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पाप बढ़ रहा तो पाप मुक्ति के उपाय भी हैं, महज 11 रुपये में

    • आईचौक
    • Updated: 26 मई, 2016 06:36 PM
  • 26 मई, 2016 06:36 PM
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ऐसा लगता है, गंगा में डूबकी लगाकर या मंदिरों में दान देकर इंसान पापमुक्त तो हो सकता है, लेकिन उसके एवज में उसे तुंरत कुछ नहीं मिलता. लेकिन, ये बात नहीं है. इसका भी पक्का उपाय है.

राम तेरी गंगा मैली हो गई... पापियों के पाप धोते धोते. 1985 में आई राज कपूर की फिल्म का टाइटल सॉन्ग यही था. उसी साल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बनारस में गंगा एक्शन प्लान के पहले चरण की नींव रखी थी. अब बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है - गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.

अगर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू की मानें तो लगता है कि लोगों ने गंगा को छोड़ कर अब मंदिरों का रुख कर लिया है - लेकिन मंदिरों को गंगा की तरह नुकसान नहीं हो रहा, बल्कि फायदा हो रहा है.

नायडू का नजरिया

जिला कलेक्टरों के सम्मेलन में नायडू ने कहा, "लोग पाप कर रहे हैं और उससे छुटकारा पाने के लिए मंदिर जा रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं. अगर वे ज्यादा मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और ज्यादा पाप कर रहे हैं, वे मंदिर आ रहे हैं और चढ़ावा कर रहे हैं. ये एक वास्तविकता है."

इसे भी पढ़े: केरल से मक्का वाया कुंभ...क्या लोग ऐसे ही मरते रहेंगे?

नायडू की नजर में इससे मंदिरों को फायदा हो रहा है. नायडू के मुताबिक ऐसा होने से मंदिरों की आमदनी 27 फीसदी बढ़ गई है. वो बताते हैं, "न सिर्फ मंदिर, बल्कि लोग सांत्वना के लिए चर्च और मस्जिद भी जा रहे हैं. अगर कोई मंदिर, मस्जिद या चर्च नहीं होते तो कई लोग पागल हो गए होते." मंदिरों की आमदनी तो बढ़ रही है, लेकिन लोगों के इस अप्रोच के चलते सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.

अपने इस नजरिये के साथ नायडू का लहजा थोड़ा मजाकिया हो जाता है और वो कहते हैं, "ज्यादा लोग अय्यप्पा स्वामी की दीक्षा ले रहे हैं और 40 दिन तक शराब से दूर रहे रहे हैं. ऐसे में शराब की बिक्री में कमी आ रही है."

राम तेरी गंगा मैली हो गई... पापियों के पाप धोते धोते. 1985 में आई राज कपूर की फिल्म का टाइटल सॉन्ग यही था. उसी साल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बनारस में गंगा एक्शन प्लान के पहले चरण की नींव रखी थी. अब बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है - गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.

अगर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू की मानें तो लगता है कि लोगों ने गंगा को छोड़ कर अब मंदिरों का रुख कर लिया है - लेकिन मंदिरों को गंगा की तरह नुकसान नहीं हो रहा, बल्कि फायदा हो रहा है.

नायडू का नजरिया

जिला कलेक्टरों के सम्मेलन में नायडू ने कहा, "लोग पाप कर रहे हैं और उससे छुटकारा पाने के लिए मंदिर जा रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं. अगर वे ज्यादा मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और ज्यादा पाप कर रहे हैं, वे मंदिर आ रहे हैं और चढ़ावा कर रहे हैं. ये एक वास्तविकता है."

इसे भी पढ़े: केरल से मक्का वाया कुंभ...क्या लोग ऐसे ही मरते रहेंगे?

नायडू की नजर में इससे मंदिरों को फायदा हो रहा है. नायडू के मुताबिक ऐसा होने से मंदिरों की आमदनी 27 फीसदी बढ़ गई है. वो बताते हैं, "न सिर्फ मंदिर, बल्कि लोग सांत्वना के लिए चर्च और मस्जिद भी जा रहे हैं. अगर कोई मंदिर, मस्जिद या चर्च नहीं होते तो कई लोग पागल हो गए होते." मंदिरों की आमदनी तो बढ़ रही है, लेकिन लोगों के इस अप्रोच के चलते सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.

अपने इस नजरिये के साथ नायडू का लहजा थोड़ा मजाकिया हो जाता है और वो कहते हैं, "ज्यादा लोग अय्यप्पा स्वामी की दीक्षा ले रहे हैं और 40 दिन तक शराब से दूर रहे रहे हैं. ऐसे में शराब की बिक्री में कमी आ रही है."

पाप का फायदा और नुकसान!

ऐसा लगता है, गंगा में डूबकी लगाकर या मंदिरों में दान देकर इंसान पापमुक्त तो हो सकता है, लेकिन उसके एवज में उसे तुंरत कुछ नहीं मिलता. लेकिन, ये बात नहीं है. इसका भी पक्का उपाय है.

पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र

राजस्थान के एक मंदिर में 'पाप मुक्ति' का एक लिखित सर्टिफिकेट भी मिलता है. कोई भी शख्स महज 11 रुपये देकर ये सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है.

प्रतापगढ़ जिले में एक शिव मंदिर है - गौतमेश्वर महादेव पापमोचन तीर्थ. पाप मुक्त होने के लिए मंदिर के मंदाकिनी कुंड में डूबकी लगानी होती है. पाप मुक्ति सर्टिफिकेट के लिए जो 11 रुपये लिये जाते हैं उसमें 10 रुपये 'दोष-निवारण' के लिए और एक रुपया सर्टिफिकेट के नाम पर जमा करना होता है. बताते हैं कि 1947 से अब तक जितने लोगों को सर्टिफिकेट जारी किया गया है, मंदिर के पास उनके रिकॉर्ड मौजूद हैं.

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राजस्थान के इस मंदिर के कारण आंध्र प्रदेश के मंदिरों को भले ही घाटा हो, लेकिन गंगा के लिए निश्चित तौर पर ये फायदेमंद हो सकता है. अब वहां किसी चीज की जरूरत है तो सिर्फ एक ब्रांड अंबेसडर की जो मंदिर और गंगा दोनों का भला कर सके.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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