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वो गाने जो अनजाने में चुनाव प्रचार कर जाते हैं..

    • आईचौक
    • Updated: 05 मई, 2019 02:13 PM
  • 05 मई, 2019 02:13 PM
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आकाशवाणी में उन गानों को नहीं बजाया जा रहा जिसमें किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह आता हो क्योंकि ये गाने आचार संहिता का उलंघन करते हैं. साथ ही, उन फिल्मी सितारों के गाने भी नहीं सुनाए जाते जो चुनाव में नामांकन भर चुके हैं.

आचार संहिता लगने के बाद से ऐसी कई चीज़ों पर मनाही है जो पहले बहुत आम लगती थीं. फेसबुक-वॉट्सएप से लेकर ट्विटर और यहां तक कि गली-मोहल्ले में भी आचार संहिता का थोड़ा न थोड़ा असर तो देखा जा सकता है. आचार संहिता सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि ये तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर भी जा पहुंची है. आकाशवाणी और दूरदर्शन के अधिकारियों को पहले ही इसकी जानकारी दे दी गई थी कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. इसमें से एक गानों से जुड़ी जानकारी भी थी. दैनिकभास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आकाशवाणी में उन गानों को नहीं बजाया जा रहा जिसमें किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह आता हो क्योंकि ये गाने आचार संहिता का उलंघन करते हैं. साथ ही, उन फिल्मी सितारों के गाने भी नहीं सुनाए जाते जो चुनाव में नामांकन भर चुके हैं.

जयाप्रदा, हेमा मालिनी, उर्मिला मातोंडकर, अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, राजब्बर, सन्नी देओल, मनोज तिवारी, गायक दलेर मेहंदी, हंसराज हंस और अब सनी देवल से जुड़े गाने सुनाने में भी आपत्ती है. रिपोर्ट के मुताबिक आकाशवाणी में फिरोज खान की फिल्म का गाना 'तेरे चेहरे में वो जादू है..' इसलिए नहीं सुनाया गया क्योंकि इसमें हिरोइन हेमा मालिनी थीं.

मेरी तरह शायद आप भी ये सोच रहे हों कि ऐसा क्या है? कितने गाने होंगे जिनमें किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह आएगा? तो चलिए देखते हैं...

1. हाथ

कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ है और इसलिए हाथ से जुड़े गाने बजाना चुनाव प्रचार माना जा सकता है.

- तेरे हाथ में मेरा हाथ हो (फना फिल्म)- साथी हाथ बढ़ाना (कविता)- पंडित जी ने हाथ मेरा देखा (लोफर फिल्म)- हाथ सीता का राम को दिया (घर संसार फिल्म)

और भी बहुत से गाने हैं जिनमें हाथ शब्द अहम है. हां, किसी गाने के बीच में अगर कोई ऐसा शब्द आ रहा है तो बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं है.

2. फूल

वैसे तो भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल का फूल है, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो फूल शब्द वाले गाने ही मना हो गए हैं.

- फूल तुम्हें भेजा है खत में (फिल्म...

आचार संहिता लगने के बाद से ऐसी कई चीज़ों पर मनाही है जो पहले बहुत आम लगती थीं. फेसबुक-वॉट्सएप से लेकर ट्विटर और यहां तक कि गली-मोहल्ले में भी आचार संहिता का थोड़ा न थोड़ा असर तो देखा जा सकता है. आचार संहिता सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि ये तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर भी जा पहुंची है. आकाशवाणी और दूरदर्शन के अधिकारियों को पहले ही इसकी जानकारी दे दी गई थी कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. इसमें से एक गानों से जुड़ी जानकारी भी थी. दैनिकभास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आकाशवाणी में उन गानों को नहीं बजाया जा रहा जिसमें किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह आता हो क्योंकि ये गाने आचार संहिता का उलंघन करते हैं. साथ ही, उन फिल्मी सितारों के गाने भी नहीं सुनाए जाते जो चुनाव में नामांकन भर चुके हैं.

जयाप्रदा, हेमा मालिनी, उर्मिला मातोंडकर, अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, राजब्बर, सन्नी देओल, मनोज तिवारी, गायक दलेर मेहंदी, हंसराज हंस और अब सनी देवल से जुड़े गाने सुनाने में भी आपत्ती है. रिपोर्ट के मुताबिक आकाशवाणी में फिरोज खान की फिल्म का गाना 'तेरे चेहरे में वो जादू है..' इसलिए नहीं सुनाया गया क्योंकि इसमें हिरोइन हेमा मालिनी थीं.

मेरी तरह शायद आप भी ये सोच रहे हों कि ऐसा क्या है? कितने गाने होंगे जिनमें किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह आएगा? तो चलिए देखते हैं...

1. हाथ

कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ है और इसलिए हाथ से जुड़े गाने बजाना चुनाव प्रचार माना जा सकता है.

- तेरे हाथ में मेरा हाथ हो (फना फिल्म)- साथी हाथ बढ़ाना (कविता)- पंडित जी ने हाथ मेरा देखा (लोफर फिल्म)- हाथ सीता का राम को दिया (घर संसार फिल्म)

और भी बहुत से गाने हैं जिनमें हाथ शब्द अहम है. हां, किसी गाने के बीच में अगर कोई ऐसा शब्द आ रहा है तो बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं है.

2. फूल

वैसे तो भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल का फूल है, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो फूल शब्द वाले गाने ही मना हो गए हैं.

- फूल तुम्हें भेजा है खत में (फिल्म सरस्वती चंद्र)- भंवरे ने खिलाया फूल- फूल को ले गया राज कंवर (फिल्म प्रेम रोग)- फूलों की रानी बहारों की मलिका (फिल्म आरजू)

और ऐसे गाने जहां फूल शब्द का अहम प्रयोग है वो सभी आचार संहिता का उलंघन करते हैं.

3. हाथी

- चल चल चल मेरे हाथी (फिल्म हाथी मेरे साथी)

अब मायावती की पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए शायद इससे बेहतर गाना हो नहीं सकता और यही कारण है कि ये आचार संहिता का उलंघन करता है. इसीलिए इस गाने को सार्वजनिक बजाना सही नहीं है.

फिल्म हाथी मेरे साथी का गाना मायावती की पार्टी का चुनाव प्रचार लग सकता है.

4. साइकल

- ये साइकल का चक्कर कभी आगे-कभी पीछे (फिल्म अकेली मत जाओ)- माइकल है तो साइकल है (बेवकूफ 1960)

यकीन मानिए इस गाने को देखकर मैं भी ऐसे ही चौंकी थी. ये फिल्म थी 1963 की और इस गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था. अब अखिलेश यादव की पार्टी के प्रचार के लिए इस गाने के बोल बिलकुल सही लग रहे हैं.

5. लालटेन

लालू यादव की लालटेन के लिए तो भोजपुरी में बहुत से गाने हैं. हां, वो गाने आकाशवाणी में वैसे भी नहीं बजाए जाते हैं.

6. तीर

- तीर आंखों के (फिल्म गुनाहों का देवता)- नजरिया तीर चलाए (फिल्म बेपनाह)

अब नितीश कुमार की पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर के लिए अगर कोई गाना बजाना है तो शायद ये गाना होगा. इसीलिए आकाशवाणी इसे भी आचार संहिता का उलंघन मान सकती है. कम से कम जहां-जहां जेडीयू की सरकार है वहां तो.

7. झाड़ू

यकीन मानिए गूगल करेंगे तो बहुत से भोजपुरी गाने झाड़ू को लेकर भी हैं और इन गानों को तो वैसे भी कोई नहीं बजाएगा शायद.

वैसे तो बहुत सी अन्य पार्टियां भी हैं लेकिन उनके चुनाव चिन्हों से जुड़े कोई खास गाने नहीं हैं. अगर वाकई इन्हें आचार संहिता का उलंघन माना जा रहा है तो उम्मीद है कि आकाशवाणी, दूरदर्शन इसका पालन ठीक तरह से कर रहे होंगे और कम से कम इन गानों से दूर रह रहे होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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