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बिहार की राजनीति के लिए यह मकर संक्रांति कुछ खास है

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 13 जनवरी, 2017 08:20 PM
  • 13 जनवरी, 2017 08:20 PM
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मकर संक्रांति पर जनता दल यू ने बीजेपी को दही चूडा के भोज पर आमंत्रित कर अपने रिश्तों में एक नई गरमाहट देने की कोशिश की है.

मकर संक्रांति एक पवित्र दिन होता है. लोग एक दूसरे को तिलकुट खिलाकर बधाईयां देकर नए साल की शुरूआत करते हैं. लेकिन इस साल की मकर संक्रांति कुछ खास है. राजनीतिक रूप देखा जाए तो बिहार में जनता दल यू ने बीजेपी को इस मौके पर दही चूडा के भोज पर आमंत्रित किया है. पिछले तीन सालों से यह सिलसिला रूका हुआ था. लेकिन अचानक इस साल माघ महीने के इस ठंड में जदयू ने अपने पुराने साथी बीजेपी को इस अवसर पर आमंत्रित कर रिश्तों में एक नई गरमाहट देने की कोशिश कर रही है. रिश्तों की गर्माहट केवल संक्रांति के भोज को लेकर ही नहीं हैं, तमाम ऐसे मुद्दे इस बात की ओर इशारा कर रहें हैं कि रिश्तों में अब वो तल्खी नहीं रही है जो पिछले दो सालों में देखने को मिल रही थी.

 जनता दल यू ने बीजेपी को संक्रांति पर दही चूडा के भोज पर आमंत्रित किया है

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब प्रकाश पर्व में हिस्सा लेने पटना आए तो गांधी मैदान में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरीफों के पुल बांधे. शराबबंदी को साहसिक कदम बताया. उसी गांधी मैदान में जहां से नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले 27 अक्टूबर 2013 को नीतीश कुमार पर व्यंग बाण छोडे थे. अब उनके शब्द मुलायम हो गए हैं. नीतीश कुमार भी अपने निश्चय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की प्रशंसा का जिक्र अपने भाषणों में जरूर करते हैं.

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मकर संक्रांति एक पवित्र दिन होता है. लोग एक दूसरे को तिलकुट खिलाकर बधाईयां देकर नए साल की शुरूआत करते हैं. लेकिन इस साल की मकर संक्रांति कुछ खास है. राजनीतिक रूप देखा जाए तो बिहार में जनता दल यू ने बीजेपी को इस मौके पर दही चूडा के भोज पर आमंत्रित किया है. पिछले तीन सालों से यह सिलसिला रूका हुआ था. लेकिन अचानक इस साल माघ महीने के इस ठंड में जदयू ने अपने पुराने साथी बीजेपी को इस अवसर पर आमंत्रित कर रिश्तों में एक नई गरमाहट देने की कोशिश कर रही है. रिश्तों की गर्माहट केवल संक्रांति के भोज को लेकर ही नहीं हैं, तमाम ऐसे मुद्दे इस बात की ओर इशारा कर रहें हैं कि रिश्तों में अब वो तल्खी नहीं रही है जो पिछले दो सालों में देखने को मिल रही थी.

 जनता दल यू ने बीजेपी को संक्रांति पर दही चूडा के भोज पर आमंत्रित किया है

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब प्रकाश पर्व में हिस्सा लेने पटना आए तो गांधी मैदान में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरीफों के पुल बांधे. शराबबंदी को साहसिक कदम बताया. उसी गांधी मैदान में जहां से नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले 27 अक्टूबर 2013 को नीतीश कुमार पर व्यंग बाण छोडे थे. अब उनके शब्द मुलायम हो गए हैं. नीतीश कुमार भी अपने निश्चय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की प्रशंसा का जिक्र अपने भाषणों में जरूर करते हैं.

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नीतीश कुमार ने पिछले कई महीने से एकआध मौका छोड दें तो केन्द्र की नीतियों का समर्थन ही किया है. चाहे वो जीएसटी लागू करने का मामला हो या सर्जिकल स्ट्राइक. नोटबंदी पर महागठबंधन की दो पार्टियां आरजेडी और कांग्रेस खुलकर विरोध करती रही है लेकिन नीतीश कुमार ने अबतक समर्थन ही किया है और समर्थन ही नहीं बल्कि बेनामी सम्पत्ति पर चोट करने की प्रधानमंत्री से मांग भी की है. हांलाकि कॉमन सिविल कोड के मामले में नीतीश कुमार ने पत्र लिख कर जरूर कुछ सवाल उठाए हैं और वो सवाल बुनियादी भी हैं.

प्रधानमंत्री के शराबबंदी पर समर्थन के बाद काले कानून के बहाने नीतीश कुमार पर वार करने वाली प्रदेश बीजेपी के नेता भी अपना सुर बदलने लगे हैं. 21 जनवरी को जन जारूकता अभियान के तहत बनने वाले विश्व के अबतक के सबसे बडे मानव श्रृंखला में बीजेपी का हिस्सा लेना भी कुछ कहता है. और तीन साल मकर संक्रांति पर जब दो पुराने सहयोगी एक साथ बैठकर दही चूडा का आनंद लेंगे तो जाहिर है उसकी मिठास में और इजाफा ही होगा.

केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह कहते है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार को नहीं छोडा था नीतीश कुमार ने बीजेपी को छोड दिया था. इस तरह यह दिखने लगा कि नीतीश कुमार के खिलाफ आग उगलने वाले नेताओं का सुर भी बदलने लगा हैं.

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हालांकि जानकार कहते हैं कि इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं है चुनाव के दौरान पटना में नरेन्द्र मोदी ने नीतीश कुमार से बड़ी मीठी बातचीत की और उसी दिन मुजफ्फपुर की चुनावी सभा में उनके डीएनए पर सवाल उठा दिया.

हालांकि तब और अब की परिस्थितियों में अंतर है. पर ये नहीं भूलना चाहिए कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी मंजे हुए राजनीतिक खिलाडी हैं वो बीजेपी के हर कदम पर पैनी नजर रखें हुए हैं. शराबबंदी पर सरकार के साथ होने के बावजूद उन्होंने यह ऐलान किया कि आरजेडी कार्यकर्ता भी मानव श्रृंखला में हिस्सा लेंगे. यही नहीं उन्होंने भी बीजेपी के नेताओं को मकर संक्रांति पर भोज पर बुलाया है उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि वो तो हर बार बुलाते हैं, लेकिन बीजेपी के नेता डर के मारे उनके यहां नहीं आते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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