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Shaheen bagh Protest: कोई भूला अगर शाम को घर लौटे तो उसे अपना कहते हैं, भूला नहीं!

    • अनु रॉय
    • Updated: 19 अगस्त, 2020 03:55 PM
  • 19 अगस्त, 2020 03:55 PM
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शाहीन बाग (Shaheen bagh protest) धरने के प्रमुख आयोजनकर्ताओं में शुमार शहज़ाद अली (Shahzad Ali) का भाजपा (BJP) ज्वाइन करना ये बता देता है कि इस देश के मुसलमानों (Indian Muslims) को कोई खतरा नहीं है. नागरिकता (Citizenship) के नाम पर उन्हें सिर्फ बरगलाया गया था. परेशान उन लोगों को होना चाहिए जो देश में अवैध तरीके से रह रहे हैं.

ग़लतफ़हमी और चंद मतलब-परस्त लोगों के बहकावे में आ कर शाहीन बाग़ (Shaheen bagh protest) में जो CAA और NRC के विरोध में धरने पर बैठे थे, उनमें से जो समझदार हैं उन्हें एहसास हो गया है कि फ़िज़ूल में वो विरोध था. CAA और NRC से इस देश के मुसलमान (Muslim) दोस्तों का कोई नुक़सान नहीं है. इससे डर उनको होना चाहिए जो यहां के नागरिक नहीं है. जो ग़ैरक़ानूनी रूप से हमारे देश में घुस आएं हैं. जिन्होंने छिप कर वोटर आइ-डी बनवा ली है और अब अलग-अलग राज्यों में फैल गए हैं. जो लोकल लोगों के रोज़गार का मौक़ा कम कर रहें हैं, उनके लिए डरने की बात है. न की इस देश के मुसलमान भाईयों और बहनों के लिए. ये बात सौ बार अमित शाह ने कही लेकिन तब इन्होंने देश को तोड़ने वाले लोगों की बातें सुनीं.

लेकिन देर से ही सही, सौ जान जाने के बाद ही चलिए इन्हें एहसास तो हुआ कि शाहीन बाग़ में जो हो रहा था वो बेस-लेस था. उसका इस देश के नागरिक से कोई लेना-देना नहीं था. वो, वो मासूम औरतें थीं जिन्हें कठपुतलियां बना कर वहां बिठाया गया था. उनके दिमाग़ में ये बातें बिठायी गयी कि भाजपा और अमित शाह दुश्मनी निकाल रहें हैं और CAB, NRC सब इनलोगों के ख़िलाफ़ काम करेगी. उनका क्या क़सूर है.

भाजपा ज्वाइन करते शाहीन बाग़ धरने के प्रमुख आयोजनकर्ता शहजाद अली

वो बेचारी वो औरतें थीं जिन्हें घर ये क्या पर्दे से भी बाहर निकलने की इजाज़त नहीं थी. खुली हवा में सांस लेना क्या होता है, कैसा लगता है वो तो इस बात से भी अनजान थी. उनके लिए वो प्रोटेस्ट उनकी आज़ादी थी. जिसे वो पहली बार सर्दियों की उन कंपकंपाती रातों में महसूस कर रही थीं. उन्हें उनके ज़िंदा वजूद का एहसास शाहीन बाग़ के उस टेंट में ही हुआ पहली बार. उन सभी औरतों के लिए मेरे मन में अब भी सम्मान है. वो सच...

ग़लतफ़हमी और चंद मतलब-परस्त लोगों के बहकावे में आ कर शाहीन बाग़ (Shaheen bagh protest) में जो CAA और NRC के विरोध में धरने पर बैठे थे, उनमें से जो समझदार हैं उन्हें एहसास हो गया है कि फ़िज़ूल में वो विरोध था. CAA और NRC से इस देश के मुसलमान (Muslim) दोस्तों का कोई नुक़सान नहीं है. इससे डर उनको होना चाहिए जो यहां के नागरिक नहीं है. जो ग़ैरक़ानूनी रूप से हमारे देश में घुस आएं हैं. जिन्होंने छिप कर वोटर आइ-डी बनवा ली है और अब अलग-अलग राज्यों में फैल गए हैं. जो लोकल लोगों के रोज़गार का मौक़ा कम कर रहें हैं, उनके लिए डरने की बात है. न की इस देश के मुसलमान भाईयों और बहनों के लिए. ये बात सौ बार अमित शाह ने कही लेकिन तब इन्होंने देश को तोड़ने वाले लोगों की बातें सुनीं.

लेकिन देर से ही सही, सौ जान जाने के बाद ही चलिए इन्हें एहसास तो हुआ कि शाहीन बाग़ में जो हो रहा था वो बेस-लेस था. उसका इस देश के नागरिक से कोई लेना-देना नहीं था. वो, वो मासूम औरतें थीं जिन्हें कठपुतलियां बना कर वहां बिठाया गया था. उनके दिमाग़ में ये बातें बिठायी गयी कि भाजपा और अमित शाह दुश्मनी निकाल रहें हैं और CAB, NRC सब इनलोगों के ख़िलाफ़ काम करेगी. उनका क्या क़सूर है.

भाजपा ज्वाइन करते शाहीन बाग़ धरने के प्रमुख आयोजनकर्ता शहजाद अली

वो बेचारी वो औरतें थीं जिन्हें घर ये क्या पर्दे से भी बाहर निकलने की इजाज़त नहीं थी. खुली हवा में सांस लेना क्या होता है, कैसा लगता है वो तो इस बात से भी अनजान थी. उनके लिए वो प्रोटेस्ट उनकी आज़ादी थी. जिसे वो पहली बार सर्दियों की उन कंपकंपाती रातों में महसूस कर रही थीं. उन्हें उनके ज़िंदा वजूद का एहसास शाहीन बाग़ के उस टेंट में ही हुआ पहली बार. उन सभी औरतों के लिए मेरे मन में अब भी सम्मान है. वो सच में मासूम थी.

ख़ैर, अब ग़लतफ़हमी के बादल छंटने लगे हैं. वो लोग जो शाहीन बाग़ में बैठ कर भाजपा के ख़िलाफ़ नारे लगा रहें थे, उनमें से 50 लोग BJP में शामिल हुए हैं. उनको मोदी जी पर एतबार है. उनको अपने हिंदुस्तान से प्यार है.

आज नफ़रत फैलाने वालों की हार हुई है. वो जो कहते हैं कि भाजपा मुस्लिम लोगों की दुश्मन पार्टी है, ये उनके मुंह पर तमाचा है. अब वो और ज़हर उगलेंगे लेकिन हम उनके ज़हर का जवाब भी प्यार से देंगे. झूठ और नफ़रत चाहे कितनी भी कोशिशें कर ले जीत मुहब्बत और सच्चाई की ही होती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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