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शिवसेना और BJP के आपसी 'तांडव' में फंसी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 22 जनवरी, 2021 04:53 PM
  • 22 जनवरी, 2021 04:53 PM
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शिवसेना और बीजेपी (Shiv Sena VS BJP) के विवाद में पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) को लेकर अर्णब गोस्वामी के व्हाट्सऐप चैट ने आग में घी जैसा काम किया है - शिवसेना ने इसे तांडव विवाद (Tandav Controversy) से जोड़ते हुए बीजेपी पर तगड़ा हमला बोला है.

शिवसेना और बीजेपी (Shiv Sena VS BJP) का सियासी झगड़ा अब धीरे धीरे 'तांडव' (Tandav Controversy) का रूप लेने लगा है. तांडव विवाद को लेकर शिवसेना और बीजेपी आमने सामने आ चुके हैं. तांडव विवाद के साये में बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने के लिए शिवसेना ने पार्टी की हिंदुत्व की राजनीति के साथ साथ उसके राष्ट्रवाद के एजेंडे पर भी सवाल खड़ा किया है.

पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) को लेकर टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी का व्हाट्सऐप चैट सामने आने के बाद शिवसेना ने भी वही सवाल उठाया है जो कांग्रेस का है, लेकिन शिवसेना ने बड़ी चालाकी से उसे हिंदुत्व की राजनीति के साथ साथ देशभक्ति के मुद्दे पर बहस के साथ मिलाकर आगे बढ़ाने की कोशिश की है - लगे हाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम जोड़ दिया है.

हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने महात्मा गांधी के बहाने हिंदुत्व और देशभक्ति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नसीहत देने की कोशिश की थी. मोहन भागवत के भाषण को राहुल गांधी के उस बयान से जोड़ कर देखा गया जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था कि अगर संघ प्रमुख भी विरोध में बोलें तो प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथी किसानों की तरह उनको भी आतंकवादी करार देंगे.

ताज्जुब की बात ये है कि शिवसेना को तांडव वेब सीरीज पर बीजेपी जैसी आपत्ति क्यों नहीं है - क्या शिवसेना और बीजेपी का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर दृष्टिकोण अलग अलग हो चुका है?

पुलवामा अटैक पर 'तांडव'

शिवसेना ने पुलवामा आतंकी हमले के बहाने टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी का नाम लेकर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है - यहां तक कि 2019 के आम चुनाव से जोड़ते हुए आतंकी हमले को राजनीतिक साजिश का हिस्सा होने का भी शक जताया है?

सवालिया लहजे में अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है - "जैसे कि आरोप लग रहे हैं... तब तो हमारे सैनिकों की हत्या देश के भीतर एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी - और हमारे 40 जवानों का खून सिर्फ लोक सभा चुनाव जीतने के लिए बहाया गया?"

पुलवामा हमले की नये...

शिवसेना और बीजेपी (Shiv Sena VS BJP) का सियासी झगड़ा अब धीरे धीरे 'तांडव' (Tandav Controversy) का रूप लेने लगा है. तांडव विवाद को लेकर शिवसेना और बीजेपी आमने सामने आ चुके हैं. तांडव विवाद के साये में बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने के लिए शिवसेना ने पार्टी की हिंदुत्व की राजनीति के साथ साथ उसके राष्ट्रवाद के एजेंडे पर भी सवाल खड़ा किया है.

पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) को लेकर टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी का व्हाट्सऐप चैट सामने आने के बाद शिवसेना ने भी वही सवाल उठाया है जो कांग्रेस का है, लेकिन शिवसेना ने बड़ी चालाकी से उसे हिंदुत्व की राजनीति के साथ साथ देशभक्ति के मुद्दे पर बहस के साथ मिलाकर आगे बढ़ाने की कोशिश की है - लगे हाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम जोड़ दिया है.

हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने महात्मा गांधी के बहाने हिंदुत्व और देशभक्ति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नसीहत देने की कोशिश की थी. मोहन भागवत के भाषण को राहुल गांधी के उस बयान से जोड़ कर देखा गया जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था कि अगर संघ प्रमुख भी विरोध में बोलें तो प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथी किसानों की तरह उनको भी आतंकवादी करार देंगे.

ताज्जुब की बात ये है कि शिवसेना को तांडव वेब सीरीज पर बीजेपी जैसी आपत्ति क्यों नहीं है - क्या शिवसेना और बीजेपी का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर दृष्टिकोण अलग अलग हो चुका है?

पुलवामा अटैक पर 'तांडव'

शिवसेना ने पुलवामा आतंकी हमले के बहाने टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी का नाम लेकर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है - यहां तक कि 2019 के आम चुनाव से जोड़ते हुए आतंकी हमले को राजनीतिक साजिश का हिस्सा होने का भी शक जताया है?

सवालिया लहजे में अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है - "जैसे कि आरोप लग रहे हैं... तब तो हमारे सैनिकों की हत्या देश के भीतर एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी - और हमारे 40 जवानों का खून सिर्फ लोक सभा चुनाव जीतने के लिए बहाया गया?"

पुलवामा हमले की नये सिरे से चर्चा होने की वजह टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी और टीवी रेटिंग एजेंसी के प्रमुख के बीच हुए व्हाट्सऐप चैट का लीक होना है. ये चैट, दरअसल, मुंबई पुलिस की चार्जशीट का हिस्सा है जो मनमाफिक TRP हासिल करने की कोशिश को लेकर हुई गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट पर आधारित है.

अर्णब गोस्वामी के व्हाट्सऐप चैट से ही मालूम हुआ है कि टीवी एंकर को बालाकोट एयर स्ट्राइक की पहले ही जानकारी मिल गयी थी.

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसे मिलिट्री ऑपरेशन की संवेदनशील जानकारी का लीक होना बताया है और जो कोई भी इसके लिए जिम्मेदार है उसके खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है.

कांग्रेस नेता एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद और गुलामनबी आजाद ने पूरे मामले की जांच कराने और ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की है. साथ ही कांग्रेस नेताओं ने ये मुद्दा संसद सत्र में उठाने का भी संकेत दिया है.

शिवसेना और कांग्रेस चाहते हैं कि पुलवामा हमले के बाद हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक से जुड़ी जानकारी लीक होने के मामले में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत कार्रवाई हो.

पुलवामा हमले के खिलाफ देश भर में गुस्से को देखते हुए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट में एयरस्ट्राइक किया था - और माना गया कि बीजेपी को आम चुनाव में इसका फायदा भी मिला. बीजेपी को भी इसके फायदे का अंदाजा लग गया था, तभी तो संघ और वीएचपी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा चुनावों तक होल्ड करने की घोषणा कर रखी थी.

आने वाले 14 फरवरी, 2021 को पुलवामा आंतकवादी हमले के दो साल पूरे हो जाएंगे. हमले की पहली बरसी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर आतंकी हमले को लेकर ये सवाल पूछा था कि आखिर उससे फायदा किसको हुआ?

शिवसेना का कहना है - 'अर्णब गोस्वामी को गोपनीय जानकारी देकर राष्ट्रीय सुरक्षा की धज्जियां उड़ाने वाले असल में कौन थे - जरा पता तो चलने दो!' सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है, '40 जवानों की हत्या पर अर्णब गोस्वामी का खुशी जताना - ये देश, देव और धर्म का ही अपमान है.'

शिवसेना पूछ रही है, जो बीजेपी तांडव वेब सीरीज के विरोध में खड़ी है, वही भारत माता का अपमान करने वाले अर्णब गोस्वामी के मामले में मुंह में उंगली दबा कर क्यों बैठी है? शिवसेना का कहना है, भारतीय सैनिकों और उनकी शहादत का जितना अपमान अर्णब गोस्वामी ने किया है, उतना पाकिस्तानियों ने भी नहीं किया होगा.'

शिवसेना का सवाल है, 'राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अनेक गोपनीय बातें अर्णब गोस्वामी ने सार्वजनिक कर दीं - बीजेपी इस पर 'तांडव' क्यों नहीं करती?'

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर तकरार

कम से कम 'तांडव' के मुद्दे पर तो शिवसेना और बीजेपी एक साथ देखे जा सकते थे, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हो रहा है. साथ देखे जाने की कौन कहे, दोनों ही एक दूसरे से आमने सामने आ भिड़े हैं.

'बीती ताहि बिसार...' दें तब भी, धारा 370 और सीएए के मुद्दे पर तो ऐसे आपस में दोनों पार्टियों को तांडव करने नहीं ही देखा गया. दोनों के बीच तकरार बढ़ जाने के बाद भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आये फैसले को लेकर भी ऐसे विपरीत विचार नहीं देखने को मिले थे. बल्कि, शिवसेना ने तो अयोध्या मामले का क्रेडिट भी लेने की कोशिश में कोई कमी नहीं की.

हिंदुत्व और देशभक्ति का मुद्दा ऐसा रहा है जिस पर शिवसेना और बीजेपी आपसी तकरार भुला कर भी हमेशा साथ नजर आये हैं, लेकिन अब तो झगड़ा इस कदर बढ़ा हुआ लगता है कि शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं बख्शा है.

शिवसेना ने सामना के जरिये कटाक्ष किया है, 'श्रीमान मोदी भगवान विष्णु के 13वें अवतार हैं, ऐसा भाजपा के प्रवक्ता द्वारा कहा जाना - ये ‘तांडव’ की तरह ही हिंदुत्व का भी अपमान है!'

शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विष्णु का अवतार होने के बीजेपी प्रवक्ता के दावे को भी हिंदुत्व का अपमान माना है!

लॉकडाउन के बाद मंदिरों को खोलने के मुद्दे पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर पूछा था कि आप तो हिंदुत्व के पक्षधर हुआ करते थे, सेक्युलर कैसे हो गये? शिवसेना ने राज्यपाल के ऐसे व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जतायी थी. वैसे भी किसी राज्यपाल की तरफ से एक मुख्यमंत्री से उसके सेक्युलर होने पर सवाल खड़े करना अच्छी बात तो नहीं ही मानी जाएगी..

शिवसेना के ताजा रुख से तो ऐसा लगता है जैसे उद्धव ठाकरे पार्टी को उग्र मिजाज से उदारवाद का कलेवर देने के बाद कट्टर हिंदुत्व की राजनीति से धर्मनिरपेक्षता की तरफ ले जा रहे हैं - क्योंकि सामना के संपादकीय में इसी मुद्दे पर सभी धर्मों की बात की जा रही है और तांडव को लेकर कहा गया है कि अगर उसमें हिंदू देवी देवताओं के अपमान की बात होगी तो कार्रवाई तो होगी ही. ये शिवसेना ही है जो नियमों की बात बाद में सुनती और करती रही, पहले शिवसैनिक एक्शन में आ जाते थे. शिवसेना का पुराना मिजाज अभी राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में देखा जा सकता है. अमेजन के साथ ताजातरीन विवाद मिसाल भी है.

ऐसा लगता है शिवसेना ने दूसरी दिशा में लंबा फासला तय कर लिया है - वैसे भी पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी के विरोध में उतरना भी तो है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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