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स्वामी को ‘कांग्रेसी जासूस’ क्यों लगते हैं नजीब जंग ?

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 31 अगस्त, 2016 04:34 PM
  • 31 अगस्त, 2016 04:34 PM
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सुब्रमण्यन स्वामी ने अब दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग पर निशाना साधा है. स्वामी का मानना है कि उनके पास वह काबि‍लियत नहीं जो बीजेपी के किसी राज्यपाल में होनी चाहिए...

राजनीति का एक हुनर सिर्फ और सिर्फ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी के पास है. जिसके खिलाफ राजनीति शुरू कर दी तो उसका सफाया होना तय है. स्वामी ने ताजा निशाना साधा है दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग पर और वह भी अपने पुराने अंदाज में, ट्विटर का सहारा लेते हुए.

इस ट्वीट से उपजे गंभीर सवाल

अब नजीब जंग पर यह बयान फौरी तौर पर कुछ अटपटा जरूर लग रहा है. वजह कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनका आड़े हाथों लेना उन्हें बीजेपी के नजदीक पहुंचा देता है. केजरीवाल खुले आम जंग पर आरोप मढ़ते हैं कि वह केन्द्र की मोदी सरकार के इशारे पर उन्हें परेशान करने का काम करते हैं.

इसे भी पढ़ें: स्वामी के अगले टारगेट केजरीवाल हैं या नजीब जंग

अब सवाल यह कि अगर नजीब जंग मोदी सरकार के इशारे पर केजरीवाल को परेशान करने का काम कर रहे हैं तो फिर भला कैसे उनसे बीजेपी को तकलीफ हो रही है? तो इस सवाल का जवाब भी स्वामी के ट्वीट में ही छिपा है.

स्वामी का दावा है कि नजीब जंग जिस पद पर आसीन है उसपर बैठने की काबीलियत उनमें नहीं है. उनके इस आरोप से एक बार फिर निशाना मोदी सरकार से पहले मनमोहन सिंह सरकार पर था जिसने जंग को 2014 के आम चुनावों से कुछ दिनों पहले ही दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया था.

स्वामी का इशारा बिलकुल साफ है कि उन्हें दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद पर आरएसएस के किसी नुमाइंदे को देखना है. मतलब यह कि जंग पर उनके इस हमले के पीछे संघ का हाथ है.

‘कांग्रेसी’ रघुराम राजन को भी यूं हटाया

गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले स्वामी ने कांग्रेस शाषन में नियुक्त आरबीआई गवर्नर...

राजनीति का एक हुनर सिर्फ और सिर्फ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी के पास है. जिसके खिलाफ राजनीति शुरू कर दी तो उसका सफाया होना तय है. स्वामी ने ताजा निशाना साधा है दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग पर और वह भी अपने पुराने अंदाज में, ट्विटर का सहारा लेते हुए.

इस ट्वीट से उपजे गंभीर सवाल

अब नजीब जंग पर यह बयान फौरी तौर पर कुछ अटपटा जरूर लग रहा है. वजह कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनका आड़े हाथों लेना उन्हें बीजेपी के नजदीक पहुंचा देता है. केजरीवाल खुले आम जंग पर आरोप मढ़ते हैं कि वह केन्द्र की मोदी सरकार के इशारे पर उन्हें परेशान करने का काम करते हैं.

इसे भी पढ़ें: स्वामी के अगले टारगेट केजरीवाल हैं या नजीब जंग

अब सवाल यह कि अगर नजीब जंग मोदी सरकार के इशारे पर केजरीवाल को परेशान करने का काम कर रहे हैं तो फिर भला कैसे उनसे बीजेपी को तकलीफ हो रही है? तो इस सवाल का जवाब भी स्वामी के ट्वीट में ही छिपा है.

स्वामी का दावा है कि नजीब जंग जिस पद पर आसीन है उसपर बैठने की काबीलियत उनमें नहीं है. उनके इस आरोप से एक बार फिर निशाना मोदी सरकार से पहले मनमोहन सिंह सरकार पर था जिसने जंग को 2014 के आम चुनावों से कुछ दिनों पहले ही दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया था.

स्वामी का इशारा बिलकुल साफ है कि उन्हें दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद पर आरएसएस के किसी नुमाइंदे को देखना है. मतलब यह कि जंग पर उनके इस हमले के पीछे संघ का हाथ है.

‘कांग्रेसी’ रघुराम राजन को भी यूं हटाया

गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले स्वामी ने कांग्रेस शाषन में नियुक्त आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर ट्वीट युद्ध की शुरुआत की. राजन की नियुक्ति भी मनमोहन सरकार द्वारा की गई थी. स्वामी ने राजन पर आरोप मढ़ा कि वह कांग्रेस द्वारा विदेशी सरकारों के हित को साधने के लिए रिजर्व बैंक पर काबिज किए गए थे. साथ ही उनके द्वारा लिए जा रहे सभी फैसले विदेशी ताकतों को मजबूत करने का काम कर रहे थे.

इसे भी पढ़ें: बीजेपी के ब्रह्मास्त्र स्वामी बोले, अगला टारगेट - केजरीवाल सरकार

स्वामी के मुताबिक ऐसी स्थिति में राजन जान बूझकर मोदी सरकार के आर्थिक कार्यक्रमों में अड़ंगा डालने का काम कर रहे थे. लिहाजा उनका हटाया जाना मोदी सरकार के लिए बेहद जरूरी था. अब मोदी सरकार ने स्वामी के आरोपों का क्या निष्कर्ष निकाला यह तो गोपनीय है लेकिन नतीजा देखकर साफ है कि कहीं न कहीं सरकार को स्वामी के तर्क उचित लगे. लिहाजा, एक ड्यू प्रॉसेस के तहत राजन की छुट्टी हो गई.

 नजीब जंग और अरविंद केजरीवाल

नजीब जंग की काबीलियत पर सवाल उठाने का मतलब है?

किसी भी राज्य का गवर्नर अथवा केन्द्र शाषित राज्यों के डिप्टी गवर्नर केन्द्र सरकार का उन क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका काम अपने-अपने राज्य की राजनीतिक स्थिति का ब्यौरा केन्द्र सरकार को देने का होता है. और यह तय करने का कि उक्त राज्य की सरकार संविधान के मुताबिक केन्द्र के दिए दिशा निर्देशों पर चल रही है.

लिहाजा, स्वामी का जंग पर किया हमला साफ कह रहा है कि वह और संघ मानता है कि नजीब जंग दिल्ली में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधी का काम बखूबी नहीं कर रहे हैं. उनके द्वारा केजरीवाल को संयमित करने का किया जा रहा काम कहीं न कहीं मोदी सरकार की छवि को खराब करने का काम कर रहा है.

इसे भी पढ़ें: स्वामी खुद को अर्जुन मानते हैं या कृष्ण?

ऐसा क्यों करेंगे नजीब जंग?

जाहिर है कि कांग्रेस से उनकी नजदीकी एक खुली किताब है. केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद एक-एक कर सभी राज्यों में कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपालों की छुट्टी की जा चुकी है. महज नजीब जंग अपनी जगह पर बने हुए हैं. इस पद पर काबिज रहने के लिए जंग ने सीधे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया जिससे केन्द्र सरकार को उनकी निष्ठा पर सवाल उठाने का मौका न मिले. ऊपर से उनका माइनॉरिटी तबके से होना मोदी सरकार के लिए ईमेज मेकिंग का जरिया भी बन गया.

इसे भी पढ़ें: पाक के साथ न सही, स्वामी के लिए कोई लक्ष्मण रेखा है क्या?

लेकिन, इन सब के बीच अब स्वामी का इशारा है कि वह केन्द्र सरकार की नुमाइंदगी करने की काबीलियत नहीं रखते. और वह संघ के किसी नजदीकी को दिल्ली पर काबिज करने का सुझाव दे रहे हैं. क्या स्वामी कहना चाह रहे हैं कि बीजेपी को अब समझ आ रहा है कि नजीब जंग बखूबी सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं? क्या यह किसी सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है कि वह केजरीवाल सरकार को परेशान करें और बदनामी सिर्फ मोदी सरकार की हो? इसका मतलब क्या स्वामी कह रहे हैं कि नजीब जंग कांग्रेस के जासूस हैं और उनका लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद पर बने रहने से बीजेपी का नुकसान हो रहा है और कांग्रेस का फायदा?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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