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महाराष्ट्र की 3 देवियों के बिना अधूरी है सियासत की कहानी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 नवम्बर, 2019 07:17 PM
  • 28 नवम्बर, 2019 07:17 PM
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Maharashtra की सियासत में Sharad Pawar और Uddhav Thackeray का लोहा माना जा रहा है. मगर हमें यहां पर महिलाओं के योगदान को भी नहीं भुलाना होगा क्योंकि अगर आज महाराष्ट्र का ड्रामा अगर रुका है तो उसके पीछे महिलाएं एक बड़ी वजह हैं.

बीते एक महीने से जारी महाराष्ट्र का सियासी तूफ़ान (Government Formation In Maharashtra) थम गया है. तमाम तरह के दाव पेच के बाद आखिरकार उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री (ddhav Thackeray Chief Minister) पद की शपथ ले चुके हैं. बात अगर शरद पवार (Sharad Pawar) की हो तो एनसीपी प्रमुख किंगमेकर की भूमिका में सामने आए हैं. जिन्होंने बता दिया है कि, 80 साल की उम्र में उनमें अभी दम ख़म बाकी है कि वो राजनीति के बड़े से बड़े योद्धा को न केवल चुनौती दे सकते हैं. बल्कि ऐसी पटखनी भी दे सकते हैं जिसके बाद उसका चारों खाने चित होना तय है. इन बातों के बाद अगर हम राज्य के पुराने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) का रुख करें तो भले ही वो जीती हुई बाजी हार कर किनारे बैठ गए हों. मगर जो उनके तेवर हैं उन्होंने इस बात का संकेत दे दिया है कि, आने वाले वक़्त में अगर उन्हें मौका मिला तो वो ज़रूर कुछ न कुछ ऐसा करेंगे जिसे इतिहास याद रखेगा. कुल मिलाकर एक लम्बे वक़्त से चल रहा महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा ख़त्म हो गया है. मगर जब हम महाराष्ट्र की सियासत का रुख करें तो यहां जितने प्रभावशाली पुरुष हैं, महिलाएं भी कुछ ऐसी ही स्थिति में हैं. ये कोई पहली बार नहीं है कि महाराष्ट्र की सियासत में महिलाऐं निर्णायक स्थिति में आई हों.

Role Of Women In Maratha Politics, 1620-1752 A.D. नामक किताब की लेखिका सुशीला वैद्य ने अपनी इस किताब में बताया है कि जब जब बात मराठा राजनीति की आई है तो जीजाबाई और सोयराबाई से लेकर येसुबाई और ताराबाई तक ने ऐसा बहुत कुछ किया है जो सदियों तक न सिर्फ मराठी बल्कि किसी भी महिला के गर्व का कारण बनेगा.

महाराष्ट्र की राजनीति में महिलाएं भी उतनी ही कद्दावर रही हैं जितने की पुरुष

इतिहास पर नजर डालें...

बीते एक महीने से जारी महाराष्ट्र का सियासी तूफ़ान (Government Formation In Maharashtra) थम गया है. तमाम तरह के दाव पेच के बाद आखिरकार उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री (ddhav Thackeray Chief Minister) पद की शपथ ले चुके हैं. बात अगर शरद पवार (Sharad Pawar) की हो तो एनसीपी प्रमुख किंगमेकर की भूमिका में सामने आए हैं. जिन्होंने बता दिया है कि, 80 साल की उम्र में उनमें अभी दम ख़म बाकी है कि वो राजनीति के बड़े से बड़े योद्धा को न केवल चुनौती दे सकते हैं. बल्कि ऐसी पटखनी भी दे सकते हैं जिसके बाद उसका चारों खाने चित होना तय है. इन बातों के बाद अगर हम राज्य के पुराने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) का रुख करें तो भले ही वो जीती हुई बाजी हार कर किनारे बैठ गए हों. मगर जो उनके तेवर हैं उन्होंने इस बात का संकेत दे दिया है कि, आने वाले वक़्त में अगर उन्हें मौका मिला तो वो ज़रूर कुछ न कुछ ऐसा करेंगे जिसे इतिहास याद रखेगा. कुल मिलाकर एक लम्बे वक़्त से चल रहा महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा ख़त्म हो गया है. मगर जब हम महाराष्ट्र की सियासत का रुख करें तो यहां जितने प्रभावशाली पुरुष हैं, महिलाएं भी कुछ ऐसी ही स्थिति में हैं. ये कोई पहली बार नहीं है कि महाराष्ट्र की सियासत में महिलाऐं निर्णायक स्थिति में आई हों.

Role Of Women In Maratha Politics, 1620-1752 A.D. नामक किताब की लेखिका सुशीला वैद्य ने अपनी इस किताब में बताया है कि जब जब बात मराठा राजनीति की आई है तो जीजाबाई और सोयराबाई से लेकर येसुबाई और ताराबाई तक ने ऐसा बहुत कुछ किया है जो सदियों तक न सिर्फ मराठी बल्कि किसी भी महिला के गर्व का कारण बनेगा.

महाराष्ट्र की राजनीति में महिलाएं भी उतनी ही कद्दावर रही हैं जितने की पुरुष

इतिहास पर नजर डालें और मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी को उदाहरण लें तो ये भी बता चलता है कि ये उनकी मां की परवरिश के अलावा राजनीतिक सूझ बूझ ही थी की जिसने शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाया. महाराष्ट्र और महाराष्ट्र की राजनीति में औरत की भूमिका को लेकर इतिहास क्या कहता है? इसपर बातें होती रहेंगी. अभी मुद्दा महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर है तो आइये महाराष्ट्र की राजनीति की कुछ प्रभावशाली महिलाओं का जिक्र करें और उस सन्देश को समझें जो इन्होने भारत भर की महिलाओं को दिया है.

रश्मि ठाकरे : किंगमेकर

रश्मि ठाकरे, महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी हैं. यदि रश्मि का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि वो 'किंगमेकर' हैं. आज जिस मुकाम पर उद्धव ठाकरे हैं उसमें रश्मि की एक बड़ी भूमिका है. ऐसा इसलिए क्योंकि रश्मि ठाकरे महत्वकांशी हैं. एक बड़ा वर्ग है जो ये कह रहा है कि कयास तो चुनाव के बाद जिस वक़्त शिवसेना ने भाजपा के साथ अपना 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ा, उद्धव को ये तरकीब रश्मि ने ही सुझाई.

राजनीति को भली प्रकार से समझने वाली रश्मि को इस बात का एहसास था कि इस गठबंधन के टूटने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव क्या कद होगा. नतीजा आज हमारे सामने हैं. उद्धव सूबे के नए मुख्यमंत्री हैं.

हमने जिक्र रश्मि ठाकरे का किया है तो बता दें कि रश्मि केवल उद्धव की जीवन संगिनी नहीं हैं.  आरएसएस को गहराई से समझने वाली रश्मि को उद्धव का प्रबल समर्थक, सलाहकार और  प्रेरक माना जाता है. शिव सेना में रश्मि का मर्तबा ऐसा है कि आम शिवसैनिकों की नजरें रश्मि को दूसरी मासाहेब के तौर पर देखती हैं जो एक संत होने के अलावा, दूरदर्शी राजनीतिक रणनीतिकार हैं.

सुप्रिया सुले : मैनेजर

सुप्रिया सुले, महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और वर्तमान में किंगमेकर कहे जा रहे शरद पवार की बेटी होने के अलावा महाराष्ट्र के बारामती से सांसद हैं. बात अगर शरद पवार की पार्टी एनसीपी की हो तो कहा यही जाता है कि सुप्रिया  पार्टी में पिता के समकक्ष हैं और जरूरी निर्णय लेने के लिए इनसे सलाह मशवरा ज़रूर किया जाता है.

हालिया दिनों में जिस तरह अजित पवार ने पार्टी से बगावत की और भाजपा को समर्थन दिया, कहा यही जा रहा है कि ये सुप्रिया सुले की रणनीति ही है जिस कारण तमाम गिले शिकवे भूलकर शरद पवार ने अजित पवार को दोबारा गले लगाया है. पार्टी के प्रति जैसा सुप्रिया का रुख है. या ये कहें कि जैसा समर्पण सुप्रिया का पार्टी के प्रति है वो एक मैनेजर की भूमिका में हैं. जिन्हें चीजों को ढंग से मैनेज करना बखूबी आता है.

सुप्रिया की मैनेजमेंट स्किल कितनी कारगर है यदि इस बात को समझना हो तो हम उनकी ट्विटर प्रोफाइल का भी रुख कर सकते हैं. मौजूदा समय में जो तस्वीरें सुप्रिया ने अपने ट्विटर पर डाली हैं उनमें वो लोगों से मुस्कुराते हुए गर्मजोशी से मिल रही हैं जो ये बताता है कि उन्हें इस बात की पूरी समझ है कि कब कहां कौन सा दाव खेलना है.

सुप्रिया के मैनेजमेंट की मुरीद पार्टी तो है ही महाराष्ट्र के लोग भी इस बात को दोहरा रहे हैं कि जब तक सुप्रिया सुले एनसीपी के साथ हैं परेशानी कोई भी आए वो जटिल परिस्थितियों को मैनेज कर ही लेंगी.

अमृता फडणवीस : उम्मीद

स्वाभाव से सौम्य अमृता फडणवीस, एक बैंकर, सामाजिक कार्यकर्ता, सिंगर और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के जीवन में जैसा अमृता का मर्तबा है, कई मौके आए हैं जब उन्होंने अपंने मंचों से खुलकर इस बात का जिक्र किया है कि जब भी परिस्थितियां विषम रही हैं अमृता ने उनके अंदर उम्मीद की एक नयी अलख जगाई है. अमृता कितनी बड़ी आशावादी हैं इसे हम उनके उस ट्वीट से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने बीते दिन किया है.

अमृता ने एक भावुक ट्वीट किया है. अमृता फडणवीस ने हिन्दी और अंग्रेजी में ट्वीट करते हुए लिखा है, 'पलट के आऊंगी शाखों पे खुशबुएं लेकर, खिज़ां की ज़द में हूं मौसम जरा बदलने दे! धन्यवाद महाराष्ट्र इन यादगार पांच सालों के लिए...आपने मुझे जो प्यार दिया है उससे ये दिन मुझे बार-बार याद आएंगे. मैंने अपनी योग्यता के मुताबिक अपना रोल अदा करने की कोशिश की, इस दौरान मेरी एक ही इच्छा थी कि मैं एक सकारात्मक बदलाव ला सकूं."

अमृता का ये ट्वीट उनके चरित्र के बारे में तमाम बातें स्पष्ट कर दे रहा है. इस ट्वीट को देखकर आसानी से इस बात को समझा जा सकता है कि जिस मुकाम पर देवेंद्र रहे हैं और जो शोहरत उन्होंने हासिल की है उसमें अमृता की एक अहम भूमिका है.

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जो समझते थे कि अब हमेशा 'मोदी-मोदी' होगा, ये खबर उनके लिए है !


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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