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पाकिस्तान पीएम इमरान खान में वाकई Diplomatic कायदों की कमी है

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 14 जून, 2019 05:42 PM
  • 14 जून, 2019 05:42 PM
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पाकिस्तानी PM Imran Khan एक बार फिर SCO के मंच पर अपने खराब राजनयिक तौर-तरीकों को पेश कर चुके हैं. नरेंद्र मोदी के सामने वो ऐसे लग रहे थे जैसे पूरी दुनिया ने ही पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया हो.

पाकिस्तान को पूरी दुनिया की तरफ से अलग-थलग होने की शायद आदत सी पड़ गई है. Pakistan को गाहे-बगाहे दुनिया के कई देशों के सामने किसी न किसी बात को लेकर शर्मिंदा होना ही पड़ा है, फिर चाहें वो अमेरिका हो या फिर रशिया. इसी कड़ी में PM Narendra Modi Government आने के बाद से ही पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की शुरुआत नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, लेकिन पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपना लिया है. नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का साथ देने वाले देशों को अलग-थलग करने की बात भी कही है. शायद इस बार से Pakistan Pm Imran Khan को अलग रहने की आदत ही पड़ गई है. किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में चल रही Shanghai Cooperation Organization (SCO) बैठक के दौरान भी ये देखा जा सकता था कि पाकिस्तान कितना अकेला पड़ गया है. जहां पीएम मोदी को बीच में कुर्सी दी गई वहीं इमरान खान को सबसे आखिर में. खैर, शायद राजनयिक स्तर पर अकेले पड़ते पाकिस्तान के पीएम को खुद राजनयिक कायदों के बारे में नहीं पता.

पिछले कुछ समय से इमरान खान और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों में उनके बर्ताव और सामाजिक ज्ञान की जो धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वो ये बताने के लिए काफी है कि राजनयिक स्तर पर पाकिस्तानी पीएम की साख कितनी कम है. हालांकि, SCO की बैठक के एक वायरल वीडियो ने ये साबित कर दिया कि न सिर्फ पाकिस्तानी पीएम को अलग अकेला छोड़ दिया गया है बल्कि ये भी कि पाकिस्तानी पीएम को इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता और उन्हें सिर्फ वही करना है जो उन्हें ठीक लगता है. 

पाकिस्तानी पीएम को अंतरराष्ट्रीय लीडर्स के सम्मान में खड़े होना नहीं सुहाया.

हाल ही में इमरान खान ने SCO मीटिंग में अन्य सभी मेहमानों का अनादर कर दिया. जहां पूरे हॉल में सभी खड़े थे...

पाकिस्तान को पूरी दुनिया की तरफ से अलग-थलग होने की शायद आदत सी पड़ गई है. Pakistan को गाहे-बगाहे दुनिया के कई देशों के सामने किसी न किसी बात को लेकर शर्मिंदा होना ही पड़ा है, फिर चाहें वो अमेरिका हो या फिर रशिया. इसी कड़ी में PM Narendra Modi Government आने के बाद से ही पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की शुरुआत नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, लेकिन पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपना लिया है. नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का साथ देने वाले देशों को अलग-थलग करने की बात भी कही है. शायद इस बार से Pakistan Pm Imran Khan को अलग रहने की आदत ही पड़ गई है. किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में चल रही Shanghai Cooperation Organization (SCO) बैठक के दौरान भी ये देखा जा सकता था कि पाकिस्तान कितना अकेला पड़ गया है. जहां पीएम मोदी को बीच में कुर्सी दी गई वहीं इमरान खान को सबसे आखिर में. खैर, शायद राजनयिक स्तर पर अकेले पड़ते पाकिस्तान के पीएम को खुद राजनयिक कायदों के बारे में नहीं पता.

पिछले कुछ समय से इमरान खान और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों में उनके बर्ताव और सामाजिक ज्ञान की जो धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वो ये बताने के लिए काफी है कि राजनयिक स्तर पर पाकिस्तानी पीएम की साख कितनी कम है. हालांकि, SCO की बैठक के एक वायरल वीडियो ने ये साबित कर दिया कि न सिर्फ पाकिस्तानी पीएम को अलग अकेला छोड़ दिया गया है बल्कि ये भी कि पाकिस्तानी पीएम को इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता और उन्हें सिर्फ वही करना है जो उन्हें ठीक लगता है. 

पाकिस्तानी पीएम को अंतरराष्ट्रीय लीडर्स के सम्मान में खड़े होना नहीं सुहाया.

हाल ही में इमरान खान ने SCO मीटिंग में अन्य सभी मेहमानों का अनादर कर दिया. जहां पूरे हॉल में सभी खड़े थे वहीं पीएम इमरान खान बैठ गए और सिर्फ तभी खड़े हुए जब उनका नाम लिया और फिर एक बार में बैठ गए. उन्हें इससे कोई मतलब ही नहीं था कि अन्य लीडर्स क्या कर रहे हैं.

ये पहली बार नहीं है जब इमरान खान का कोई ऐसा वीडियो वायरल हुआ हो जहां उनके राजनयिक रिश्तों की समझ का परिचय सामने आया हो. कुछ दिन पहले सऊदी के राजा Salman bin Abdulaziz से OIC की मीटिंग के दौरान कुछ कहकर निकल गए थे. उन्होंने तो ट्रांसलेटर को अपना काम भी नहीं करने दिया था. उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं थी कि आखिर राजा साहब उनसे कहेंगे क्या.

ये एक लौता ऐसा वाक्या नहीं है बल्कि इससे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ही सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के पाकिस्तान दौरे के समय अपने राजनयिक कायदे भूल गए थे. एक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से उन्हीं के द्वारा दी गई दावत में कुछ तौर तरीकों का पालन करने की उम्मीद रखी जाती है, लेकिन शायद पाकिस्तान में ये नहीं होता. पहले तो MBS की स्पीच से पहले ही इमरान खान ने खाना शुरू कर दिया और फिर जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति को MBS के बारे में दो शब्द कहने थे तब उन्होंने बैठे-बैठे ही कह दिए और फिर उनसे कहा गया कि 'खड़े हो जाइए' और राष्ट्रपति खड़े हो गए.

पाकिस्तानी Diplomacy के ये हालात तब हैं जब वो पूरी तरह से आतंकवाद को लेकर अलग हो गया है और अब FATF की ग्रे लिस्ट के बाद FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने की बातें भी सामने आ रही हैं. ऐसे समय पर दिन पर दिन पाकिस्तान के राजनयिक तौर-तरीके बदलते चले जा रहे हैं.

भारत से रिश्तों के साथ-साथ अपने कायदे सुधारें पाकिस्तानी पीएम-

पाकिस्तानी पीएम इमरान खान लगातार भारत से शांति वार्ता करने को इच्छुक हैं, लेकिन लगातार वो पीएम मोदी पर इल्जाम लगाए जा रहे हैं कि भारत की तरफ से उन्हें कोई अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा. पिछले साल जब पाकिस्तानी पीएम ने चिट्ठी लिखी थी और फिर पीएम मोदी के कोई जवाब न देने पर वो बहुत गुस्से में थे. इसके बाद जब कश्मीर में तीन पुलिसवालों की हत्या और पाकिस्तान में आतंकी बुरहान वानी के शहीद के तौर पर पोस्टल स्टैंप बंटने के विरोध में सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की मीटिंग कैंसिल करने पर इमरान खान ने काफी गुस्सा दिखाया था.

उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि, 'भारत के अहंकारी और नकारात्मक तरीके को देखकर वो निराश हुए हैं वो शांति वार्ता शुरू करना चाहते थे. मैंने पूरे जीवन में ऐसे कई छोटे लोग देखे हैं जो बड़े कार्यालयों पर बैठे हैं जिनमें दूरदृष्टि नहीं है.'

इमरान खान ने ऐसा शायद अपने लिए ही कहा होगा. क्योंकि पूरे राजनीतिक करियर में इमरान खान सिर्फ और सिर्फ अपने विरोधियों और विपक्षियों के बारे में बुरा-भला बोलकर ही आगे आए हैं. नवाज़ शरीफ के दौर में इमरान खान कहते थे, 'मोदी का जो यार है, वो गद्दार है, वो गद्दा है.'

अब इमरान खान को उन्हीं नरेंद्र मोदी से बात करनी है और उनकी एक ट्वीट पर वो बहुत खुश हो जाते हैं. ये इमरान खान की असलियत ही तो है जो साफ दिखती है कि कैसे इमरान खान बिना सोचे समझे काम करते हैं. राजनयिक रिश्तों को लेकर भारत को ताना मारने वाले इमरान खान खुद कितने डिप्लोमैट हैं ये तो साफ देखा ही जा सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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