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मथुरा में सनक का नाम रख दिया गया था 'सत्याग्रह'

    • अनूप श्रीवास्तव
    • Updated: 03 जून, 2016 06:19 PM
  • 03 जून, 2016 06:19 PM
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मथुरा के जवाहरबाग में जो लोग डेरा डाले थे, उनकी कई मांगों में से एक ये थी कि देश में एक रु. कीमत पर 60 लीटर डीजल बेचा जाए. और माना जाए कि देश की सभी सरकारें अवैध हैं.

छह महीने पहले की ही बात है, जब हिसार में कथित संत रामपाल के आश्रम में कार्रवाई करने की गई पुलिस को बाबा के समर्थकों की ओर से गोली बारी का सामना करना पड़ा था. और वैसा ही फसाद मथुरा में सामने आया है. सनकी पंथियों की अजीब सोच और उनके समर्थकों की अंधभक्ति कहां तक जा सकती है, इसे समझने के लिए मथुरा के जवाहर बाग में डेरा डाले सत्याग्रहियों का बैकग्राउंड समझना जरूरी है.

मध्यप्रदेश के सागर को मुख्यालय बनाने वाले कथित सत्याग्रहियों ने मथुरा को अपना नया मुख्यालय घोषित किया था. संगठन के प्रचार-प्रचार के लिए ये सोशल मीडिया का उपयोग भी करते थे. इनकी टीमें गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को बहकाने के लिए यात्राओं का आयोजन भी करती थीं. ऑपरेशन से कुछ दिन पहले इन कथित सत्याग्रहियों ने राया क्षेत्र के गांवों तक अपना प्रचार-प्रसार किया था. वहां ग्रामीणों को सरकार का टैक्स अदा न करने के लिए भी बहकाया था.  फेसबुक पर स्वाधीन भारत-नेशनल मूवमेंट के नाम से था पेज

कथित सत्याग्रहियों ने फेसबुक पर स्वाधीन भारत-नेशनल मूवमेंट के नाम फेसबुक पेज था. पेज पर लिखा गया था कि भारत ही नहीं, पूरे विश्व में आर्थिक बदलाव लाना है. नेताजी सुभाष चंद बोस अपने आजाद हिंदू नेशन और आजाद हिंदू गवर्नमेंट के सबसे महान शासक और सम्राट हैं. वह स्वयं को नेताजी के अनुयायी बताते थे. नेशन को नेशनल बैंक ऑफ आजाद हिंदू लिमिटेड बताते थे. पेज में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का मुख्यालय मथुरा का जवाहर बाग दर्शाया है. मुख्यालय के पते में उत्तर प्रदेश के स्थान पर यूनाइटेड प्रोविसेंस (इस क्षेत्र का अंग्रेजों के समय वाला नाम) लिखा है.

 मथुरा में सरकारी जमीन से गैरकानूनी कब्जा हटाने में...

छह महीने पहले की ही बात है, जब हिसार में कथित संत रामपाल के आश्रम में कार्रवाई करने की गई पुलिस को बाबा के समर्थकों की ओर से गोली बारी का सामना करना पड़ा था. और वैसा ही फसाद मथुरा में सामने आया है. सनकी पंथियों की अजीब सोच और उनके समर्थकों की अंधभक्ति कहां तक जा सकती है, इसे समझने के लिए मथुरा के जवाहर बाग में डेरा डाले सत्याग्रहियों का बैकग्राउंड समझना जरूरी है.

मध्यप्रदेश के सागर को मुख्यालय बनाने वाले कथित सत्याग्रहियों ने मथुरा को अपना नया मुख्यालय घोषित किया था. संगठन के प्रचार-प्रचार के लिए ये सोशल मीडिया का उपयोग भी करते थे. इनकी टीमें गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को बहकाने के लिए यात्राओं का आयोजन भी करती थीं. ऑपरेशन से कुछ दिन पहले इन कथित सत्याग्रहियों ने राया क्षेत्र के गांवों तक अपना प्रचार-प्रसार किया था. वहां ग्रामीणों को सरकार का टैक्स अदा न करने के लिए भी बहकाया था.  फेसबुक पर स्वाधीन भारत-नेशनल मूवमेंट के नाम से था पेज

कथित सत्याग्रहियों ने फेसबुक पर स्वाधीन भारत-नेशनल मूवमेंट के नाम फेसबुक पेज था. पेज पर लिखा गया था कि भारत ही नहीं, पूरे विश्व में आर्थिक बदलाव लाना है. नेताजी सुभाष चंद बोस अपने आजाद हिंदू नेशन और आजाद हिंदू गवर्नमेंट के सबसे महान शासक और सम्राट हैं. वह स्वयं को नेताजी के अनुयायी बताते थे. नेशन को नेशनल बैंक ऑफ आजाद हिंदू लिमिटेड बताते थे. पेज में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का मुख्यालय मथुरा का जवाहर बाग दर्शाया है. मुख्यालय के पते में उत्तर प्रदेश के स्थान पर यूनाइटेड प्रोविसेंस (इस क्षेत्र का अंग्रेजों के समय वाला नाम) लिखा है.

 मथुरा में सरकारी जमीन से गैरकानूनी कब्जा हटाने में मुठभेड़

ऐसे जमाया जवाहर बाग पर कब्जा

अपनी अजीब मांगों को लेकर सागर मध्यप्रदेश से दिल्ली कूच के लिए निकले  18 अप्रैल 2014 को मथुरा के जवाहर बाग पहुंचे और विश्राम के बहाने यहीं रुक गए. और फिर कभी आगे नहीं बढ़े. और यहां अपनी समानांतर सरकार चलाने लगे. अपनी बात मनवाने के लिए अंदाज बातचीत का नहीं बल्कि हमले का होता था. इनकी मांगें बड़ी अजीब थीं.

-एक रुपये में साठ लीटर डीजल चाहते थे.-12 रुपये तोले सोना बेचने का दावा करते थे. -स्वाधीन भारत के नाम की करेंसी चलाई जाए.-बाबा जयगुरुदेव का मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाए.

कौन है सत्यामग्रहियों का सरगना रामवृक्ष यादव

गाजीपुर जनपद के मुरगढ़ थाना क्षेत्र के बागपुर गांव निवासी रामवृक्ष यादव ने 2014 में जवाहर बाग में सत्याग्रह की आड़ में डेरा जमाया था. रामवृक्ष पर करीब दर्जन भर अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं लेकिन पुलिस ने कभी उसके खिलाफ सख्ती नहीं बरती. यही वजह रही कि दिन पर दिन उसके हौसले बढ़ते गये. रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है.  जयगुरुदेव की विरासत के लिए समर्थन नहीं मिलने पर उसने अलग गुट बना लिया था. रामवृक्ष 15 मार्च 2014 में वो करीब 200 लोगों को लेकर मथुरा आया था. उसने यहां पर 2 दिन रहने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी लेकिन दो दिन बाद वो वहां से हटा नही. पहले तो रामवृक्ष यहां एक झोपड़ी बनाकर रहने लगा फिर धीरे-धीरे वहां कई झोपडि़यां बन गईं. देखते ही देखते रामवृक्ष ने 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा. रामवृक्ष इनता ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी इसका कुछ नहीं कर सका.

किला बना दिया था जवाहर बाग को

सत्याग्रहियों का राजकीय नलकूप पर कब्जा हो गया था. औऱ सत्याग्रहियों ने अब तक करीब तीन लाख रुपये की उद्यान विभाग की बिजली खर्च कर चुके थे. फिर उसके बाद चोरी से बिजली जलाई जा रही थी. यही नहीं सरकारी कार्यालयों में कार्यदिवस के दिन लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में प्रवचन करना और कर्मचारियों को डराना-धमकाना. कथित सत्याग्रहियों ने जवाहरबाग में प्रवेश के सभी संभावित स्थानों पर कंटीले तार लगा दिए थे. जवाहरबाग में जाने वाले कर्मचारी और आम नागरिकों का अपने रजिस्टर में नाम पता दर्ज कराना और उसी के बाद प्रवेश देना.

देश की सभी सरकारों को अवैध मानते थे सत्याजग्रही

सत्याग्रहियों का मानना था कि भारत तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस की घोषणा के साथ ही आजाद हो गया था. वर्तमान सरकार असंवैधानिक है. और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, डीएम सब अवैध हैं.

सवाल इन कथित सत्यााग्रहियों का नहीं, बल्कि उन प्रशासनिक अफसरों का है, जिनके पास ऐसे सनकियों की करतूतों की जानकारी तो होती है, लेकिन वे समय रहते उस पर एक्शंन नहीं लेते. अब जबकि कुछ अफसरों की जान चली गई है और सैंकड़ों दंगाई गिरफ्तार कर लिए गए हैं तो मान लिया गया है कि मामला शांत हो गया. लेकिन क्याफ वाकई ऐसा है? क्याह अब ऐसा कोई सनकी बाबा या पंथी देश में नहीं बचा है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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