• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

क्या रोहित वेमुला की आत्महत्या पर शिक्षा मंत्रालय को क्लीन चिट दे देनी चाहिए?

    • कुमारी स्नेहा
    • Updated: 23 जनवरी, 2016 07:06 PM
  • 23 जनवरी, 2016 07:06 PM
offline
स्मृति ईरानी ने रोहित की आत्महत्या को दुखद बताया और कहा कि वो स्टूडेंट्स के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. क्या वाकई ऐसा है? क्योंकि जब देश में एक रिसर्च स्कॉलर अपने आत्महत्या नोट में भी सात महीने की बची हुई फेलोशिप की राशि मांग रहा हो...तो प्रश्न करना जरूरी हो जाता है.

हमारी मंत्री महोदया स्मृति ईरानी ने रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह मुद्दा दलित बनाम गैर दलित का नहीं है और हमें इसे इस आइने में नहीं देखना चाहिए. फिर उन्होंने हर उस व्यक्ति की जाति भी गिनवाई जो रोहित की मौत से जुड़ा हुआ था.

ऐसा करके स्मृति ने यह साबित कर दिया कि बातों को मोड़ने पर और तोड़ने में उनका कोई सानी नहीं है. मामला Non-Net फेलोशिप खत्म करने का हो या FTII का उन्होंने हर मुद्दे पर अपने आप को सही साबित करने की भरपूर कोशिश की है, और एक हद तक वो कामयाब भी हुई हैं. दरअसल उनकी इस कामयाबी के पीछे की बड़ी वजह एकता कपूर का वह ट्रेनिंग स्कूल हो सकता है जहां हर कदम पर चालबाजी और ड्रामेबाजी सिखाई जाती है. स्मृति ने उन बारिकियों को वहां गौर से सीखा होगा और उसका फायदा उन्हें यहां राजनीति में हो रहा है. बीजेपी मंत्रीमंडल के जो लोग संघ के पॉलिटिकल स्कूल से पास हैं वो भी एकता कपूर के स्कूल से मात खा जाते हैं.

अगर हम थोड़ी देर के लिए जाति की बात छोड़कर स्टूडेंट्स के वर्तमान संकटों पर ही आ जाएं तो भी स्मृति ईरानी के काम पर सवाल उठाए जा सकते हैं. इसी का एक उदाहरण Non-Net फेलोशिप की समाप्ति के बाद स्मृति का ट्वीट है. उन्होंने कहा था कि यह फेलोशिप समाप्त नहीं की जाएगी बल्कि इसमें स्टेट यूनिवर्सिटी को भी जोड़ा जाएगा. ट्विटर पर भले ही यह घोषणा कर दी गई हो लेकिन उन्होंने आज तक इस पर मोहर नहीं लगाई है. Occupy GC के नाम से GC के दफ्तर के बाहर आंदोलन करते हुए स्टूडेंट्स को तीन महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी नहीं हो सका है. Non-Net फेलोशिप के ऊपर जो रिव्यू कमेटी बनी थी, उसकी रिपोर्ट दिसंबर में ही आनी थी लेकिन रिपोर्ट की तो छोड़िए कमेटी की मीटिंग के बारे में भी कुछ पता नहीं है.

मंत्री महोदया ने रोहित की आत्महत्या को दुखद बताया और कहा कि वो स्टूडेंट्स के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. अगर वो वाकई प्रतिबद्ध होती तो एजुकेशन बजट में कटौती नहीं होती, देश के शिक्षा...

हमारी मंत्री महोदया स्मृति ईरानी ने रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह मुद्दा दलित बनाम गैर दलित का नहीं है और हमें इसे इस आइने में नहीं देखना चाहिए. फिर उन्होंने हर उस व्यक्ति की जाति भी गिनवाई जो रोहित की मौत से जुड़ा हुआ था.

ऐसा करके स्मृति ने यह साबित कर दिया कि बातों को मोड़ने पर और तोड़ने में उनका कोई सानी नहीं है. मामला Non-Net फेलोशिप खत्म करने का हो या FTII का उन्होंने हर मुद्दे पर अपने आप को सही साबित करने की भरपूर कोशिश की है, और एक हद तक वो कामयाब भी हुई हैं. दरअसल उनकी इस कामयाबी के पीछे की बड़ी वजह एकता कपूर का वह ट्रेनिंग स्कूल हो सकता है जहां हर कदम पर चालबाजी और ड्रामेबाजी सिखाई जाती है. स्मृति ने उन बारिकियों को वहां गौर से सीखा होगा और उसका फायदा उन्हें यहां राजनीति में हो रहा है. बीजेपी मंत्रीमंडल के जो लोग संघ के पॉलिटिकल स्कूल से पास हैं वो भी एकता कपूर के स्कूल से मात खा जाते हैं.

अगर हम थोड़ी देर के लिए जाति की बात छोड़कर स्टूडेंट्स के वर्तमान संकटों पर ही आ जाएं तो भी स्मृति ईरानी के काम पर सवाल उठाए जा सकते हैं. इसी का एक उदाहरण Non-Net फेलोशिप की समाप्ति के बाद स्मृति का ट्वीट है. उन्होंने कहा था कि यह फेलोशिप समाप्त नहीं की जाएगी बल्कि इसमें स्टेट यूनिवर्सिटी को भी जोड़ा जाएगा. ट्विटर पर भले ही यह घोषणा कर दी गई हो लेकिन उन्होंने आज तक इस पर मोहर नहीं लगाई है. Occupy GC के नाम से GC के दफ्तर के बाहर आंदोलन करते हुए स्टूडेंट्स को तीन महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी नहीं हो सका है. Non-Net फेलोशिप के ऊपर जो रिव्यू कमेटी बनी थी, उसकी रिपोर्ट दिसंबर में ही आनी थी लेकिन रिपोर्ट की तो छोड़िए कमेटी की मीटिंग के बारे में भी कुछ पता नहीं है.

मंत्री महोदया ने रोहित की आत्महत्या को दुखद बताया और कहा कि वो स्टूडेंट्स के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. अगर वो वाकई प्रतिबद्ध होती तो एजुकेशन बजट में कटौती नहीं होती, देश के शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की बहाली से लेकर कुलपतियों की बहाली में इतना हो हल्ला नहीं मचता. उस देश में रिसर्च का भविष्य क्या होगा, जहां का रिसर्च स्कॉलर अपने आत्महत्या नोट में भी सात महीने की बची हुई फेलोशिप की राशि मांग रहा हो.

रोहित के अंतिम पत्र के अंश

'आप जो मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर कुछ कर सकते हैं तो मुझे अपनी सात महीने की फेलोशिप मिलनी बाकी है. एक लाख 75 हजार रुपए. कृपया ये सुनिश्चित कर दें कि ये पैसा मेरे परिवार को मिल जाएं. मुझे रामजी को चालीस हजार रुपए देने थे. उन्होंने कभी पैसे वापस नहीं मांगे. लेकिन प्लीज फेलोशिप के पैसे से रामजी को पैसे दे दें.'

मंत्री महोदया को अब यह समझना चाहिए कि जीवन कोई सीरियल नहीं है, यहां जब आप चाहें मरे हुए को जिंदा नहीं कर सकती हैं और हर मिनट पर कहानी में ट्विस्ट लाने के लिए कुछ घटा-बढ़ा भी नहीं सकती हैं. रोहित की मौत की वजह को आप कितना भी पर्सनल साबित करने की कोशिश क्यों न करें लेकिन वह आर्थिक और सामाजिक हालत से जरूर जुड़ेगा. उन्होंने यह कहते हुए भी अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि रोहित के आत्महत्या नोट में किसी भी व्यक्ति पर आरोप नहीं लगया गया है. एक हद तक मंत्री की बात सही भी साबित हो सकती है कि रोहित ने आत्महत्या के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, लेकिन क्या सिर्फ इसी वजह से हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा मंत्रालय को हमें क्लीन चिट दे देनी चाहिए? यह एक बड़ा सवाल है. और इसका उत्तर फिलहाल तो 'नहीं' में ही दिया जा सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲