• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

शुभेंदु जितना ममता को डैमेज करेंगे, बीजेपी के लिए उतने ही फायदेमंद होंगे क्या?

    • आईचौक
    • Updated: 20 दिसम्बर, 2020 12:59 PM
  • 20 दिसम्बर, 2020 12:59 PM
offline
शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के टीएमसी छोड़ने से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के नुकसान की तो खूब चर्चा हो रही है - सवाल ये है कि अमित शाह (Amit Shah) क्या शुभेंदु अधिकारी की बदौलत बीजेपी के लिए भी वैसा ही फायदा देख रहे होंगे?

शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) कोई पहले नेता नहीं हैं जिनके बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है. चुनावों के पहले अमित शाह ऐसा जहां भी जाते हैं ऐसे वाकये होते रहते हैं. हां, हर नेता शुभेंदु अधिकारी जैसा ही महत्वपूर्ण हो ये जरूरी नहीं है, लेकिन बीजेपी में ऐसे किसी भी नेता को लाये जाते वक्त उम्मीदें कुछ ज्यादा ही होती हैं.

अमित शाह (Amit Shah) निश्चित तौर पर ऐसे मामलों में फायदे को अपने हिसाब से परिभाषित करते होंगे. वैसे भी फायदा सिर्फ वही नहीं होता जो सीधे सीधे आंकड़ों में नजर आने लगे. फायदा वो भी होता है जो राजनीतिक विरोधी को नुकसान पहुंचता है.

ऐसे समझा जा सकता है कि शुभेंदु अधिकारी की वजह से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा फायदा हो जरूरी नहीं है, लेकिन अगर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को शुभेंदु अधिकारी के तृणमूल कांग्रेस छोड़ने से बहुत बड़ा नुकसान होता है तो वो भी बीजेपी के खाते में फायदे की ही कैटेगरी में आएगा. अब सवाल ये उठता है कि शुभेंदु अधिकारी के टीएमसी छोड़ने से जितना ममता बनर्जी को नुकसान होने की आशंका है - क्या शुभेंदु अधिकारी के आने से बीजेपी को भी वैसे ही बड़े फायदे की संभावना है क्या?

शुभेंदु से BJP को कितना फायदा होगा?

शुभेंदु अधिकारी ने हाल फिलहाल जैसा माहौल बनाया था, पहले से ही लगने लगा था कि क्या होने वाला है. अमित शाह के बंगाल दौरे के ऐन पहले शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस से पूरी तरह नाता तोड़ लेने के साथ ही विधानसभा से इस्तीफा देकर साफ कर दिया था कि बीजेपी के मंच पर क्या कुछ होने वाला है - और ठीक पहले से लिखी स्क्रिप्ट के अनुसार, शुभेंदु अधिकारी, अमित शाह की रैली में उनके मंच पर अवतरित हुए और बीजेपी का झंडा थाम लिया. ऐसी खबर आयी थी कि अमित शाह के कोलकाता पहुंचने से पहले ही दिल्ली पहुंच कर शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर ली थी. सही भी था, अमित शाह बंगाल की धरती पर जिस शख्स के भरोसे कुछ सोच रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर जो कुछ भी कहने वाले हैं...

शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) कोई पहले नेता नहीं हैं जिनके बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है. चुनावों के पहले अमित शाह ऐसा जहां भी जाते हैं ऐसे वाकये होते रहते हैं. हां, हर नेता शुभेंदु अधिकारी जैसा ही महत्वपूर्ण हो ये जरूरी नहीं है, लेकिन बीजेपी में ऐसे किसी भी नेता को लाये जाते वक्त उम्मीदें कुछ ज्यादा ही होती हैं.

अमित शाह (Amit Shah) निश्चित तौर पर ऐसे मामलों में फायदे को अपने हिसाब से परिभाषित करते होंगे. वैसे भी फायदा सिर्फ वही नहीं होता जो सीधे सीधे आंकड़ों में नजर आने लगे. फायदा वो भी होता है जो राजनीतिक विरोधी को नुकसान पहुंचता है.

ऐसे समझा जा सकता है कि शुभेंदु अधिकारी की वजह से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा फायदा हो जरूरी नहीं है, लेकिन अगर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को शुभेंदु अधिकारी के तृणमूल कांग्रेस छोड़ने से बहुत बड़ा नुकसान होता है तो वो भी बीजेपी के खाते में फायदे की ही कैटेगरी में आएगा. अब सवाल ये उठता है कि शुभेंदु अधिकारी के टीएमसी छोड़ने से जितना ममता बनर्जी को नुकसान होने की आशंका है - क्या शुभेंदु अधिकारी के आने से बीजेपी को भी वैसे ही बड़े फायदे की संभावना है क्या?

शुभेंदु से BJP को कितना फायदा होगा?

शुभेंदु अधिकारी ने हाल फिलहाल जैसा माहौल बनाया था, पहले से ही लगने लगा था कि क्या होने वाला है. अमित शाह के बंगाल दौरे के ऐन पहले शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस से पूरी तरह नाता तोड़ लेने के साथ ही विधानसभा से इस्तीफा देकर साफ कर दिया था कि बीजेपी के मंच पर क्या कुछ होने वाला है - और ठीक पहले से लिखी स्क्रिप्ट के अनुसार, शुभेंदु अधिकारी, अमित शाह की रैली में उनके मंच पर अवतरित हुए और बीजेपी का झंडा थाम लिया. ऐसी खबर आयी थी कि अमित शाह के कोलकाता पहुंचने से पहले ही दिल्ली पहुंच कर शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर ली थी. सही भी था, अमित शाह बंगाल की धरती पर जिस शख्स के भरोसे कुछ सोच रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर जो कुछ भी कहने वाले हैं उसे एक बार सामने बैठा कर ठोक बजा कर देखना तो चाहेंगे ही.

मंच पर शुभेंदु अधिकारी को नये तेवर और कलेवर के साथ पेश करते हुए अमित शाह बोले भी - आज के इस कार्यक्रम के स्टार शुभेंदु अधिकारी हैं. ये तो ममता बनर्जी भी जानती हैं कि शुभेंदु अधिकारी के टीएमसी छोड़ने और उसके बाद बीजेपी में जाने से उनको कितना नुकसान हो सकता है. अगर ऐसा न होता तो शुभेंदु अधिकारी को मनाने में अपने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और भतीजे अभिषेक बनर्जी को भेजने के बाद वो खुद भी एड़ी चोटी का जोर नहीं लगायी होतीं.

ये तो साफ हो चुका है कि शुभेंदु अधिकारी के टीएमसी छोड़ने से ममता बनर्जी को काफी नुकसान होगा - लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बीजेपी के लिए शुभेंदु अधिकारी उतने ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं क्या?

शुभेंदु अधिकारी से अमित शाह को उम्मीदें तो बहुत है - बीजेपी को फायदा भी वैसा ही मिलेगा क्या?

माना जाता है कि नंदीग्राम आंदोलन के आर्किटेक्ट बन कर शुभेंदु अधिकारी ने 2011 में ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल में राइटर्स बिल्डिंग की राह को आसान बनाया - अब सवाल ये उठता है कि क्या वही शुभेंदु अधिकारी बीजेपी को पश्चिम बंगाल में सत्ता दिलाकर 'पंचायत से पार्लियामेंट' के मिशन के महत्वपूर्ण पड़ाव से आगे बढ़ा पाएंगे क्या?

अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के लोगों से कहा है - "आपने तीन दशक कांग्रेस को, 27 साल कम्युनिस्टों को और 10 साल ममता दीदी को दिये... भारतीय जनता पार्टी को 5 साल का समय दीजिये - हम बंगाल को 'सोनार बांग्ला' बनाएंगे."

देखना है शुभेंदु अधिकारी, अमित शाह के इस चुनावी वादे के पूरे होने में कितने मददगार साबित होते हैं?

ममता को शुभेंदु कितना डैमेज कर सकते हैं?

शुभेंदु अधिकारी ने पहली बार पश्चिम बंगाल के लोगों को बताया कि 2014 में कैसे अमित शाह से उनकी पहली मुलाकात हुई थी जब वो बीजेपी में महासचिव थे और उत्तर प्रदेश के प्रभारी हुआ करते थे. शुभेंदु अधिकारी ने बाकी बातों के बीच खास जोर देकर एक और भी बात बतायी, वो ये कि जब वो कोरोना वायरस पॉजिटिव हो गये थे, अमित शाह ने दो बार फोन कर हालचाल पूछा था.

शुभेंदु अधिकारी ने कहा , "मैंने पार्टी के जिन लोगों के साथ सालों तक काम किया उनमें से किसी ने भी मुझे फोन नहीं किया, लेकिन अमित शाह जी ने मेरा हालचाल पूछा."

शुभेंदु अधिकारी का इशारा शायद ममता बनर्जी की ओर रहा होगा. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस नेता मदन मित्रा का कहना रहा - 'शुभेंदु अधिकारी पार्टी में एक वायरस की तरह थे जिसके निकलने से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है.'

बीजेपी ज्वाइन करने से पहले ही शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम एक खुला पत्र लिखा है. 8 पेज के इस पत्र में शुभेंदु अधिकारी ने खूब इमोशनल अत्याचार किया है.

बड़ी बड़ी बातों के बीच, शुभेंदु अधिकारी ने प्रशांत किशोर का भी नाम लिया है, 'तृणमूल कांग्रेस इन दिनों बंगाली कल्चर के खिलाफ काम कर रही है और प्रशांत किशोर जैसे कर्मभोगियों पर हद से ज्यादा भरोसा कर रही है.'

शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में ममता सरकार में कोई भी काम न किये जाने का आरोप भी लगाया है. जवाब में मदन मित्रा कहते हैं, 'मेरे सुनने में आया है शुभेंदु कह रहे हैं कि टीएमसी ने पिछले 10 सालों में कुछ नहीं किया - अगर ऐसा ही था तो वह 10 सालों से टीएमसी के साथ कर क्या रहे थे? तब चुप क्यों थे?'

शुभेंदु अधिकारी गूगल पर ही नहीं पश्चिम बंगाल में ऑफ लाइन भी हफ्ते भर से सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहे हैं और एक तरफ जहां बीजेपी नेता जोशीले बयान दे रहे हैं, ममता बनर्जी कई बार इमरजेंसी मीटिंग कर चुकी हैं. शुभेंदु अधिकारी के जाने की चर्चा के बीच ममता बनर्जी ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस एक बरगद की तरह है और एक-दो लोगों के जाने से फर्क नहीं पड़ता.

ऐसी ही एक मीटिंग में ममता बनर्जी कह रही थीं, 'हमारी ताकत आम लोग हैं... नेता नहीं. दलबदलू नेताओं के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसे लोग पार्टी पर बोझ थे. आम लोग ही उनके विश्वासघात की सजा देंगे - बंगाल के लोग विश्वासघातियों को पसंद नहीं करते.'

ममता बनर्जी बोलीं, 'जो लोग पार्टी छोड़कर बीजेपी में गये हैं... हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं - और याद दिलाते हैं कि बंगाल के लोग धोखेबाजों से नफरत करते हैं.'

अमित शाह ने भी ममता बनर्जी की बात पर रिएक्ट किया, बोले, 'तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. दीदी का आरोप है कि बीजेपी उन्हें फुसला रही है. लेकिन मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि जब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस बनाने के लिए कांग्रेस को छोड़ा था, तब क्या वो दल-बदल नहीं था? ये तो बस शुरुआत है. चुनाव तक वो अकेली रह जाएंगी.'

पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कभी अमित शाह की बात से इत्तेफाक तो नहीं रखते लेकिन इस मामले में वो भी सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं, 'इतिहास खुद को दोहराता है और अब ममता को उनकी ही भाषा में जवाब मिल रहा है... मालदा और मुर्शिदाबाद में कई विधायकों और नेताओं को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देकर टीएमसी में शामिल होने पर मजबूर किया गया था - उस समय दल बदलने वाले कई लोग अब बीजेपी में चले गए हैं.' दल बदल की के आरोप लगने पर ममता बनर्जी की तरफ से जवाब भी आ गया है. टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी कहते हैं, 'जब अमित शाह वंशवाद की बात करते हैं तो वो अधिकारी परिवार को भूल जाते हैं... यही नहीं कैसे आपके बेटे को बीसीसीआई में एंट्री मिली?'

इन्हें भी पढ़ें :

शुभेंदु अधिकारी का TMC छोड़ना ममता के लिए मुकुल रॉय से बड़ा नुकसान

अमित शाह के दौरे से ममता को डरने की नहीं - अलर्ट होने की जरूरत है

प्रणब मुखर्जी की किताब में दर्ज 'निरंकुश' मोदी सरकार का रूप नए सिरे से समझिए


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲