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लोकसभा की 117 सीटें, जिसे लेकर मोदी सबसे ज्यादा इतमीनान से हैं

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 09 फरवरी, 2019 05:10 PM
  • 09 फरवरी, 2019 05:10 PM
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2014 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर जो निष्कर्ष निकाले गए हैं उनसे ये साबित होता है कि 117 सीटों पर भाजपा को मात देना विपक्षी पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा.

हालांकि अभी 2019 के लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियां लगातार एकजुट होने का प्रयास कर रही हैं. भाजपा के खिलाफ छोटे मुद्दे को लेकर भी ये विपक्षी पार्टियां एकजुटता प्रदर्शित करती आ रही हैं. कभी एक दूसरे के दुश्मन रही पार्टियां भी भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए एक हो रही हैं. और इस बार ये भी चरितार्थ होते दिख रहा है कि राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है न दुश्मन.

इस बीच हम 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पिछले चुनाव में भाजपा का 117 लोकसभा सीटों पर जीत का अंतर 2 लाख मतों से भी ज़्यादा था. इसमें 5 लोकसभा सीटें वो थीं जहां जीत का अंतर 5 लाख वोटों से भी ज़्यादा था. 8 सीटें ऐसी थी जहां जीत का अंतर 4 लाख वोटों से भी ज़्यादा था. ठीक इसी तरह 29 लोकसभा की सीटों पर जीत का अंतर 3 लाख से ज़्यादा तथा 75 सीटों पर जीत का अंतर 2 लाख वोटों से ज़्यादा था. यानी 117 सीटें ऐसी जहां भाजपा के जीत का अंतर 2 लाख वोटों से भी ज़्यादा. ये आंकड़े जीत के अंतर के हैं न कि कुल प्राप्त मतों के. इस तरह से किसी भी पार्टी के लिए इस जीत के अंतर को पाटना इतना आसान नहीं होगा.

117 सीटों पर भाजपा को मात देना विपक्षी पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा

लोकसभा की वो सीटें जहां जीत का अंतर 5 लाख से ज़्यादा वोटों का था

लोकसभा सीट विजेता / प्राप्त वोट उप-विजेता / प्राप्त वोट

जीत का अंतर

सूरत भाजपा / 718412 कांग्रेस /...

हालांकि अभी 2019 के लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियां लगातार एकजुट होने का प्रयास कर रही हैं. भाजपा के खिलाफ छोटे मुद्दे को लेकर भी ये विपक्षी पार्टियां एकजुटता प्रदर्शित करती आ रही हैं. कभी एक दूसरे के दुश्मन रही पार्टियां भी भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए एक हो रही हैं. और इस बार ये भी चरितार्थ होते दिख रहा है कि राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है न दुश्मन.

इस बीच हम 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पिछले चुनाव में भाजपा का 117 लोकसभा सीटों पर जीत का अंतर 2 लाख मतों से भी ज़्यादा था. इसमें 5 लोकसभा सीटें वो थीं जहां जीत का अंतर 5 लाख वोटों से भी ज़्यादा था. 8 सीटें ऐसी थी जहां जीत का अंतर 4 लाख वोटों से भी ज़्यादा था. ठीक इसी तरह 29 लोकसभा की सीटों पर जीत का अंतर 3 लाख से ज़्यादा तथा 75 सीटों पर जीत का अंतर 2 लाख वोटों से ज़्यादा था. यानी 117 सीटें ऐसी जहां भाजपा के जीत का अंतर 2 लाख वोटों से भी ज़्यादा. ये आंकड़े जीत के अंतर के हैं न कि कुल प्राप्त मतों के. इस तरह से किसी भी पार्टी के लिए इस जीत के अंतर को पाटना इतना आसान नहीं होगा.

117 सीटों पर भाजपा को मात देना विपक्षी पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा

लोकसभा की वो सीटें जहां जीत का अंतर 5 लाख से ज़्यादा वोटों का था

लोकसभा सीट विजेता / प्राप्त वोट उप-विजेता / प्राप्त वोट

जीत का अंतर

सूरत भाजपा / 718412 कांग्रेस / 185222 533190
वडोदरा  भाजपा  / 845464 कांग्रेस / 275336 570128
नवसारी भाजपा  / 820831 कांग्रेस / 262715 558116
जयपुर भाजपा  / 863358 कांग्रेस / 324013 539345
गाजियाबाद भाजपा  / 758482 कांग्रेस / 191222 567260

इन पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा विजेता तथा उप-विजेता कांग्रेस रही थी. और पांच में से तीन सीटें गुजरात राज्य में थीं. इसमें एक सीट वडोदरा भी शामिल है जहां से नरेंद्र मोदी चुने गए थे. नरेंद्र मोदी यहां के अलावा वाराणसी से भी विजयी हुए थे. बाद में उन्होंने वडोदरा की सीट खाली कर दी थी.

अब बात उन 8 लोकसभा सीटों की जहां भाजपा 2014 के चुनाव में 4 लाख वोटों से भी ज़्यादा के अंतर से जीती थी.

लोकसभा सीट विजेता / प्राप्त वोट उप-विजेता / प्राप्त वोट

जीत का अंतर

फरीदाबाद भाजपा / 652516 कांग्रेस / 185643 466873
विदिशा भाजपा / 714348 कांग्रेस / 303650 410698
इंदौर भाजपा / 854972 कांग्रेस / 388071 466901
जोधपुर भाजपा / 713515 कांग्रेस / 303464 410051
मुंबई -उत्तर भाजपा / 664004 कांग्रेस / 217422 446582
गांधीनगर भाजपा / 773539 कांग्रेस / 290418 483121
मुज़फ्फरनगर भाजपा / 653391 बसपा / 252241 401150
बुलंदशहर भाजपा / 604449 बसपा / 182476 421973

इन आठों लोकसभा सीटों पर भाजपा विजयी रही थी, तो कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे स्थान पर तथा बसपा 2 सीटों पर उप विजेता थी. इसमें गांधीनगर सीट शामिल है जहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी विजेता घोषित हुए थे. वहीं विदिशा से सुषमा स्वराज तथा इंदौर से सुमित्रा महाजन को जीत मिली थी.  

29 लोकसभा की सीटों पर 3 लाख के वोटों से ज़्यादा के अंतर से जीत हासिल की थी.

ठीक इसी प्रकार भाजपा ने 2014 के चुनावों में 29 लोकसभा सीटों पर 3 लाख वोटों से ज़्यादा के अंतर से जीत हासिल की थी. इन 29 लोकसभा सीटों में से सबसे ज़्यादा 8 सीटें उत्तर प्रदेश से भाजपा को मिली थीं. उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट भी इसमें शामिल है जहां से नरेंद्र मोदी को विजय हासिल हुई थी. राजस्थान से 7 सीटें तथा मध्य प्रदेश से 3 तथा गुजरात से 2 सीटें मिली थी.

75 सीटों पर 2 लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

वहीं भाजपा 75 सीटों पर 2 लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यहां पर 15 सीटें भाजपा ने उत्तर प्रदेश से जीती थी. यहां की कुल 80 सीटों में से भाजपा और इसकी सहयोगी पार्टियों ने मिलकर 73 सीटें जीत ली थीं. इसी प्रकार गुजरात से 10, राजस्थान से 9 और मध्य प्रदेश से 8 सीटें भी भाजपा ने अपने झोली में लेने में कामयाबी हासिल की थी.   

इन 117 लोकसभा सीटों पर जहां भाजपा की जीत का अंतर दो लाख वोटों से ज़्यादा का रहा उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान का योगदान सबसे ज़्यादा रहा है. ये वो राज्यें हैं जहां भाजपा जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 160 लोकसभा सीटों में से 149 सीटें जीती थी.

हालांकि लोकसभा के चुनावों में दो लाख के अंतर से जीतना भी आसान नहीं होता लेकिन बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में कुछ भी कह पाना मुश्किल होता है. लेकिन इतना तो साफ़ है कि इन 117 सीटों पर भाजपा को मात देना विपक्षी पार्टियों के लिए आसान भी नहीं होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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