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सुषमा स्वराज: पाकिस्तान के लिए एक तरफ आयरन लेडी तो दूसरी तरफ ममतामयी मां

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 अगस्त, 2019 04:31 PM
  • 07 अगस्त, 2019 04:31 PM
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पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौत से पूरा देश सदमे में हैं. सुषमा स्वराज को एक ऐसी नेता के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने परेशानी में घिरे लोगों की निस्स्वार्थ भावना से मदद की. तो वहीं उन्होंने पाकिस्तान को भी समय समय पर बताया कि उसे अपनी हरकतों से बाज आ जाना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं रहीं. सुषमा की मौत से भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा अब सदा के लिए अस्त हो चुका है. सुषमा को दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था जहां देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. कहा जा सकता है कि सुषमा की मौत न सिर्फ़ भाजपा बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक बड़ी क्षति है. 67 साल की अल्पायु में दिल्ली स्थित एम्स में अपनी आखिरी सांस लेने वाली सुषमा ने ऐसा बहुत कुछ किया जिसका एहसान शायद ही ये देश और देश के नागरिक कभी चुका पाएं.

अपनी राजनीति के जरिये सुषमा ने एक ऐसी लकीर खींच दी है जिसे अब शायद ही कोई मिटा पाए

सुषमा स्वराज लंबे समय से बीमार थीं और यही वो कारण था जिसके मद्देनजर उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और देश की सक्रिय राजनीति से खुद को पीछे कर लिया. यूं तो सुषमा के राजनीतिक जीवन की तमाम उपलब्धियां हैं मगर जहां एक तरफ़ वो पकिस्तान के लिए आयरन लेडी थीं तो वहीँ दूसरी तरफ़ ममतामयी मां होना उनके व्यक्तित्व का एक अलग ही हिस्सा था.

ममतामयी मां की तरह देश के बच्चों के दुःख सुख में साथ खड़ी रहीं सुषमा स्वराज

सुषमा के सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि, एक ऐसे समय में जब हमारे नेता धर्म की राजनीति में हर चीज धर्म के चश्मे से देख रहे हों सुषमा ने कभी तुष्टिकरण की परवाह नहीं की और सबको साथ लेते हुए देश के विकास में योगदान दिया. ऐसे सैकड़ों मामले आए हैं जब न केवल उन्होंने लोगों की एक मां की तरह मदद की. बल्कि उन्हें इस बात का भी भरोसा दिलाया कि वो किसी भी क्षण मदद के उद्देश्य से उनकी क्षरण में आ सकते हैं.

बात 2016 की है जोधपुर के नरेश तेवाणी और कराची की प्रिया बच्चाणी शादी करने वाले थे, लेकिन उनकी खुशियों में ग्रहण तब लग...

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं रहीं. सुषमा की मौत से भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा अब सदा के लिए अस्त हो चुका है. सुषमा को दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था जहां देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. कहा जा सकता है कि सुषमा की मौत न सिर्फ़ भाजपा बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक बड़ी क्षति है. 67 साल की अल्पायु में दिल्ली स्थित एम्स में अपनी आखिरी सांस लेने वाली सुषमा ने ऐसा बहुत कुछ किया जिसका एहसान शायद ही ये देश और देश के नागरिक कभी चुका पाएं.

अपनी राजनीति के जरिये सुषमा ने एक ऐसी लकीर खींच दी है जिसे अब शायद ही कोई मिटा पाए

सुषमा स्वराज लंबे समय से बीमार थीं और यही वो कारण था जिसके मद्देनजर उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और देश की सक्रिय राजनीति से खुद को पीछे कर लिया. यूं तो सुषमा के राजनीतिक जीवन की तमाम उपलब्धियां हैं मगर जहां एक तरफ़ वो पकिस्तान के लिए आयरन लेडी थीं तो वहीँ दूसरी तरफ़ ममतामयी मां होना उनके व्यक्तित्व का एक अलग ही हिस्सा था.

ममतामयी मां की तरह देश के बच्चों के दुःख सुख में साथ खड़ी रहीं सुषमा स्वराज

सुषमा के सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि, एक ऐसे समय में जब हमारे नेता धर्म की राजनीति में हर चीज धर्म के चश्मे से देख रहे हों सुषमा ने कभी तुष्टिकरण की परवाह नहीं की और सबको साथ लेते हुए देश के विकास में योगदान दिया. ऐसे सैकड़ों मामले आए हैं जब न केवल उन्होंने लोगों की एक मां की तरह मदद की. बल्कि उन्हें इस बात का भी भरोसा दिलाया कि वो किसी भी क्षण मदद के उद्देश्य से उनकी क्षरण में आ सकते हैं.

बात 2016 की है जोधपुर के नरेश तेवाणी और कराची की प्रिया बच्चाणी शादी करने वाले थे, लेकिन उनकी खुशियों में ग्रहण तब लग गया जब पाकिस्तान स्थित  भारतीय दूतावास ने दुल्हन के परिवार और रिश्तेदारों को वीजा जारी करने से मना कर दिया. दुल्हे नरेश को जब मदद कहीं से नहीं मिली तो उन्होंने ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई. सुषमा ने भी किसी मां की तरह उनकी फ़रियाद सुनी और उन्हें भरोसा दिलाया कि वो शादी के लिए लड़की वालों को भारत का वीजा दिलवा देंगी.

वाकई सुषमा मोदी कैबिनेट में एक ममतामयी मां थीं. जब जब सुषमा को याद किया जाएगा तो जहां एक तरफ़ उन्हें भारत ही सुपर मॉम कहा जाएगा तो वहीँ उनका शुमार उन नेताओं में भी रहेगा जिन्हें ट्विटर पर युवाओं की एक बड़ी संख्या द्वारा फॉलो किया गया. कह सकते हैं कि सुषमा स्वराज से पहले जो भी विदेश मंत्री हुए हैं उन्होंने अपने को केवल दौरौं और गॉर्ड ऑफ ऑनर तक ही सीमित रखा मगर सुषमा स्वराज का मामला अलग था उन्होंने अपने को इन चीजों से अलग करके अपने आप को देश के आम लोगों से जोड़ा और उनकी समस्याओं का निवारण किया.

बात साफ है, सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री जो लकीर खींची है उसे मिटा पाना नामुमकिन है साथ ही उससे बड़ी लकीर खींच पाना किसी भी अन्य नेता के वश का नहीं है.

सुषमा स्वराज का दिल कितना बड़ा था इसे हम 2017 की एक घटना से समझ सकते हैं. सुषमा के फैन और आलोचक उस वक्त आश्चर्य में आ गए जब उन्होंने दिल की बीमारी से ग्रसित पाकिस्तान की एक लड़की शिरीन शिराज़ को ओपन हार्ट सर्जरी के लिए एक साल का मेडिकल वीजा मुहैया कराया. इसके अलावा साल 2017 में ही इन्होंने दो अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में सर्जरी के लिए मेडिकल वीजा उपलब्ध करवाया था.

सिर्फ पाकिस्तानी ही क्यों अपने पद का इस्तेमाल करते हुए सुषमा ने कई अन्य देशों के लोगों की भी मदद की. 2015 में उन्होंने एक यमनी महिला की मदद की जिसकी शादी एक भारतीय से हुई थी. महिला ने अपनी 8 महीने की बच्ची की तस्वीर ट्वीट करते हुए  विवादित क्षेत्र से निकालने की गुहार लगाई थी. ये सुषमा स्वराज का स्वाभाव ही था जिसके चलते  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नेताओं ने कई बार उनकी कार्यप्रणाली की प्रशंसा की थी.

कई ऐसे मौके आए हैं जब अपने फैसले से सुषमा ने लोगों का दिल जीता

फरवरी 2015 में ही सुषमा को लोगों की खूब वाहवाही तब मिली जब ऊन्होने ईरान के बसरा में बंधक बनाए गए 168 भारतीयों की मदद की. ध्यान रहे कि इस संबंध में सुषमा के पास एक वीडियो आया था जिसका न सिर्फ उन्होंने गहनता से अवलोकन  किया बल्कि समय रहते उसपर एक्शन भी लिया. इसी तरफ उन्होंने बर्लिन में फंसे एक भारतीय व्यक्ति की भी मदद साल 2015 में की थी जिसका पासपोर्ट और पैसे कहीं गायब हो गए थे.

इसी तरह सुषमा ने उस व्यक्ति की भी मदद 2016 में जो अपने भाई को बचाने के लिए दोहा हवाई अड्डे पर फंस गया था.

यूं तो सुषमा ने कई उदाहरण सेट किये हैं मगर जिस तरह उन्होंने दुबई में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिक तौकीर अली की मदद की उसके बाद हमारे लिए सुषमा को 'वीजा मां' कहना भी अतिश्योक्ति न होगा.

तौकीर ने अपने बेटे के इलाज के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया था और जैसे 12 घंटों के अन्दर ही सुषमा ने न सिर्फ उस समस्या को सुना बल्कि उसका संज्ञान लिया वो ये बताता है एक नेता होने से पहले सुषमा खुद एक मां थीं जिन्हें उस पीड़ा का अंदाजा था जो एक माता पिता को तब होती है जब उसका बच्चा मुसीबत में होता है.

ये तो बात हो गई सुषमा के मानवीय गुणों और एक मां होने की अब बात उस बिंदु पर जिसके लिए सुषमा जानी जाती थीं. भारतीय जनता पार्टी में सुषमा स्वराज का शुमार उन नेताओं में था जो न सिर्फ मुखरता से अपनी बात कहने के लिए जानी जाती थीं बल्कि कई ऐसे मौके आए थे जब उन्होंने अपने तर्कों से विपक्ष का मुंह बंद किया था और उसे नाकों चने चबवा दिए थे.

एक आयरन लेडी के रूप में सुषमा स्वराज

26 मार्च 2019 ये तारीख इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इस दिन दुनिया ने सौम्यता की मूरत सुषमा स्वराज का रौद्र रूप देखा. दरअसल हुआ कुछ ये था कि दो नाबालिग पाकिस्तानी हिंदू लड़कियों को जबरन इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया जा रहा था और मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी करवाई जा रही थी. सुषमा ने मांग की कि कथित तौर पर अगवा की गई इन लड़कियों को इनके घर भेजा जाए. सुषमा ने लगातार इस मुद्दे पर दबाव बनाया और आखिरकार इमरान खान की सरकार को इसके आगे झुकना पड़ा.

जब जब बात पाकिस्तान की अनुचित नीतियों की आई सुषमा ने मुखर होकर उनका विरोध किया

मामले को गंभीरता से लेते हुए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि वह नाबालिग लड़कियों को सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें अपने संरक्षण में ले. ध्यान रहे कि इस मुद्दे पर इमरान खान की खूब किरकिरी हुई थी. जिस तरह से सुषमा स्वराज ने इस मामले को लेकर पाकिस्तान से मोर्चा किया था उससे इमरान खान को भी सुषमा स्वराज की शक्ति का अंदाजा हो गया था. आपको बताते चलें कि मामले का खुलासा तब हुआ जब लड़की के भाई ने कराची प्रेस क्लब के सामने मामले को लेकर प्रदर्शन किया था.

बालाकोट पर हुई एयर स्ट्राइक पर सुषमा स्वराज के तल्ख तेवर : पुलवामा हमले के बाद जब भारत सरकार ने पाकिस्तान में जैश के आतंकी कैंप पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एयर स्ट्राइक की पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने भारत पर कई गंभीर आरोप लगाए. पाकिस्तान के ये आरोप सुषमा को न सिर्फ बुरे लगे बल्कि उन्होंने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया. महिला भाजपा कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में सुषमा ने बड़े ही स्पष्ट अंदाज में इस बात को कहा कि बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक पर पाकिस्तान जो भी कह रहा है वो झूठ है.

एयर स्ट्राइक में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया था कि न तो किसी पाकिस्तानी जवान को कोई नुकसान पहुंचे और न ही इस एयर स्ट्राइक का खामियाजा किसी सिविलियन को भुगतना पड़े. कार्यक्रम में सुषमा ने कहा था कि भारतीय सेना को 'फ्री हैंड' दिया गया था. मगर उन्हें इस बात के लिए भी निर्देशित किया गया था कि इस एयर स्ट्राइक का उद्देश्य केवल जैश के ठिकाने हों और इसमें किसी भी सैनिक या नागरिक को नुकसान न उठाना पड़े. सेना ने ऐसा ही किया मगर पाकिस्तान ने दुनिया के सामने एक लाग ही कहानी रच दी.

इसी तरह साल 2008 में जब मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार अन्य देशों को साथ लेकर पाकिस्तान का बहिष्कार करने में बुरी तरह से नाकाम रही है. ध्यान रहे कि तब उस हमले में 14 अलग अलग देशों के 40 नागरिक मारे गए थे.

सुषमा पाकिस्तान के दोगले रवैये से कितना असंतुष्ट थीं इसका अंदाजा उनके उस भाषण से लगाया जा सकता है जब पीएम मोदी SCO कांफ्रेंस के लिए बिश्केक गए थे. कांफ्रेंस में सुषमा ने पुलवामा में हुए हमले का जिक्र किया था और बड़े ही मुखर अंदाज में इस बात को दोहराया था कि पुलवामा हमले के घाव भारत के लिए अब भी ताजे हैं और पाकिस्तान को अपनी हरकतों से बाज आ जाना चाहिए. अपने उस भाषण में सुषमा ने पाकिस्तान को इस बात की चेतावनी दी थी कि यदि वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आता तो इसके दूरगामी परिणाम पड़े ही घातक होंगे.

अब जबकि सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं हैं तो कह सकते हैं उनके इतने एहसान इस देश के लोगों पर हैं कि शायद ही कभी देश और देश के नागरिक उस एहसान का कर्ज चुका पाएं. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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