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पवार का पावर देवेंद्र फणडवीस को चैलेंज और राहुल गांधी के लिए सबक है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2019 06:54 PM
  • 24 अक्टूबर, 2019 06:54 PM
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शरद पवार ने दिखा दिया है कि महाराष्ट्र में पवार-पावर कमजोर भले हो, लेकिन खत्म नहीं हुआ है. शिवाजी के वंशज समेत तमाम दिग्गज नेताओं के छोड़ कर चले जाने के बावजूद सतारा सीट पर एनसीपी का कब्जा बरकरार रहना बहुत बड़ी बात है.

महाराष्ट्र चुनाव में देवेंद्र फडणवीस दो मामलों में चूक गये. एक शिवसेना का आकलन करने में और दूसरा शरद पवार के 'पावर' की सही सही पैमाइश करने में. चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना तो आंख दिखा ही रही है, शरद पवार ने तो फडणवीस के कई सियासी समीकरण गड़बड़ा दिया है.

देवेंद्र फडणवीस के अनुसार, NCP की 20 साल की साइकल पूरी हो चुकी थी और विधानसभा चुनाव के साथ ही शरद पवार की राजनीतिक खत्म हो जाने वाली थी. महाराष्ट्र में कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीति को लेकर भी देवेंद्र फडणवीस ने तकरीबन वैसी ही राय जाहिर की थी.

शरद पवार ने एक अनोखी रैली में बारिश में भीगते हुए जो कमाल दिखाया उसी का नतीजा है कि सतारा में कमल फूलने से रह गया. तीन महीने के भीतर हाथ से फिसली सतारा सीट शरद पवार ने फिर से एनसीपी की झोली में डाल दी है.

विधानसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन भी करीब करीब शिवसेना के बराबर ही है. शिवसेना ने सीटें जरूर ज्यादा जीती है - लेकिन महाराष्ट्र के लोगों ने एनसीपी को उससे करीब एक लाख ज्यादा वोट दिया है.

'मराठा' में है दम!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच जब NCP नेता शरद पवार को ED का नोटिस मिला तो फौरन वो इसे राजनीतिक रंग देने में जुट गये. प्रवर्तन निदेशालय ने ₹ 25 हजार करोड़ के महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार सहित कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है. शरद पवार के अंगड़ाई लेते ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आये.

बढ़ती उम्र में शरद पवार के लिए चुनाव तो चैलेंज बना ही हुआ था, ईडी के FIR के साथ ही चुनौतियां चौतरफा घेर चुकी थीं. करीब दो दशक की राजनीति में एनसीपी ने महाराष्ट्र की राजनीति में जगह तो अच्छी खासी बना ली थी, लेकिन पवार परिवार तक ही सिमट कर रह गयी. पवार की राजनीतिक विरासत को लेकर नाराज चल रहे अजीत पवार ने विद्रोह कर दिया और चाचा-भतीजे में बातचीत तक बंद हो गयी. ऐसी हालत में शरद पवार के लिए ये चुनाव कितना मुश्किल रहा होगा सिर्फ अंदाजा लगाया...

महाराष्ट्र चुनाव में देवेंद्र फडणवीस दो मामलों में चूक गये. एक शिवसेना का आकलन करने में और दूसरा शरद पवार के 'पावर' की सही सही पैमाइश करने में. चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना तो आंख दिखा ही रही है, शरद पवार ने तो फडणवीस के कई सियासी समीकरण गड़बड़ा दिया है.

देवेंद्र फडणवीस के अनुसार, NCP की 20 साल की साइकल पूरी हो चुकी थी और विधानसभा चुनाव के साथ ही शरद पवार की राजनीतिक खत्म हो जाने वाली थी. महाराष्ट्र में कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीति को लेकर भी देवेंद्र फडणवीस ने तकरीबन वैसी ही राय जाहिर की थी.

शरद पवार ने एक अनोखी रैली में बारिश में भीगते हुए जो कमाल दिखाया उसी का नतीजा है कि सतारा में कमल फूलने से रह गया. तीन महीने के भीतर हाथ से फिसली सतारा सीट शरद पवार ने फिर से एनसीपी की झोली में डाल दी है.

विधानसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन भी करीब करीब शिवसेना के बराबर ही है. शिवसेना ने सीटें जरूर ज्यादा जीती है - लेकिन महाराष्ट्र के लोगों ने एनसीपी को उससे करीब एक लाख ज्यादा वोट दिया है.

'मराठा' में है दम!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच जब NCP नेता शरद पवार को ED का नोटिस मिला तो फौरन वो इसे राजनीतिक रंग देने में जुट गये. प्रवर्तन निदेशालय ने ₹ 25 हजार करोड़ के महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार सहित कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है. शरद पवार के अंगड़ाई लेते ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आये.

बढ़ती उम्र में शरद पवार के लिए चुनाव तो चैलेंज बना ही हुआ था, ईडी के FIR के साथ ही चुनौतियां चौतरफा घेर चुकी थीं. करीब दो दशक की राजनीति में एनसीपी ने महाराष्ट्र की राजनीति में जगह तो अच्छी खासी बना ली थी, लेकिन पवार परिवार तक ही सिमट कर रह गयी. पवार की राजनीतिक विरासत को लेकर नाराज चल रहे अजीत पवार ने विद्रोह कर दिया और चाचा-भतीजे में बातचीत तक बंद हो गयी. ऐसी हालत में शरद पवार के लिए ये चुनाव कितना मुश्किल रहा होगा सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है.

परिवार के झगड़े में तो पवार राजनीतिक फायदे का ऐंगल खोज ही लेते थे, ईडी के केस में भी मराठा राजनीति का पेंच फंसा दिया. मीडिया को बुलाकर शरद पवार ने मराठा कार्ड खेलते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर का इतिहास का हवाला देकर लोगों को मैसेज देने की कोशिश की.

शरद पवार ने कहा, 'ये शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है, इसने दिल्ली के तख्त के सामने झुकना नहीं सीखा है.'

ये कहते हुए शरद पवार ने खुद ही प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर जाने की घोषणा कर दी - नतीजा ये हुआ कि अफसरों के होश उड़ गये और जैसे तैसे दफ्तर आने के लिए मनाने लगे. शरद पवार मान भी गये - क्योंकि राजनीतिक चाल तो पवार ने चल ही दी थी.

पवार पावर कमजोर हुआ है, खत्म नहीं!

चुनाव नतीजों के रुझानों मालूम हुआ कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने बढ़त तो बना ली है, लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने अच्छी मौजूदगी दर्ज करायी है. शरद पवार ने एक बार फिर प्रेस कांफ्रेंस बुलायी और जनादेश को विनम्रता के साथ स्वीकार करने की बात कही.

शरद पवान ने माना भी - 'इससे भी आगे जाने की हमारी कोशिश थी, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी यहां तक पहुंचने की हमें खुशी है.'

शरद पवार ने ये भी कहा कि इस बार चुनाव में मर्यादा को तोड़ा गया और माना कि एनसीपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मिलकर काम किया है.

सतारा सीट बीजेपी के हाथ नहीं लगने दिया

महाराष्ट्र में ही सतारा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी चौंकाने वाले नतीजे आने वाले हैं. ये सीट एनसीपी सांसद उदयन राजे भोसले के इस्तीफा देकर बीजेपी में चले जाने से खाली हुई थी और विधानसभा के साथ ही यहां भी उपचुनाव हुए.

सतारा से शिवाजी महाराज के वंशज उदयन राजे भोसले 2019 का लोक सभा चुनाव एनसीपी के टिकट पर जीते थे, लेकिन तीन महीने बाद ही बीजेपी में शामिल हो गये, लिहाजा संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिये.

बीजेपी से जुड़ने के बाद उदयन उदयन राजे की दलील रही कि चूंकि छत्रपति महाराज के जो विचार थे उसे भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह आगे बढ़ा रहे हैं, इसलिए वो खुशी खुशी ये फैसला किये. उपचुनाव में बीजेपी ने सतारा उपचुनाव में उदयन राजे को उम्मीदवार बना दिया.

कई नेताओं की तरह उदयन राजे भोसले का एनसीपी छोड़ना पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका रहा, फिर सतारा से श्रीनिवास पाटिल को टिकट देकर मैदान में उतारा गया. पाटिल की किस्मत देखिये की शरद पवार की एक ही रैली ने नतीजों का रूख ही बदल दिया.

शरद पवार एनसीपी के लिए जोरदार चुनाव प्रचार कर रहे थे. जब 19 अक्टूबर को सतारा पहुंचे तो खूब तेज बारिश होने लगी. 79 साल की उम्र में भी पवार ने हिम्मत नहीं हारी और मूसलाधार बारिश में मंच पर चढ़ कर रैली को संबोधित करने लगे.

बादलों की गरज और बारिश की तेज धार बूंदों के बीच शरद पवार ने अपने भाषण में कोई कोताही नहीं बरती, 'ये एनसीपी के लिए वरुण राजा का आशीर्वाद है. इससे राज्य में चमत्कार होगा - और ये चमत्कार 21 अक्टूबर से शुरू होगा. मुझे इसका विश्वास है.'

शरद पवार के बारिश में भींगकर प्रचार करने की तस्वीर और वीडियो वायरल हो गया - और ऐसा लगता है सिर्फ एक वाकये से बीजेपी के हाथ से जीत फिसल कर एनसीपी के खाते में चली गयी.

पवार का राजनीतिक संघर्ष राहुल गांधी के लिए सीख

ताजा विधानसभा चुनाव से पहले आम चुनाव भी शरद पवार की पार्टी कांग्रेस के साथ ही मिल कर लड़ी थी और नतीजों के मामले में भी दोनों का हाल तकरीबन एक जैसा ही रहा. जहां तक जांच एजेंसियों के कहर का सवाल है तो उस मामले में भी कांग्रेस और एनसीपी दोनों के साथ बराबर का व्यवहार हुआ है.

विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह CBI, ED और आयकर अफसर कांग्रेस नेताओं के पीछे पड़े रहे, एनसीपी नेताओं का हाल कोई अलग नहीं रहा. प्रफुल्ल पटेल से चुनावों के बीच ही घंटों पूछताछ हुई है - लेकिन प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार प्रफुल्ल पटेल को साथ लेकर बैठे थे. अगर अजीत पवार आने को तैयार हुए होते तो बगल में एक कुर्सी उनके लिए भी निश्चित तौर पर रखी गयी होती.

लेकिन शरद पवार ने जहां मैदान में उतर कर डट कर मुकाबला किया वहीं राहुल गांधी या सोनिया गांधी ने ऐसी कोई दिलेरी नहीं दिखायी. जब अग्रिम जमानत नहीं मिल पायी तो पहले पी. चिदंबरम भूमिगत हो गये और बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात कह घर चले गये. जब सीबीआई अधिकारी गिरफ्तार करने पहुंचे तो कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता ऐसे प्रदर्शन कर रहे थे जैसे किराये के कार्यकर्ता चुनावी रैलियों में नारेबाजी किया करते हैं. बल्कि, डीके शिवकुमार के समर्थकों ने सड़क पर ज्यादा शोर मचाया.

राहुल गांधी को मंदिरों, मठों यहां तक कि फटे कुर्ते के साथ भी लोगों के बीच देखा गया, लेकिन मूसलाधार बारिश में जिस तरह शरद पवार लोगों के बीच खुले आसमान के नीचे डटे रहे उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा - और राहुल गांधी को भी ये बात जरूर याद रखनी चाहिये.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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