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धार्मिक कट्टरता पर तालिबान की 'मासूम' समझाइश पर सदके जाने को मन करता है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जून, 2022 03:33 PM
  • 09 जून, 2022 03:33 PM
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सऊदी, कुवैत, बहरीन, ईरान या कोई भी अन्य मुस्लिम मुल्क इनका डिप्लोमेसी को दरकिनार कर नूपुर शर्मा वाले बयान पर आहत होना समझ में आता है. लेकिन तालिबान! तालिबान कट्टरपंथ पर भारत को लेक्चर दे रहा है और ये वो वक़्त है जब प्रलय आ जानी चाहिए और दुनिया के हर इंसाफ पसंद को धरती के अंदर समा जाना चाहिए.

हैरतजदा हैं रास्ते, हैरान संग-ए-मील

अंधे की रहनुमाई में, लंगड़ा सफ़र में है.

किसी गुमनाम शायर का ये शेर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी से आहत तालिबान के लिए बिलकुल फिट है. रसूल के ऊपर अश्लील कमेंट के मद्देनजर कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान ने भी अंगुली कटा ली है और शहीदों में अपना नाम लिखा लिया है. असल में तालिबान उन मुल्कों लिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रहा जिनकी भावनाओं को ठेस भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित नूपुर शर्मा के उस बयान से पहुंची जो उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ दिया.तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.

भारत पर गंभीर आरोप लगाने वाले तालिबान को एक बार अपने गिरेबां में भी झांक लेना चाहिए

यदि हम उस बयान को देखें और उसका अवलोकन करें तो उसमें इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान ने भाजपा नेता नूपुर शर्मा के इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल की कड़े शब्दों में निंदा की है.

तालिबान ने कहा कि हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि इस तरह के कट्टरपंथियों को इस्लाम के पवित्र धर्म का अपमान करने और मुसलमानों की भावनाओं को भड़काने की इजाजत न दें. ध्यान रहे ओआईसी ने भी नूपुर शर्मा के बयान को बहुत गंभीरता से लिया था और भारत को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की थी. ओआईसी के आरोपों का अपना पक्ष रखते हुए भारत ने ओआईसी की नीयत पर सवालिया निशान लगाए थे और कहा था कि यह बयान संकीर्ण सोच वाला है जिसे भारत खारिज करता है.

वहीं ये भी कहा गया था कि भारत सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती है और कुछ लोगों की टिप्पणियां भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती हैं. ऐसे लोगों पर संबंधित संस्थाएं कार्रवाई करती हैं. भारत ने ओआईसी से और...

हैरतजदा हैं रास्ते, हैरान संग-ए-मील

अंधे की रहनुमाई में, लंगड़ा सफ़र में है.

किसी गुमनाम शायर का ये शेर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी से आहत तालिबान के लिए बिलकुल फिट है. रसूल के ऊपर अश्लील कमेंट के मद्देनजर कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान ने भी अंगुली कटा ली है और शहीदों में अपना नाम लिखा लिया है. असल में तालिबान उन मुल्कों लिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रहा जिनकी भावनाओं को ठेस भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित नूपुर शर्मा के उस बयान से पहुंची जो उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ दिया.तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.

भारत पर गंभीर आरोप लगाने वाले तालिबान को एक बार अपने गिरेबां में भी झांक लेना चाहिए

यदि हम उस बयान को देखें और उसका अवलोकन करें तो उसमें इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान ने भाजपा नेता नूपुर शर्मा के इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल की कड़े शब्दों में निंदा की है.

तालिबान ने कहा कि हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि इस तरह के कट्टरपंथियों को इस्लाम के पवित्र धर्म का अपमान करने और मुसलमानों की भावनाओं को भड़काने की इजाजत न दें. ध्यान रहे ओआईसी ने भी नूपुर शर्मा के बयान को बहुत गंभीरता से लिया था और भारत को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की थी. ओआईसी के आरोपों का अपना पक्ष रखते हुए भारत ने ओआईसी की नीयत पर सवालिया निशान लगाए थे और कहा था कि यह बयान संकीर्ण सोच वाला है जिसे भारत खारिज करता है.

वहीं ये भी कहा गया था कि भारत सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती है और कुछ लोगों की टिप्पणियां भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती हैं. ऐसे लोगों पर संबंधित संस्थाएं कार्रवाई करती हैं. भारत ने ओआईसी से और क्या कहा? जवाब में ओआईसी ने क्या तर्क दिए? ये तो बाद की बात है. लेकिन जिस विषय पर अभी बात होनी चाहिए वो तालिबान है.

मतलब अगर छलनी, सुई से उसके छेद को लेकर ऐतराज जताए तो इसपर चर्चा भी होगी. सवाल भी उठेंगे और किसी तरह का कोई निष्कर्ष भी निकाला जाएगा. तालिबान का भारत में एक वर्ग को कट्टरपंथी बताना न केवल हास्यास्पद है. बल्कि ये भी बताता है कि दोगले पन के मानक और परिभाषा क्या हैं.

विषय बहुत सीधा है. सऊदी, कुवैत, बहरीन, ईरान या कोई भी अन्य मुस्लिम मुल्क इनका डिप्लोमेसी को दरकिनार कर नूपुर शर्मा वाले बयान पर आहत होना समझ में आता है. लेकिन जिस तरह तालिबान ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोला है साफ़ हो जाता है कि रसूल, पैगम्बर और नूपुर शर्मा की आड़ लेकर दुनिया के मुस्लिम मुल्क अब प्रोपोगेंडा पर उतर आए हैं.

सवाल ये है कि कट्टरपंथ को लेकर भारत को लेक्चर देने वाले तालिबान ने क्या हाल फ़िलहाल में अपने गिरेबां में झांका और देखा कि उसका असली चाल चरित्र और चेहरा क्या है? जवाब है नहीं. यदि तालिबान ऐसा कर लेता तो यक़ीनन वो बेनकाब हो जाता.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के बयान के बाद ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब वो वक़्त आ गया है जब प्रलय आ जानी चाहिए. ये कोई मजाक की बात नहीं है. यदि कट्टरपंथ को लेकर तालिबान भारत को ज्ञान दे रहा है तो सच में दुनिया के हर उस इंसान को जो इंसाफ पसंद है धरती के अंदर समा जाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान की बातें दोगलेपन की पराकाष्ठा हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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