05 अगस्त, 2022 01:49 PM
offline
हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) का नाम लेकर भले ही बीजेपी पर उंगली उठायी जा रही हो, लेकिन हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार के लिए कांग्रेस की भूमिका ज्यादा खतरनाक लगती है - सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) खुद पूरे मामले की निगरानी कर रही हैं.

हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार पर भी महाराष्ट्र जैसा ही खतरा महसूस किया जा रहा है, जबकि ममता बनर्जी अपनी सरकार को लेकर ज्यादा अलर्ट देखी जा रही हैं. पश्चिम बंगाल जैसा ही बदलाव झारखंड में भी देखने को मिल सकता है, ताकि चीजों को दुरूस्त किया जा सके - लेकिन ये सब सरकार की अगुवाई कर रही सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा में नहीं, बल्कि कांग्रेस में होने वाला है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने झारखंड के तीन विधायकों की 49 लाख कैश के साथ गिरफ्तारी होते ही तोहमत बीजेपी के मत्थे मढ़ डाली थी. एकबारगी सुनने में तो ये रूटीन रिएक्शन ही लगा, लेकिन अब लग रहा है कि वो अपने घर में लगी आग का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ रहे थे. जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा था कि झारखंड में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस हावड़ा में बेनकाब हो गया. जयराम रमेश की टिप्पणी रही - दिल्ली में ‘हम दो’ का गेम प्लान झारखंड में वही करने का है, जो उन्होंने महाराष्ट्र में एकनाथ-देवेंद्र की जोड़ी से करवाया. जाहिर है जयराम रमेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह पर निशाना साध रहे थे.

झारखंड की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने विधायकों की गिरफ्तारी पर कांग्रेस से ही सफाई देने को कहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोस्त सरयू राय फिलहाल निर्दल विधायक हैं. सरयू राय कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि उनके विधायक पैसों की थैली लेकर झारखंड आ रहे थे या झारखंड से आ रहे थे? पैसे का स्रोत स्थल कहां है - असम, पश्चिम बंगाल या झारखंड?

झारखंड चुनावों के दौरान बीजेपी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले सरयू राय ने ईडी और आयकर विभाग से नोटों के बंडल की जांच करने की मांग की है. सरयू राय ने आगाह किया है कि जांच केवल बंगाल सरकार पर छोड़ना भी तर्कसंगत नहीं है.

कांग्रेस भले ही...

हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार पर भी महाराष्ट्र जैसा ही खतरा महसूस किया जा रहा है, जबकि ममता बनर्जी अपनी सरकार को लेकर ज्यादा अलर्ट देखी जा रही हैं. पश्चिम बंगाल जैसा ही बदलाव झारखंड में भी देखने को मिल सकता है, ताकि चीजों को दुरूस्त किया जा सके - लेकिन ये सब सरकार की अगुवाई कर रही सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा में नहीं, बल्कि कांग्रेस में होने वाला है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने झारखंड के तीन विधायकों की 49 लाख कैश के साथ गिरफ्तारी होते ही तोहमत बीजेपी के मत्थे मढ़ डाली थी. एकबारगी सुनने में तो ये रूटीन रिएक्शन ही लगा, लेकिन अब लग रहा है कि वो अपने घर में लगी आग का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ रहे थे. जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा था कि झारखंड में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस हावड़ा में बेनकाब हो गया. जयराम रमेश की टिप्पणी रही - दिल्ली में ‘हम दो’ का गेम प्लान झारखंड में वही करने का है, जो उन्होंने महाराष्ट्र में एकनाथ-देवेंद्र की जोड़ी से करवाया. जाहिर है जयराम रमेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह पर निशाना साध रहे थे.

झारखंड की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने विधायकों की गिरफ्तारी पर कांग्रेस से ही सफाई देने को कहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोस्त सरयू राय फिलहाल निर्दल विधायक हैं. सरयू राय कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि उनके विधायक पैसों की थैली लेकर झारखंड आ रहे थे या झारखंड से आ रहे थे? पैसे का स्रोत स्थल कहां है - असम, पश्चिम बंगाल या झारखंड?

झारखंड चुनावों के दौरान बीजेपी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले सरयू राय ने ईडी और आयकर विभाग से नोटों के बंडल की जांच करने की मांग की है. सरयू राय ने आगाह किया है कि जांच केवल बंगाल सरकार पर छोड़ना भी तर्कसंगत नहीं है.

कांग्रेस भले ही झारखंड के मामले को महाराष्ट्र से जोड़ कर पेश कर रही हो, लेकिन दोनों में बुनियादी तौर पर एक बड़ा फर्क समझ में आता है. महाराष्ट्र में भी झारखंड की ही तरह कांग्रेस सरकार में साझीदार रही, लेकिन अब तक उसके विधायकों पर कोई असर नहीं दिखा है. झारखंड का मामला अलग लगता है और सोनिया गांधी रिपोर्ट पहुंच चुकी है.

झारखंड में उद्धव ठाकरे की सरकार इसलिए गिर गयी क्योंकि शिवसेना के विधायक बीजेपी से जा मिले, लेकिन हेमंत सोरेन के प्रति अब तक JMM विधायकों में किसी तरह के बगावत की खबर नहीं है - बल्कि, ऐसी मुश्किल कांग्रेस के सामने ही खड़ी हो गयी है.

खबर है कि कांग्रेस अपने मंत्रियों को बदलने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) तक ऐसे विधायकों की सूची भी भेजी गयी है जिनके पाला बदल लेने की आशंका है - और सूची में दो मंत्रियों के भी नाम हैं.

कांग्रेस विधायक गिरा सकते हैं सोरेन की सरकार?

पश्चिम बंगाल में झारखंड के तीन विधायकों की गिरफ्तारी चाहे जिसके लिए जैसी भी खबर हो, लेकिन कांग्रेस के साथ साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए तो गुड न्यूज ही है. कांग्रेस के भीतर इसी बात से राहत महसूस की जा रही है कि विधायकों की गिरफ्तारी से गठबंधन सरकार का तख्तापलट होने से बच गया. फिर तो सोनिया गांधी और हेमंत सोरेन दोनों को ममता बनर्जी का मन से शुक्रगुजार होना चाहिये.

झारखंड में सरकार हेमंत सोरेन चला रहे हैं - और शिकार कांग्रेस के एमएलए हो रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि कांग्रेस के 14 विधायक पाला बदलने की तैयारी में थे - और मजे की बात ये है कि झारखंड में कांग्रेस के कुल 18 ही विधायक हैं. मतलब, सिर्फ चार विधायक अब भी निष्ठावान बने हुए हैं.

ये भी चर्चा है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कि अगर हावड़ा में तीन विधायक गिरफ्तार नहीं हुए होते तो 5 अगस्त को झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार गिर चुकी होती.

हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस बदलेगी अपने मंत्री: कांग्रेस अब अपने तीनों विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई के लिए तैयारी कर रही है. कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पकड़े गये विधायकों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई से बगावत का मन बना चुके विधायकों में सख्त मैसेज जाएगा. साथ ही, विधायकों के उस नेटवर्क को भी कमजोर किया जा सकेगा जो राजनीतिक विरोधियों के संपर्क में हैं और झारखंड में ग्रुप बना कर पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

कांग्रेस को ये भी पता चल चुका है कि कुछ मंत्री भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और विधायकों के साथ मिल कर हेमंत सोरेन सरकार गिराने की साजिश में शामिल हैं. ऐसे में कांग्रेस को अपने हिस्से के मंत्रिमंडल में फेरबदल ही बेस्ट ऑप्शन लग रहा है.

कांग्रेस के हिस्से के मंत्रियों का कोटा तो जो पहले से तय है, बदलने वाला है नहीं. लिहाजा कांग्रेस की कोशिश है कि मुश्किल घड़ी में भी निष्ठावान बने रहने वाले विधायकों को जैसा भी संभव हो, रिवॉर्ड दिया जा सके. ऐसे विधायकों को झारखंड के निगमों और बोर्ड में जगह देने की कोशिश हो रही है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि कांग्रेस को इस मुसीबत से निकलने में अपने नेताओं से ज्यादा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ही ज्यादा उम्मीद है. हेमंत सोरेन कांग्रेस की मदद के लिए जी जान से जुटे हुए हैं - ये काम पुण्य का भले लगता हो, लेकिन सीधा फायदा भी तो हेमंत सोरेन को भी मिलने वाला है. चाहे जैसे संभव हो रहा हो, असल बात तो ये है कि सरकार तो बची हुई है.

हिमंता बिस्वा सरमा का नाम क्यों आया?

अब सवाल ये है कि कांग्रेस विधायकों के बगावत को बीजेपी से क्यों जोड़ा जा रहा है - और उसके तार असम तक जुड़े क्यों माने जा रहे हैं? अब अगर बात असम तक पहुंच रही है कि मुख्यमंत्री होने के नाते हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) का नाम जुड़ना भी स्वाभाविक ही है या कांग्रेस को ऐसी कोई भनक लग रही है.

एक वजह तो साफ है, बंगाल पुलिस की सीआईडी के साथ भी वैसा सलूक हो रहा है, जैसा दिल्ली पुलिस की भूमिका बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के मामले में देखी गयी थी. जैसे पंजाब पुलिस की राह में दिल्ली पुलिस दीवार बन कर खड़ी हो गयी थी, जब बंगाल से सीआईडी की टीम एक आरोपी सिद्धार्थ मजूमदार के घर की तलाशी लेने दिल्ली पहुंची थी.

आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने सीआईडी अफसरों को थाने में बिठा रखा था. बंगाल पुलिस भी ऐसा व्यवहार सीबीआई अफसरों के साथ कर चुकी है - और बंगाल की सीआईडी का ठीक ऐसा ही आरोप असम पुलिस को लेकर भी है. बंगाल की सीआईडी टीम जांच के लिए गुवाहाटी एयरपोर्ट गयी ती, लेकिन जांच से पहले ही पुलिस ने उनको पकड़ लिया था.

सोनिया गांधी को मिली पूरी रिपोर्ट: सोनिया गांधी को पाला बदलने का शक जताते हुए 14 विधायकों की सूची सौंपी गयी है - और गहरायी से हुई छानबीन से पता चला है कि ऐसे कई विधायक हैं जो कोई न कोई बहाना बना कर गुवाहाटी का चक्कर लगा चुके हैं. जांच पड़ताल से मालूम हुआ है कि साजिश में दो मंत्री भी शामिल रहे हैं और संपर्क में दो महिला विधायक भी पायी गयी हैं.

चार में से दो महिला विधायकों के बारे में मालूम हुआ है कि दो विधायक गुवाहाटी का चक्कर भी लगा चुकी हैं. एक महिला विधायक के बारे में पता चला है कि वो अपने पिता को जमानत दिलाने का बहाना बना कर वकील से मिलने दिल्ली जाती थीं - और दिल्ली से गुवाहाटी की फ्लाइट पकड़ कर निकल जाती थीं.

कई ऐसे विधायकों का भी पता चला है जो दांत और आंख में दर्द का बहाना लेकर दिल्ली जाते रहे - और फिर वहां से गुवाहाटी की फ्लाइट पकड़ कर फुर्र हो जाते रहे.

विधायकों से नेतृत्व की शिकायत अपनी जगह हो सकती है, लेकिन सवाल ये भी है कि ये नौबत आयी ही क्यों? बीते दिनों की खबरों पर गौर करें तो पाते हैं कि कांग्रेस विधायक गठबंधन का नेतृत्व कर रही JMM नेता हेमंत सोरेन के रवैये से भी खफा नजर आते थे. झारखंड के विधायकों की भी शिकायतें करीब करीब वैसी ही रहीं, जैसी महाराष्ट्र के कांग्रेसियों की हुआ करती थी. महाराष्ट्र को लेकर तो राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि गठबंधन में हिस्सेदारी के बावजूद सरकार के फैसलों में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं होती थी.

बहरहाल, ये पूरा मामला सोनिया गांधी तक पहुंच चुका है. विधायकों की सूची के साथ साथ उनकी गतिविधियों की रिपोर्ट के साथ. आगे क्या होगा, ये सोनिया गांधी को तय करना है. अब ये जिम्मेदारी वो झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे को देती हैं या फिर मल्लिकार्जुन खड़गे को?

हिमंत बिस्वा सरमा का बढ़ता प्रभाव क्षेत्र: जुलाई, 2021 में कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने पुलिस से शिकायत की कि झारखंड की गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है. पुलिस ने शिकायत दर्ज की और तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. तीन में से एक फल विक्रेता रहा जिसके बीजेपी से संबंध बताये गये थे. बीजेपी ने ऐसे आरोपों को नकार दिया था.

ठीक साल भर बाद में जयमंगल ने पुलिस में एक और शिकायत दर्ज करायी. आरोप लगाया कि हर विधायक को 10 करोड़ रुपये का ऑफर है. साथ ही ये आरोप भी लगाया कि विधायकों को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से संपर्क करने को कहा गया है.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हिमंत बिस्वा सरमा ने एफआईआर को झूठा और आरोपों को बेबुनियाद बताया है. ऊपर से असम सरकार के प्रवक्ता पीयूष हजारिका ने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट कर दी जिसमें कुमार जयमंगल, हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठे हुए हैं. पीयूष हजारिका ने जयमंगल के एफआईआर को लेकर लिखा है, कथित एफआईआर ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने ओट्टावियो क्वात्रोक्कि को कहा हो कि वो बोफोर्स के खिलाफ केस फाइल करें.

महाराष्ट्र में तख्तापलट के बाद विपक्षी खेमे में ये दहशत तो होने ही लगी है कि हिमंत बिस्वा सरमा को असम या नॉर्थ-ईस्ट तक ही सीमित समझना बड़ी भूल हो सकती है. महाराष्ट्र के विधायकों के गुवाहाटी के होटल में रह कर मिशन अंजाम तक पहुंच जाने के बाद तो ऐसे शक शुबहे की गुंजाइश भी कम ही हो गयी है.

इन्हें भी पढ़ें :

संजय राउत पर ED के ऐक्शन से उद्धव ठाकरे पर क्या असर पड़ेगा?

ममता बनर्जी को बीजेपी ने आगाह किया है या फिर धमकाने की कोशिश हो रही है

Patra Chawl Scam में संजय राउत की गिरफ़्तारी ने कुछ महिलाओं के दिल को ठंडक दी ही होगी


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲