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सुब्रमण्यम स्वामी आखिर मोदी सरकार को कैसे छोड़ देते, वित्‍त मंत्रालय और बजट फिर निशाने पर

    • आईचौक
    • Updated: 03 फरवरी, 2021 05:58 PM
  • 03 फरवरी, 2021 05:58 PM
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सुब्रमण्यम स्वामी चीन से सीमा विवाद को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं. बीती 6 जनवरी को ही स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि कोरोना वैक्सीन के उत्साह में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है. साथ ही इस बात का भी हमें ध्यान होना चाहिए कि लद्दाख में 4000 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्र में चीन हम पर हावी है.

'जल में रहकर मगर से बैर' वाली कहावत आपने सुनी ही होगी. इस कहावत का मतलब है कि अपने से कहीं ज्यादा ताकतवर से शत्रुता करना. सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ऐसे ही नेता हैं, जो किसी की भी आलोचना करने से पहले उसके कद या पद को महत्व नहीं देते हैं. भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी जरूरी मुद्दों पर मोदी सरकार (Modi Government) की भी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते हैं. मोदी सरकार की तमाम आलोचनाओं के बावजूद सुब्रमण्यम स्वामी अभी तक भाजपा में बने हुए हैं. जब पूरे देश में भाजपा का चेहरा नरेंद्र मोदी हों और उनसे टक्कर लेने वाले पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में स्थान पा चुके हों. ऐसे समय में भी स्वामी भाजपा में अपनी जगह बनाए हुए हैं. सुब्रमण्यम स्वामी एक अर्थशास्त्री, वकील और राजनीति के एवरग्रीन नेता हैं. अपनी आक्रामक आलोचनाओं के लिए मशहूर स्वामी को आपने सैकड़ों टीवी डिबेट्स में अपने तर्कों से सामने बैठे शख्स को निरुत्तर करते देखा होगा. स्वामी को वन मैन आर्मी भी कहा जाता है.

सुब्रमण्यम स्वामी एक अर्थशास्त्री, वकील और राजनीति के एवरग्रीन नेता हैं.

आज सुब्रमण्यम स्वामी का जन्मदिन नहीं है, तो उनकी बात क्यों की जा रही है, सबसे बड़ा सवाल आपके मन में यही होगा. दरअसल, बजट 2021 (Budget 2021) को लोग अभी ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि भाजपा सांसद स्वामी ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ तंज कस दिया. सुब्रमण्यम स्वामी ने बजट पेश होने के दूसरे ही दिन ट्वीट कर लिखा है कि राम के भारत में पेट्रोल 93 रुपए, सीता के नेपाल में 53 रुपए और रावण की लंका में 51 रुपए में मिल रहा है.

'जल में रहकर मगर से बैर' वाली कहावत आपने सुनी ही होगी. इस कहावत का मतलब है कि अपने से कहीं ज्यादा ताकतवर से शत्रुता करना. सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ऐसे ही नेता हैं, जो किसी की भी आलोचना करने से पहले उसके कद या पद को महत्व नहीं देते हैं. भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी जरूरी मुद्दों पर मोदी सरकार (Modi Government) की भी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते हैं. मोदी सरकार की तमाम आलोचनाओं के बावजूद सुब्रमण्यम स्वामी अभी तक भाजपा में बने हुए हैं. जब पूरे देश में भाजपा का चेहरा नरेंद्र मोदी हों और उनसे टक्कर लेने वाले पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में स्थान पा चुके हों. ऐसे समय में भी स्वामी भाजपा में अपनी जगह बनाए हुए हैं. सुब्रमण्यम स्वामी एक अर्थशास्त्री, वकील और राजनीति के एवरग्रीन नेता हैं. अपनी आक्रामक आलोचनाओं के लिए मशहूर स्वामी को आपने सैकड़ों टीवी डिबेट्स में अपने तर्कों से सामने बैठे शख्स को निरुत्तर करते देखा होगा. स्वामी को वन मैन आर्मी भी कहा जाता है.

सुब्रमण्यम स्वामी एक अर्थशास्त्री, वकील और राजनीति के एवरग्रीन नेता हैं.

आज सुब्रमण्यम स्वामी का जन्मदिन नहीं है, तो उनकी बात क्यों की जा रही है, सबसे बड़ा सवाल आपके मन में यही होगा. दरअसल, बजट 2021 (Budget 2021) को लोग अभी ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि भाजपा सांसद स्वामी ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ तंज कस दिया. सुब्रमण्यम स्वामी ने बजट पेश होने के दूसरे ही दिन ट्वीट कर लिखा है कि राम के भारत में पेट्रोल 93 रुपए, सीता के नेपाल में 53 रुपए और रावण की लंका में 51 रुपए में मिल रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाने की बात कही थी. बजट 2021 के अनुसार, पेट्रोल पर 2.50 और डीजल पर 4 रुपए कृषि सेस लगाए जाने की घोषणा की गई. हालांकि, सरकार ने साफ किया था कि इस सेस का उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन, आशंका जताई जा रही थी कि आगे चलकर ऑयल कंपनियां इसकी भरपाई आम जनता से ही करेगी. ऐसे में सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

सुब्रमण्यम स्वामी चीन से सीमा विवाद को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं.

सुब्रमण्यम स्वामी चीन से सीमा विवाद को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं. बीती 6 जनवरी को ही स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि कोरोना वैक्सीन के उत्साह में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है. साथ ही इस बात का भी हमें ध्यान होना चाहिए कि लद्दाख में 4000 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्र में चीन हम पर हावी है. सुब्रमण्यम स्वामी मोदी सरकार की विदेश नीति को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं. स्वामी ये भी कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आसपास अज्ञानी और सच बोल पाने की हिम्मत न रखने वालों का जमावड़ा है.

स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा समेत कांग्रेस के कई नेताओं को आरोपी बनवाया था.

सुब्रमण्यम स्वामी केवल भाजपा या मोदी सरकार ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी निशाने पर लेते रहे हैं. स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा समेत कांग्रेस के कई नेताओं को आरोपी बनवाया था. इस केस में सोनिया और राहुल गांधी को जमानत लेनी पड़ी थी. स्वामी लगातार सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत रूप से हमले भी करते रहे हैं. 2जी घोटाला, कोयला घोटाला और ऑगस्ता वेस्टलैंड डील में भी कांग्रेस पार्टी को स्वामी ने घसीट लिया था.

हमेशा हिंदू हितों की बात करने वाले भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अपनी बात बिना किसी लगा-लपेट के कहने के लिए जाने जाते हैं. वे किसी की भी परोक्ष या सांकेतिक रूप से आलोचना करने के पक्षधर नहीं लगते हैं. स्वामी की गिनती सीधे तौर पर खुलकर निशाना साधने वालों में की जाती है. अपने चार दशकों से अधिक के राजनीतिक करियर में सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और नरेंद्र मोदी से लेकर सोनिया गांधी तक आलोचना करने में किसी को भी नहीं छोड़ा है. 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार गिराने के लिए उन्होंने सोनिया गांधी और जयललिता की मुलाकात भी कराई थी. सुब्रमण्यम स्वामी और विवाद समानांतर रेखाओं की तरह हैं. कुल मिलाकर सुब्रमण्यम स्वामी को 'विवादों का स्वामी' कहना ही उचित होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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