• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

मायावती-अखिलेश की चुनावी भाग दौड़ का फायदा उठाने में जुटे शिवपाल यादव

    • आईचौक
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2018 06:32 PM
  • 15 अक्टूबर, 2018 06:05 PM
offline
समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के बहाने शिवपाल यादव ने यूपी में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. दरअसल, मायावती और अखिलेश यादव दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं - और वो मौके का पूरा फायदा उठाने में लगे हैं.

मायावती और अखिलेश यादव की विधानसभा चुनावों के चलते व्यस्तता बढ़ी हुई है. अखिलेश तो ज्यादातर मध्य प्रदेश में सक्रिय हैं, लेकिन मायावती मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर भी खासी मेहनत कर रही हैं. मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन से फिलहाल मना कर दिया है लेकिन अखिलेश यादव को लेकर कुछ नहीं कह रही हैं.

शिवपाल यादव इन दिनों लखनऊ में खासे एक्टिव देखे जा रहे हैं. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाते ही उनको दफ्तर के लिए बंगला भी मिल गया है. सुनने में ये भी आ रहा है कि शिवपाल यादव को सुरक्षा देने पर भी विचार विमर्श चल रहा है - जो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बराबर का भी हो सकता है.

क्या शिवपाल यादव की अति सक्रियता की वजह यूपी के संभावित गठबंधन के इन दोनों नेताओं की राज्य से बाहर की व्यस्तता ही है?

अपर्णा भी शिवपाल के साथ आईं

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यूपी में बीजेपी की सहयोगी है. पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर बीजेपी की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. फिर भी हर वक्त विरोध का झंडा बुलंद किये रहते हैं. ताजा नाराजगी उनकी शिवपाल यादव को नया बंगला दिये जाने को लेकर है. शिवपाल यादव को योगी सरकार ने मायावती के पड़ोस में उनका पुराना बंगला दे दिया है.

मुलायम के बाद शिवपाल के साथ अपर्णा

ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि साल भर से ज्यादा हो गये लेकिन उन्हें दफ्तर के लिए जगह नहीं दी गयी और शिवपाल यादव को बंगला दे दिया गया. माना जा रहा है कि शिवपाल यादव नये मिले बंगले में अपनी नयी पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का दफ्तर खोलेंगे. ओम प्रकाश राजभर का आरोप है कि समाजवादी पार्टी को कमजोर करने के लिए बीजेपी शिवपाल से नजदीकी बढ़ा रही है.

समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को लेकर शिवपाल यादव का दावा है कि उन्हें...

मायावती और अखिलेश यादव की विधानसभा चुनावों के चलते व्यस्तता बढ़ी हुई है. अखिलेश तो ज्यादातर मध्य प्रदेश में सक्रिय हैं, लेकिन मायावती मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर भी खासी मेहनत कर रही हैं. मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन से फिलहाल मना कर दिया है लेकिन अखिलेश यादव को लेकर कुछ नहीं कह रही हैं.

शिवपाल यादव इन दिनों लखनऊ में खासे एक्टिव देखे जा रहे हैं. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाते ही उनको दफ्तर के लिए बंगला भी मिल गया है. सुनने में ये भी आ रहा है कि शिवपाल यादव को सुरक्षा देने पर भी विचार विमर्श चल रहा है - जो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बराबर का भी हो सकता है.

क्या शिवपाल यादव की अति सक्रियता की वजह यूपी के संभावित गठबंधन के इन दोनों नेताओं की राज्य से बाहर की व्यस्तता ही है?

अपर्णा भी शिवपाल के साथ आईं

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यूपी में बीजेपी की सहयोगी है. पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर बीजेपी की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. फिर भी हर वक्त विरोध का झंडा बुलंद किये रहते हैं. ताजा नाराजगी उनकी शिवपाल यादव को नया बंगला दिये जाने को लेकर है. शिवपाल यादव को योगी सरकार ने मायावती के पड़ोस में उनका पुराना बंगला दे दिया है.

मुलायम के बाद शिवपाल के साथ अपर्णा

ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि साल भर से ज्यादा हो गये लेकिन उन्हें दफ्तर के लिए जगह नहीं दी गयी और शिवपाल यादव को बंगला दे दिया गया. माना जा रहा है कि शिवपाल यादव नये मिले बंगले में अपनी नयी पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का दफ्तर खोलेंगे. ओम प्रकाश राजभर का आरोप है कि समाजवादी पार्टी को कमजोर करने के लिए बीजेपी शिवपाल से नजदीकी बढ़ा रही है.

समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को लेकर शिवपाल यादव का दावा है कि उन्हें मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद हासिल है. वैसे शिवपाल भाई मुलायम को अपनी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने का भी ऑफर दे चुके हैं.

मुलायम सिंह यादव तो शुरू से ही राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. वो भाई के साथ भी दिखते हैं और बेटे को पहुंच कर आशीर्वाद भी दे आते हैं. सितंबर में समाजवादी पार्टी की साइकिल रैली के समापन पर मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश यादव के साथ दिखायी दिये - तो लोहिया पर कार्यक्रम के दौरान भाई शिवपाल के साथ. मुलायम सिंह का इधर भी, उधर भी होना लखनऊ में सियासी चकल्लस बन जाता है.

शिवपाल की सक्रियता का एक और नमूना उस वक्त दिखा जब एक कार्यक्रम में अपर्णा यादव उनके साथ पहुंचीं. अपर्णा यादव मुलायम सिंह की छोटी बहू हैं जो पिछली बार लखनऊ से चुनाव हार गयी थीं. अपर्णा के लिए मुलायम ने तो वोट मांगे ही थे, एक दिन अखिलेश यादव भी डिंपल के साथ प्रचार करने पहुंचे थे.

अपर्णा यादव का 'मोदी-मोदी' तो जगजाहिर है ही, पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात और फिर उनके गौशाला दौरे की खासी चर्चा रही. अब शिवपाल और अपर्णा का साथ होकर राजनीतिक लामबंदी करना संकेत तो यही दे रहा है ये सब अखिलेश यादव के खिलाफ जा रहा है. इसका साफ मतलब तो यही हुआ कि मायावती के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन पर भी सीधा असर होगा.

मौके का पूरा फायदा उठा रहे शिवपाल यादव

समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के दौर में मुलायम सिंह कहा करते थे कि शिवपाल के कारण पार्टी टूट जाएगी. तकनीकी तौर पर अखिलेश यादव ने समाजावादी पार्टी पर कब्जा तो कर लिया है, लेकिन गुटबाजी कैसे खत्म हो. बड़ी मुश्किल यही है. बहुत ज्यादा न सही लेकिन समाजवादी पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जिन पर शिवपाल यादव का पूरा प्रभाव है. 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान ये दिखा भी, खासकर टिकट बंटवारे के वक्त.

लखनऊ के जिस कार्यक्रम में शिवपाल के साथ अपर्णा दिखीं वो राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के स्थापना दिवस का कार्यक्रम था. वहां शिवपाल यादव मुख्य अतिथि तो अपर्णा यादव विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहुंची थीं. कार्यक्रम के दौरान कई छोटे दलों की एक बैठक भी बुलाये जाने की खबर है. खुद अपर्णा ने ही बताया कि 24 राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी गयी थी. अपर्णा ने कहा कि अगर सभी एक साथ हो जायें तो एक शक्ति बन जाएगी.

अपर्णा से भविष्य की चुनावी संभावनाओं के बारे में पूछा गया तो उनका कहना रहा कि सब चाचा ही तय करेंगे. अपर्णा ने जोर देकर कहा कि वो पूरी तरह से चाचा के साथ हैं. चाचा के साथ होने का मतलब साफ है - अखिलेश यादव के खिलाफ.

ये तो सबको मालूम है कि समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव के कब्जे के बाद शिवपाल यादव अपनी जमीन तलाश रहे हैं. खड़े होने के लिए ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा भी बना लिया है - और बीजेपी कदम कदम पर मददगार नजर आ रही है. जहां तक बीजेपी का सवाल है शिवपाल यादव से ज्यादा उसकी दिलचस्पी अखिलेश और मायावती के साथ को कमजोर करने में है. वे दोनों यूपी से ज्यादा फिलहाल दूसरे राज्यों पर ध्यान दे रहे हैं और शिवपाल यादव इसी का फायदा उठाने में लगे हैं जिसमें अब उन्हें अपर्णा यादव का भी साथ मिल गया है.

इन्हें भी पढ़ें :

शिवपाल के बंगले के पीछे अक्स अमर सिंह का ही है!

भाई और बेटे में से किसे चुनेंगे मुलायम सिंह यादव?

महागठबंधन से पहले मायावती का 'महा' मोल-भाव


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲