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तालिबान द्वारा गिरफ्तार सारा सीरत को समझना था तालिबान-पाकिस्तान 'चोर-चोर मौसेरे भाई'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 सितम्बर, 2021 09:14 PM
  • 10 सितम्बर, 2021 09:14 PM
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महिला अधिकार कार्यकर्ता सारा सीरत की गिरफ़्तारी के बाद तालिबान ने बता दिया है कि उस का एजेंडा बहुत सीधा है. हर वो मुंह जो पाकिस्तान के विरोध में खुलेगा उसे बंद कर दिया जाएगा. शायद ये इसलिए हो क्योंकि चोर चोर मौसरे भाई.

कहावत है चोर-चोर मौसरे भाई. कहावत क्यों बनी? किसने बनवाई? इसकी तो कोई विशेष जानकारी नहीं है मगर जैसे मौजूदा हालात हैं कहावत तब चरितार्थ होती है जब हम अफगानिस्तान के ताजे - ताजे हुक्मरां बने कट्टर आतंकवादी संगठन तालिबान और पाकिस्तान को देखें. तालिबान और पाकिस्तान के बीच का ये रिश्ता क्या कहलाता है? इस पर चर्चा तब और जरूरी हो जाती है जब हम अफगानिस्तान में सारा सीरत की गिरफ्तारी पर गौर करते हैं और उनके प्रति तालिबान का कट्टरपंथी रवैया देखते हैं. ध्यान रहे तख्ता पलट के बाद अफगानिस्तान की हालत बद से बदतर हो गई है. राजधानी काबुल समेत तमाम बड़े छोटे शहरों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. मजे की बात ये है कि अफगानी, पाकिस्तान के विरोध में हैं और पाकिस्तान मुर्दाबाद और आईएसआई मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं.

दोस्त और हमराज होने के नाते पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी तालिबान को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है और उनके द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जबरदस्त एक्शन लिया जा रहा है. सारा सीरत की गिरफ्तारी इसी एक्शन का नतीजा है.

सारा सीरत को गिरफ्तार कर तालिबान ने फिर अपना असली चेहरा दिखा दिया है

कौन हैं सारा सीरत क्यों उनकी गिरफ्तारी बन रही है इतना बड़ा मुद्दा

तालिबान द्वारा गिरफ्तार की गईं सारा सीरत की गिरफ्तारी ने अफगानिस्तान में सियासी घमासान ला दिया है. ऐसे में हमारे लिए भी ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर ये सारा सीरत हैं कौन? अफगानिस्तान के कपिसा क्षेत्र से गिरफ्तार हुईं सारा, महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं और वह महिला मामलों के मंत्रालय की पूर्व सलाहकार रह चुकी हैं.

मामले के मद्देनजर जो जानकारी हाथ लगी है, यदि उसपर यकीन किया जाए तो मिलता है कि सारा कई और महिलाओं के साथ महमूद रकी में महिलाओं के...

कहावत है चोर-चोर मौसरे भाई. कहावत क्यों बनी? किसने बनवाई? इसकी तो कोई विशेष जानकारी नहीं है मगर जैसे मौजूदा हालात हैं कहावत तब चरितार्थ होती है जब हम अफगानिस्तान के ताजे - ताजे हुक्मरां बने कट्टर आतंकवादी संगठन तालिबान और पाकिस्तान को देखें. तालिबान और पाकिस्तान के बीच का ये रिश्ता क्या कहलाता है? इस पर चर्चा तब और जरूरी हो जाती है जब हम अफगानिस्तान में सारा सीरत की गिरफ्तारी पर गौर करते हैं और उनके प्रति तालिबान का कट्टरपंथी रवैया देखते हैं. ध्यान रहे तख्ता पलट के बाद अफगानिस्तान की हालत बद से बदतर हो गई है. राजधानी काबुल समेत तमाम बड़े छोटे शहरों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. मजे की बात ये है कि अफगानी, पाकिस्तान के विरोध में हैं और पाकिस्तान मुर्दाबाद और आईएसआई मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं.

दोस्त और हमराज होने के नाते पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी तालिबान को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है और उनके द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जबरदस्त एक्शन लिया जा रहा है. सारा सीरत की गिरफ्तारी इसी एक्शन का नतीजा है.

सारा सीरत को गिरफ्तार कर तालिबान ने फिर अपना असली चेहरा दिखा दिया है

कौन हैं सारा सीरत क्यों उनकी गिरफ्तारी बन रही है इतना बड़ा मुद्दा

तालिबान द्वारा गिरफ्तार की गईं सारा सीरत की गिरफ्तारी ने अफगानिस्तान में सियासी घमासान ला दिया है. ऐसे में हमारे लिए भी ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर ये सारा सीरत हैं कौन? अफगानिस्तान के कपिसा क्षेत्र से गिरफ्तार हुईं सारा, महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं और वह महिला मामलों के मंत्रालय की पूर्व सलाहकार रह चुकी हैं.

मामले के मद्देनजर जो जानकारी हाथ लगी है, यदि उसपर यकीन किया जाए तो मिलता है कि सारा कई और महिलाओं के साथ महमूद रकी में महिलाओं के अधिकार, आजादी और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हस्तक्षेप के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी.

पाकिस्तान विरोधियों पर तालिबान की चेतावनी!

चाहे राजधानी काबुल हो या अफगानिस्तान का कोई अन्य हिस्सा लोग मुखर होकर पाकिस्तान के विरोध में बाहर आए हैं. ऐसे में पाकिस्तान के खिलाफ बढ़ते विरोध को तहत तालिबान ने लोगों को घर से बाहर न निकलने की चेतावनी जारी की थी.लोगों पर तालिबान की इस चेतावनी का कोई असर नहीं हो रहा है और पाकिस्तान के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन बदस्तूर जारी है.

अभी बीते दिनों ही कई लोगों ने काबुल स्थित पाकिस्तानी दूतावास के सामने भी प्रदर्शन किया है जिन्हें बाद में भगा दिया गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई जगहों पर महिलाओं को बुरी तरह से पीटा गया है और प्रदर्शन को जबरन खत्म करवा दिया गया है.

तालिबान का दूसरा घर है पाकिस्तान? आखिर कैसे बर्दाश्त करता

पाकिस्तान और तालिबान का क्या रिश्ता है इसे समझने के लिए हमें तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन की उस बात पर गौर करना होगा जिसमें अभी बीते दिनों उन्होंने ये कहकर सियासी घमासान ला दिया था कि पाकिस्तान, तालिबानियों के लिए दूसरे घर सरीखा है. इंडिया टुडे टीवी को एक इंटरव्यू में बताया था कि पाकिस्तान, नए तालिबान प्रशासन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि तालिबान के कई परिवार, बच्चे पाकिस्तान में रहते हैं.

वहीं पाकिस्तानी मंत्री शेख राशिद ने भी एक टीवी शो में इस बात के साफ संकेत दिए थे कि पाकिस्तान सरकार हमेशा तालिबान नेताओं की 'संरक्षक' रही है. पाकिस्तानी मंत्री ने कहा था कि हम तालिबान नेताओं के संरक्षक हैं. हमने लंबे समय तक उनकी देखभाल की है. उन्हें पाकिस्तान में आश्रय, शिक्षा और एक घर मिला. हमने उनके लिए सब कुछ किया है.

बहरहाल बात सारा सीरत की गिरफ्तारी की हुई है तो हमारे लिए ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि 'नए तालिबान' की बातें एक प्रोपोगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं हैं. पाकिस्तान के मद्देनजर तालिबान का एजेंडा बहुत सीधा है. हर वो मुंह जो पाकिस्तान के विरोध में खुलेगा उसे बंद कर दिया जाएगा. भले ही आज तालिबान खुद को नया तालिबान बता रहा है और तमाम तरह की विकास की बड़ी बड़ी बातें कर रहा है. मगर जब हम उसका असली चेहरा देखते हैं तो मिलता है कि कटटरपंथ का जहर उसकी नस नस में हैं और आज भी वो पहले जितना ही खौफनाक है.

खैर सारा को गिरफ्तार कर तालिबान ने दुनिया को बड़ा संदेश दिया है और बता दिया है कि हर शख्स जो तालिबान के विरोध में होगा या फिर उसके दोस्तों को भला बुरा कहेगा उसका वो हाल किया जाएगा जो हमारी आपकी सोच और कल्पना से परे होगा. बाकी लाख बड़ी बड़ी बातें कितनी भी क्यों न हों तालिबान ने बता दिया है कि तालिबान शासित नए अफगानिस्तान में मुखर होकर अपनी बात कहने वाली महिलाओं का क्या हश्र किया जाएगा. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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