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शहीद एयरफोर्स पायलट की पत्नी निर्मल खन्ना की बात यासीन मलिक क्या कभी समझ पाएगा?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 26 मई, 2022 03:32 PM
  • 26 मई, 2022 03:32 PM
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एक महिला के लिए सबसे मुश्किल होता है किसी हत्यारे को माफ़ करना, और उससे भी ज्यादा मुश्किल है उस आदमी को माफ़ कर देना जिसने उसके पति की हत्या की. यासीन को सजा मिल चुकी है. ऐसे में शहीद रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने बहुत साफ़ लहजे में उसे बड़ा सन्देश दिया है.

'निर्बल कभी क्षमा नहीं कर सकते. क्षमा ताकतवर की विशेषता है.'...

कथन महात्मा गांधी का है और क्षमा से सम्बंधित है जिसे कम ही लोग फॉलो करते हैं. किसी को क्षमा करना आसान नहीं है. किसी हत्यारे को, वो भी अपने पति की हत्या करने वाले को क्षमा करना क्या एक महिला के लिए आसान होता है? बिलकुल नहीं लेकिन निर्मल खन्ना ने ऐसा किया और एक नजीर स्थापित की है.

कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में दिल्ली की एनआईए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वहीं कोर्ट ने 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अब जबकि यासीन को उसके किये कि सजा मिल चुकी है हमारे सहयोगी आजतक के एक प्रोग्राम पर भारतीय वायुसेना अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रवि खन्ना को आज से 32 साल पहले यासीन ने बड़ी ही बेरहमी के साथ क़त्ल किया था. 

यासीन मलिक पर आए फैसले पर प्रतिक्रिया देकर निर्मल खन्ना ने अपने बड़े दिल का परिचय दिया है

यासीन की सजा पर अपना पक्ष रखते हुए निर्मल ने बहुत ही सुलझी हुई बात की है. निर्मल ने कहा है कि जज ने जो भी फैसला दिया, अपनी बुद्धि के हिसाब से हम सबको उसका सम्मान करना चाहिए. निर्मल के इस जवाब पर एंकर ने उनसे ये भी कहा की उन्होंने इस फैसले के लिए लम्बे समय से इंतजार किया है. इस पर निर्मल ने कहा कि, मेरा केस अलग है. ये टेरर फंडिंग का केस था. भारत में टेरर के लिए यासीन ने दूसरे देशों से फण्ड इकट्ठा किया. भारत से भी उसे फंड मिला. निर्मल ने  इस बात का जिक्र किया कि जयचंद हर युग में रहे हैं और इस मामले में भी यही हुआ.

जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि एक महिला के लिए सबसे मुश्किल होता है किसी हत्यारे को माफ़ करना, और उससे भी ज्यादा...

'निर्बल कभी क्षमा नहीं कर सकते. क्षमा ताकतवर की विशेषता है.'...

कथन महात्मा गांधी का है और क्षमा से सम्बंधित है जिसे कम ही लोग फॉलो करते हैं. किसी को क्षमा करना आसान नहीं है. किसी हत्यारे को, वो भी अपने पति की हत्या करने वाले को क्षमा करना क्या एक महिला के लिए आसान होता है? बिलकुल नहीं लेकिन निर्मल खन्ना ने ऐसा किया और एक नजीर स्थापित की है.

कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में दिल्ली की एनआईए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वहीं कोर्ट ने 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अब जबकि यासीन को उसके किये कि सजा मिल चुकी है हमारे सहयोगी आजतक के एक प्रोग्राम पर भारतीय वायुसेना अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रवि खन्ना को आज से 32 साल पहले यासीन ने बड़ी ही बेरहमी के साथ क़त्ल किया था. 

यासीन मलिक पर आए फैसले पर प्रतिक्रिया देकर निर्मल खन्ना ने अपने बड़े दिल का परिचय दिया है

यासीन की सजा पर अपना पक्ष रखते हुए निर्मल ने बहुत ही सुलझी हुई बात की है. निर्मल ने कहा है कि जज ने जो भी फैसला दिया, अपनी बुद्धि के हिसाब से हम सबको उसका सम्मान करना चाहिए. निर्मल के इस जवाब पर एंकर ने उनसे ये भी कहा की उन्होंने इस फैसले के लिए लम्बे समय से इंतजार किया है. इस पर निर्मल ने कहा कि, मेरा केस अलग है. ये टेरर फंडिंग का केस था. भारत में टेरर के लिए यासीन ने दूसरे देशों से फण्ड इकट्ठा किया. भारत से भी उसे फंड मिला. निर्मल ने  इस बात का जिक्र किया कि जयचंद हर युग में रहे हैं और इस मामले में भी यही हुआ.

जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि एक महिला के लिए सबसे मुश्किल होता है किसी हत्यारे को माफ़ करना, और उससे भी ज्यादा मुश्किल है उस आदमी को माफ़ कर देना जिसने उसके पति की हत्या की. यासीन को सजा मिल चुकी है. ऐसे में शहीद रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने बहुत साफ़ लहजे में उसे बड़ा सन्देश दिया है. 

यासीन की तरफ इशारा करते हुए निर्मल ने कहा है कि उसे (यासीन मलिक को) आज ही अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए, अपनी शांति के लिए कागज और कलम पकड़ लेना चाहिए और जितना जो कुछ किया है उन सब को आज की डेट डालकर लिखना शुरू करना चाहिए. इससे उसे शांति मिलेगी और उसको उसे प्लस माइनस किसी के पास जाकर पूछने की जरूरत नहीं है. उसे अपना चेहरा खुद दिख जाएगा की उसने अपने लिए क्या किया है. 

फैसले के बाद निर्मल का ये भी मानना है कि  इंसान को सब कुछ अपने लिए करना है. अपनी शांति के लिए करना है. सारे रिश्ते नाते यही पर रह जाते हैं. 

वहीं निर्मल ने इस बात पर भी बल दिया कि सजा के बाद अब यासीन मलिक को प्रायश्चित का समय मिला है. उसे प्रायश्चित करना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को ऐसा पैगाम देना चाहिए कि जो जिस धरती पर पैदा हुआ है वो उस धरती का लाल है.वो इसी देश का बेटा है. वो जिस देश में पैदा हुआ, जिस धरती का अन्न खाया है वो वहीं का है. उसको उसकी वफादारी निभानी चाहिए. 

यासीन मलिक को भी आने वाली पीढ़ियों को भी ये संदेश देना चाहिए कि खुद जियो औरों को जीने दो. उसे इन बातों को आत्मसात करना चाहिए. मैं उसकी शांति के लिए दुआ करती हूं. 

यासीन की सजा पर बड़ी ही सहजता के साथ निर्मल ने अपना पक्ष रख दिया है और तमाम बातों को विराम दे दिया है. सवाल ये है कि क्या क्षमा की ये भावना हम अपने अंदर विकसित कर पाएंगे. हम फिर उसी बात को दोहराना चाहेंगे कि आज के समय में जब हम पर नफरत हावी हो, एक महिला के लिए अपने पति के हत्यारे को माफ़ करना और उसकी शांति के लिए दुआ करना बिलकुल भी आसान नहीं है. निर्मल ने ऐसा किया है इसके लिए वाक़ई इंसान को बहुत मजबूत होना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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