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भारत के साथ युद्ध चीन को बर्बाद कर देगा, ये हैं 5 वजह

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 05 जुलाई, 2017 06:57 PM
  • 05 जुलाई, 2017 06:57 PM
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चीन की आर्मी भारत की आर्मी से भले ही मजबूत हो. लेकिन कई मामलों में भारत आगे है. जिसको सुनकर चीन भारत को हल्के में लेने की गलती नहीं करेगा.

आर्मी पावर की बात करें तो चीन भारत से काफी मजबूत है. दोनों देशों के बीच हालात बहुत ही नाजुक हो गए हैं. दोनों देशों के बीच जुबानी जुंग शुरू हो गई है. चीन ने भारत को 1962 युद्ध से सबक लेने को कहा तो वहीं भारत ने करारा जवाब देते हुए कहा कि ये आज का भारत है.

भले ही चीन की आर्मी के सामने भारत की सेना हल्की नजर आती है लेकिन कई मामलों में भारत आगे है. चीन के पास भले ही सबसे पावरफुल आर्मी है लेकिन भारत के पास दूसरे देशों का सहयोग है. सोशल मीडिया पर भी जब भारत-चीन आर्मी के बीच तुलना की तो, लोगों ने कई बातों पर प्रकाश डाला जो गौर करने वाली चीज है.

'दूसरे देशों से संबंध बनाने में चीन से आगे भारत'

पोस्ट पर अंकित जैन ने लिखा कि चीन अंतराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने में भारत से बहुत पीछे है. कई ऐसे देश हैं जो युद्ध के दौरान भारत का साथ देंगे. जिसमें अमेरिका, इजराइल, वियतनाम और जापान जैसे देश हैं. क्योंकि इस देशों से भारत के संबंध बहुत अच्छे हैं.

'पीएम मोदी की वजह से दुनिया भारत के साथ'

अभि बंसल ने पीएम मोदी की विदेश नीति पर जोर डाला. उन्होंने बताया कि पीएम पाकिस्तान और चीन को अलग थलग करना चाहते हैं इसलिए वो ताबड़तोड़ विदेश यात्राएं कर रहे हैं और इसके लिए उनको कामयाबी भी मिली है. अभि ने भारत को सपोर्ट करने वाले देशों के स्टेटमेंट्स को बताया. जिसमें वो हर तरह से भारत के साथ होने की बात कर रहे हैं.

आर्मी पावर की बात करें तो चीन भारत से काफी मजबूत है. दोनों देशों के बीच हालात बहुत ही नाजुक हो गए हैं. दोनों देशों के बीच जुबानी जुंग शुरू हो गई है. चीन ने भारत को 1962 युद्ध से सबक लेने को कहा तो वहीं भारत ने करारा जवाब देते हुए कहा कि ये आज का भारत है.

भले ही चीन की आर्मी के सामने भारत की सेना हल्की नजर आती है लेकिन कई मामलों में भारत आगे है. चीन के पास भले ही सबसे पावरफुल आर्मी है लेकिन भारत के पास दूसरे देशों का सहयोग है. सोशल मीडिया पर भी जब भारत-चीन आर्मी के बीच तुलना की तो, लोगों ने कई बातों पर प्रकाश डाला जो गौर करने वाली चीज है.

'दूसरे देशों से संबंध बनाने में चीन से आगे भारत'

पोस्ट पर अंकित जैन ने लिखा कि चीन अंतराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने में भारत से बहुत पीछे है. कई ऐसे देश हैं जो युद्ध के दौरान भारत का साथ देंगे. जिसमें अमेरिका, इजराइल, वियतनाम और जापान जैसे देश हैं. क्योंकि इस देशों से भारत के संबंध बहुत अच्छे हैं.

'पीएम मोदी की वजह से दुनिया भारत के साथ'

अभि बंसल ने पीएम मोदी की विदेश नीति पर जोर डाला. उन्होंने बताया कि पीएम पाकिस्तान और चीन को अलग थलग करना चाहते हैं इसलिए वो ताबड़तोड़ विदेश यात्राएं कर रहे हैं और इसके लिए उनको कामयाबी भी मिली है. अभि ने भारत को सपोर्ट करने वाले देशों के स्टेटमेंट्स को बताया. जिसमें वो हर तरह से भारत के साथ होने की बात कर रहे हैं.

'चीन ने पड़ोसी देशों के साथ बिगाड़े संबंध'

कुमार निरमल लिखते हैं कि चीन ने अपने पड़ोसी देशों से संबंध बिगाड़े हैं जो पूरी तरह भारत का साथ दे रहे हैं. सही भी है, चीन के संबंध जापान, साउथ कोरिया, ताइवान और फिलिपिंस से बहुत खराब है. वहीं इस देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं. ऐसे में भारत को कम समझना चीन की बड़ी भूल हो सकती है.

'पाक के साथ युद्ध में खुल गई चीनी हथियारों की पोल'

सोशल मीडिया पर नितेश लिखते हैं कि चीन ने एक जंग लड़ी है. जबकी भारत ने कई बार युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे किए हैं. एक बात ये भी है कि पाकिस्तान चीन से हथियार लेता है और युद्ध के दौरान उसका ही इस्तेमाल करता है. भारत के साथ युद्ध में पाकिस्तान ने इनका इस्तेमाल किया था. जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया था.

'बहिष्कार करो चीनी समान'

पोस्ट पर बिट्टू शर्मा ने लिखते हैं कि भारत को चीनी समानों का बहिष्कार कर देना चाहिए. ऐसे में चीन जल्द ही बर्बादी पर आ जाएगा. डुप्लिकेट समानों को भारत में भेजकर चीन अपनी तिजौरी भर रहा है. ये बात सही भी है कि भारत का मार्केट बहुत बड़ा है. जहां कई देशों की नजर है क्योंकि वहां से उनको काफी पैसा मिलता है. ऐसे में अगर भारत चीनी समान को पूरी तरह बैन कर दे तो उसको काफी असर पड़ेगा.

कुल मिलाकर चीन की आर्मी पावरफुल हो लेकिन संबंध बनाने के मामले में भारत आगे है. कई देश भारत को पूरी तरह से मदद करने को तैयार हैं. यहां तक की चीन के पड़ोसी देश भी. ऐसे में चीन भारत को कम समझने की गलती नहीं कर सकता.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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